अजमेर. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध का असर पुष्कर के पर्यटन और गारमेंट्स उद्योग पर भी पड़ रहा है. पुष्कर में बड़े पैमाने पर गारमेंट्स की फैक्ट्रियां हैं, जिनमें हजारों टेलर और लेबर काम करते हैं. यहां बने कपड़े विदेशों में जाते हैं. वहीं, धार्मिक पर्यटन नगरी होने के कारण यहां विदेशी मेहमानों का आना जाना भी लगा रहता है. मगर इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध के चलते इजरायली पर्यटक तो अपने देश लौट चुके हैं, लेकिन अन्य देशों के पर्यटक भी काफी कम ही आ रहे हैं. इससे पुष्कर के गारमेंट्स और पर्यटन उद्योग को जबर्दस्त झटका लग रहा है.
तीर्थराज पुष्कर अपने धार्मिक महत्व से ही नहीं, बल्कि यहां की गारमेंट्स कारोबार से भी विदेश में अपनी पहचान रखता है. पुष्कर में गारमेंट्स का बड़े पैमाने पर काम होता है. यहां के बने गारमेंट्स की डिमांड विदेश तक में है. यूरोप के कई देशों के अलावा अमेरिका, ब्राजील और इजरायल में पुष्कर के बने गारमेंट काफी पसंद किए जाते हैं. यानी पुष्कर से सात समंदर पार से आने वाले विदेशी पर्यटकों का केवल पर्यटन और आध्यात्मिक संबंध ही नहीं है, बल्कि व्यापारिक संबंध भी है. यहां विदेश से बड़े व्यापारी गारमेंट का डिजाइन देकर आर्डर देते हैं और यहां की फैक्ट्रियों में ऑर्डर के मुताबिक वस्त्र तैयार होते हैं.
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पुष्कर के अलावा तिलोरा, पीसांगन, जेठाना, गोविंदगढ़ अजमेर, नसीराबाद और पादुकला में कई छोटी बड़ी गारमेंट्स फैक्ट्रियां है, लेकिन सबसे अधिक पुष्कर में डेढ़ सौ से ज्यादा गारमेंट्स फैक्ट्रियां संचालित होती है. इन फैक्ट्रियों में करीब 6 से 7 हजार टेलर और लेबर काम करते हैं. वहीं, पुष्कर बने गारमेंट्स एक्सपोर्ट होते हैं. ऐसे डाक विभाग और कूरियर कंपनियों को भी अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन बीते साढ़े पांच माह से पुष्कर के गारमेंट बिजनेस पर ग्रहण लग गया है. गवर्नमेंट निर्माण के ऑर्डर विदेश से नहीं मिल रहे हैं. मांग कम होने से कारोबार पर प्रभावित हुआ है. हालत यह है कि काम नहीं होने के कारण टेलर और मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं. बता दें कि यूरोप, अमेरिका, जापान समेत कई देशों से विदेशी पर्यटक यहां सालभर आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक इजरायल से आते हैं.
अप्रैल से लगा गारमेंट उद्योग पर ग्रहण - पुष्कर में गारमेंट्स के प्रमुख कारोबारी लालचंद खत्री बताते हैं कि अप्रैल माह से ही गारमेंट कारोबार में कमी आने लग गई थी. वर्तमान में कारोबार में 70 फीसदी की कमी आ गई है. इसका कारण इजरायल फिलिस्तीन युद्ध भी है. खत्री ने बताया कि पुष्कर में गारमेंट्स में 95 फीसदी वस्त्र महिलाओं के लिए तैयार किए जाते हैं. जबकि पांच प्रतिशत वस्त्र ही पुरुषों के लिए बनते हैं. उन्होंने बताया कि यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ब्राजील इजरायल गारमेंट्स के बड़े खरीदार देश हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद जब चीन के माल पर प्रतिबंध लगा था, तब भी पुष्कर में बने गारमेंट बिजनेस में तेजी आ गई थी, लेकिन जब प्रतिबंध हटाया गया तब व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा है. खत्री ने बताया कि पुष्कर में मांग के अनुसार डिजाइनर गारमेंट्स बनाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि 40 साल पहले 1982 से उन्होंने गारमेंट्स कारोबार में कदम रखा था और उनकी पुष्कर में तीन बड़ी फैक्ट्रियां हैं.
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70 फीसदी कारोबार प्रभावित - गारमेंट्स कारोबारी लालचंद खत्री बताते हैं कि पुष्कर के गारमेंट्स कारोबार पर 70 प्रतिशत प्रभाव पड़ा है. महज 20 से 25 फीसदी ऑर्डर ही मिल पा रहे हैं. दिल्ली में हुए फेयर से भी ऑर्डर मिलने की उम्मीद रहती है. मगर वहां से भी आर्डर नहीं मिले. बातचीत में उन्होंने बताया कि पुष्कर में डेढ़ सौ से अधिक छोटी बड़ी गारमेंट फैक्ट्रियां हैं. इनमें 7 हजार के करीब टेलर और मजदूर काम करते हैं. ये मजदूर यूपी, बिहार, राजस्थान, दिल्ली और कोलकाता से आते हैं. वर्तमान में काम नहीं होने के कारण 30 फीसदी लेबर ही यहां शेष बचे हैं. उन्होंने कहा कि पुष्कर गारमेंट्स का सालाना कारोबार 700 करोड़ का है.
पुष्कर में गारमेंट की रिटेल शॉप लगभग 300 से ज्यादा है. पुष्कर आने वाले देसी-विदेशी पर्यटक इन गारमेंट्स शॉप से कपड़े खरीदते हैं. मगर पिछले दो माह से गवर्नमेंट शॉप्स के व्यापारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. कारोबारी कैलाश मालू बताते हैं कि पुष्कर का गारमेंट्स कारोबार काफी कम होता जा रहा है. इजरायल फिलिस्तीन युद्ध के कारण पुष्कर आए इजरायली वापस अपने वतन लौट गए हैं. उन्होंने बताया कि गारमेंट्स के खरीदार बड़ी संख्या में इजरायली हैं. युद्ध के शांत होने तक पुष्कर के गारमेंट व्यापार में गिरावट बनी रहेगी.