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सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या में कमी लाने के लिए एक्सप्रेसवे के बगल में स्थापित होगा हेलीपैड

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या घट सके, इसके लिए कई सारे कदम उठाए गए हैं. इनमें राजमार्ग पर एंबुलेंस की व्यवस्था, हेलीपैड स्थापित करना और कार में छह एयरबैग्स को जरूरी बनाया जाना शामिल है.

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Published : Jun 29, 2022, 8:18 PM IST

नई दिल्ली : देश भर में सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को कम करने के लिए केंद्र सरकार कई विकल्पों पर काम कर रही है. इसमें विभिन्न राजमार्ग टोल प्लाजा पर एम्बुलेंस की व्यवस्था और एक्सप्रेसवे के बगल में हेलीपैड स्थापित करना शामिल है. केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को इसकी जानकारी दी. पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में 11% से अधिक योगदान भारत का है.

दुर्घटना पीड़ितों के जीवन को बचाने के लिए समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करना महत्वपूर्ण है. सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ये उपाय सड़क किनारे होने वाली मौतों को कम करने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हैं. मंत्री ने कहा कि रास्ते के किनारे की सुविधाओं में न केवल हेलीपैड की सुविधा होगी, बल्कि उनके पास ऐसे स्थान भी होंगे, जहां अस्पताल ट्रॉमा सेंटर स्थापित कर सकते हैं.

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित 'सड़क सुरक्षा में कॉर्पोरेट्स की भूमिका' पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सिंह ने कहा कि वर्तमान में सरकार ने राजमार्गों पर प्रत्येक टोल प्लाजा पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की हुई है. लेकिन इस क्षेत्र में अभी और भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां कॉरपोरेट अधिक समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि हम और लोगों की जान बचा सकें. मंत्री ने कहा कि विश्व में 11 प्रतिशत दुर्घटनाएं भारत में होती हैं और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को मौजूदा 5 लाख से घटाकर 2 लाख प्रति वर्ष करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर काम करें, तो यह संभव है.

सिंह ने कहा कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं दूसरों की गलती के कारण होती हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर अमल और जागरूकता की कमी है. जागरूकता बढ़ाने के लिए हम सभी को सरकार, कॉरपोरेट्स और एनजीओ सबको एक साथ आने की जरूरत है.

आपको बता दें कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने की रणनीति सिर्फ अधिक एंबुलेंस और सड़क किनारे हेलीपैड की स्थापना तक सीमित नहीं है. सरकार देश में निर्मित वाहनों की सुरक्षा सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए वाहन निर्माताओं पर भी दबाव बना रही है. इन्हीं में से एक कदम है निजी कारों में विश्व स्तरीय एयरबैग की उपलब्धता सुनिश्चित कराना. सरकार ने कार निर्माताओं के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसमें कारों में सिर्फ दो एयरबैग लगाने के पहले के प्रावधान के बजाय छह एयरबैग लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऑटो कंपनियों को उन्हीं मानकों का पालन करने की जरूरत है, जिनका पालन बाकी दुनिया करती है. एक अन्य फोकस क्षेत्र ड्राइवरों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना है. सिंह ने कहा कि सरकार सड़क सुरक्षा के लिए संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बना रही है जिसमें परिवहन क्षेत्र, ड्राइवर और ड्राइविंग स्कूल शामिल हैं. सरकार ने अनिवार्य किया है कि प्रत्येक राज्य में और विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अच्छे ड्राइविंग स्कूल आने चाहिए जो पिछड़े क्षेत्र में हैं.

मंत्री ने कहा कि ये स्कूल सभी आधुनिक गैजेट्स से लैस होंगे ताकि इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा हों. उन्होंने कहा, 'हम स्कूलों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने का प्रयास कर रहे हैं.'

नई दिल्ली : देश भर में सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को कम करने के लिए केंद्र सरकार कई विकल्पों पर काम कर रही है. इसमें विभिन्न राजमार्ग टोल प्लाजा पर एम्बुलेंस की व्यवस्था और एक्सप्रेसवे के बगल में हेलीपैड स्थापित करना शामिल है. केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को इसकी जानकारी दी. पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में 11% से अधिक योगदान भारत का है.

दुर्घटना पीड़ितों के जीवन को बचाने के लिए समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करना महत्वपूर्ण है. सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ये उपाय सड़क किनारे होने वाली मौतों को कम करने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हैं. मंत्री ने कहा कि रास्ते के किनारे की सुविधाओं में न केवल हेलीपैड की सुविधा होगी, बल्कि उनके पास ऐसे स्थान भी होंगे, जहां अस्पताल ट्रॉमा सेंटर स्थापित कर सकते हैं.

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित 'सड़क सुरक्षा में कॉर्पोरेट्स की भूमिका' पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सिंह ने कहा कि वर्तमान में सरकार ने राजमार्गों पर प्रत्येक टोल प्लाजा पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की हुई है. लेकिन इस क्षेत्र में अभी और भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां कॉरपोरेट अधिक समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि हम और लोगों की जान बचा सकें. मंत्री ने कहा कि विश्व में 11 प्रतिशत दुर्घटनाएं भारत में होती हैं और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को मौजूदा 5 लाख से घटाकर 2 लाख प्रति वर्ष करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर काम करें, तो यह संभव है.

सिंह ने कहा कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं दूसरों की गलती के कारण होती हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर अमल और जागरूकता की कमी है. जागरूकता बढ़ाने के लिए हम सभी को सरकार, कॉरपोरेट्स और एनजीओ सबको एक साथ आने की जरूरत है.

आपको बता दें कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने की रणनीति सिर्फ अधिक एंबुलेंस और सड़क किनारे हेलीपैड की स्थापना तक सीमित नहीं है. सरकार देश में निर्मित वाहनों की सुरक्षा सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए वाहन निर्माताओं पर भी दबाव बना रही है. इन्हीं में से एक कदम है निजी कारों में विश्व स्तरीय एयरबैग की उपलब्धता सुनिश्चित कराना. सरकार ने कार निर्माताओं के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसमें कारों में सिर्फ दो एयरबैग लगाने के पहले के प्रावधान के बजाय छह एयरबैग लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऑटो कंपनियों को उन्हीं मानकों का पालन करने की जरूरत है, जिनका पालन बाकी दुनिया करती है. एक अन्य फोकस क्षेत्र ड्राइवरों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना है. सिंह ने कहा कि सरकार सड़क सुरक्षा के लिए संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बना रही है जिसमें परिवहन क्षेत्र, ड्राइवर और ड्राइविंग स्कूल शामिल हैं. सरकार ने अनिवार्य किया है कि प्रत्येक राज्य में और विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अच्छे ड्राइविंग स्कूल आने चाहिए जो पिछड़े क्षेत्र में हैं.

मंत्री ने कहा कि ये स्कूल सभी आधुनिक गैजेट्स से लैस होंगे ताकि इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा हों. उन्होंने कहा, 'हम स्कूलों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने का प्रयास कर रहे हैं.'

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