जोधपुर. G-20 शिखर सम्मेलन के एम्प्लॉयमेंट वर्किंग ग्रुप की बैठक शुक्रवार को शुरू हुई. बैठक में होने वाली चर्चा में जो निष्कर्ष निकलकर आएगा, उस पर मिनिस्ट्रियल ग्रुप की जुलाई में इंदौर में होने वाली बैठक पर में मुहर लगेगी. जोधपुर में हो रही बैठक में विशेषज्ञ कौशल विकास और गिग प्लेटफार्म वर्कर के सोशल प्रोटक्शन पर समान राय बनाने की कोशिश करेंगे. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत में हो रहे इस सम्मेलन में 20 देशों के अलावा नौ अन्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.
पढ़ें: G-20 Summit 2023: भारत ने पकड़ी डिजिटल की राह, थिंक-20 में बोले विशेषज्ञ
कई देशों के मिनिस्टर शामिल होंगे: शेखावत ने कहा कि हमारे युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने पर उनके रोजगार से जुड़ने की संभावनाएं बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में गिग प्लेटफार्म का चलन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इस प्लेटफार्म पर काम करने वाले पेशेवर लोगों को सोशल प्रोटक्शन किसी भी तरह का नहीं है. जोधपुर में अगले 2 दिन तक इस पर गहन मंथन कर तकमीना तैयार होगा. इंदौर में होने वाली बैठक में कई देशों के मिनिस्टर शामिल होंगे, जो इस मंथन पर अपनी मुहर लगाएंगे. जिसके लिए एक समान राय बनना जरूरी है. शेखावत ने कहा, जोधपुर में आयोजित इस ग्रुप की बैठक में सभी प्रतिनिधि शामिल हुए हैं. जोधपुर की वैभवता दिखाने के लिए आज हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया.
पढ़ें- G20 Summit in Jodhpur: विदेशी पावणो ने हेरिटेज वॉक में देखी जोधपुर की विरासत
गिग प्लेटफार्म को समाझिए: शेखावत ने कहा कि पूरी दुनिया में काम करने के तरीके बदल गए हैं. कोविड के बाद इसमें प्रगति हुई है. उन्होंने कहा गिग प्लेटफार्म के वर्कर को भी ईपीएफओ जैसी सुविधा मिले, जिससे उनका सरंक्षण हो और वे आर्थिक गतिविधियों में जुड़े रहे इस पर प्रयास हो रहा है. उन्होंने साधारण शब्दों में समझाया कि ओला उबर में काम करने वाले ड्राइवर किसी कंपनी के एम्प्लॉय नहीं होते हैं. वे जितना काम करते है उतना उनका भुगतान होता है. किसी कंपनी के वर्कर की तरह उनका कहीं कोई आर्थिक कंट्रीब्यूशन जमा नहीं होता है. इस तरह की वर्क फोर्स लगातार बढ़ रही है. G-20 देश इस तरह के वर्क फोर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना चाहता है, क्योंकि यह बदलते हुए वर्क कल्चर की मांग है.
कौन होते हैं गिग वर्कर: इन दिनों गिग वर्कर की खूब चर्चा हो रही है. अब ये जानना जरूरी है कि आखिर गिग वर्कर कौन होते हैं. इनका काम क्या होता है. दरअसल, बिजनेस में परमानेंट एम्प्लॉई नहीं होते हैं. इन लोगों को कंपनियां काम के आधार पर पैसा देती हैं. इन्हीं एम्प्लॉई को गिग वर्कर कहते हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं. इनमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल होते हैं. इन लोगों को ईपीएफओ की सुविधा नहीं मिलती है.
बीते साल ईपीएफओ बैठक में गिग वर्कर को लेकर चर्चा की गई थी. इस बैठक में इंटर्नल कमिटी ने इनके लिए अलग से पीएफ और पेंशन स्कीम का सुझाव दिया था, जिसके अनुसार, न्यूनत्तम पेंशन 3,000 रुपये तक हो और 15 साल तक काम करने वालों के लिए 5.4 लाख रुपये कॉर्पस की बात कही गई थी. नीति आयोग ने भी सरकार से सोशल सिक्योरिटी कवरेज योजना लाने का सुझाव दिया था, जिसके तहत पेंशन की सुविधा और इंश्योरेंस मिलने की बात कही गई थी.