उदयपुर. भारत की अध्यक्षता में उदयपुर में आयोजित जी20 शेरपा बैठक के अंतिम दिन विदेशी मेहमानों ने कुम्भलगढ़ और रणकपुर जैन मंदिर का भ्रमण किया. सुबह उदयपुर से सभी शेरपा कुम्भलगढ़ के लिए रवाना हुए. विदेशी मेहमान पहले वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ दुर्ग, लम्बी प्राचीर तथा पाली जिले में रणकपुर जैन मंदिर की शिल्पकला को देख अभिभूत हुए. शेरपा कुम्भलगढ़ और रणकपुर का इतिहास जानने के लिए बहुत उत्साहित दिखे.
कुम्भलगढ़ दुर्ग भ्रमण के लिए शेरपा कड़ी सुरक्षा के बीच उदयपुर से कुम्भलगढ़ दुर्ग (G20 Sherpa Visits Kumbhalgarh Fort) पहुंचे. यहां दुर्ग में प्रवेश करने पर पुष्प वर्षा और तिलक लगाकर राजस्थानी परंपरा से उनका स्वागत किया गया. इसके बाद सहरिया नृत्य और बाड़मेर की गैर डांस से शेरपा सदस्यों का स्वागत किया गया. इस दौरान विदेशी मेहमान भी खुद को थिरकने से रोक नहीं सके. कुम्भलगढ़ दुर्ग का विशाल किला अपनी 36 किमी की लंबाई वाली दीवार के साथ सबसे अधिक प्रभावशाली है. यह दुनिया की दूसरे नंबर की लंबी दीवार है. इसको विदेशी मेहमान भी देखते ही रह गए. किले के बारे में गाइड ने शेरपा को विस्तार से जानकारी दी.
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गाइड ने विदेशी मेहमानों को बताया कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म इसी अभेद दुर्ग में हुआ था. जिसके बाद विदेशी मेहमानों ने महाराणा प्रताप की जीवन और उनके युद्धों के बारे में जानकारी ली. इस दौरान शेरपा शिव मंदिर पहुंचे. यहां ऐतिहासिक शिव मंदिर में दर्शन किए और इसके इतिहास के बारे में जाना. यहां पर विदेशी शेरपाओं ने ऐतिहासिक कुम्भलगढ़ दुर्ग के साथ सेल्फी भी ली और फोटोशूट (G20 Sherpa Dancing in Rajasthan) भी करवाए. इसके बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ शेरपाओं का दल कुम्भलगढ़ दुर्ग के मुख्य स्थल हवा महल पहुंचा.
विदेशी शेरपाओं ने कुम्भलगढ़ दुर्ग पर स्थित महाराणा प्रताप के जन्म कक्ष का अवलोकन किया. इसके बाद शेरपा ने बादल महल की छत पर जाकर मेवाड़ और मारवाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारा. इस दौरान केलवाड़ा से लेकर कुम्भलगढ़ दुर्ग और सायरा तक सभी मार्गों से आम लोगों की आवाजाही पूर्णतयः बंद रही और जगह-जगह पर भारी पुलिस जाप्ता तैनात रहा. कुम्भलगढ़ दुर्ग में राजस्थानी कलाकारों की ओर से दी गई प्रस्तुति को देखकर विभिन्न देशों से आए मेहमान भी खुद को रोक नहीं पाए और नृत्य करने लगे. इसके बाद सभी शेरपा रणकपुर के लिए रवाना हो गए.
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गुलाब का फूल देकर किया स्वागतः करीब 50 किमी का सफर पूरा कर शेरपा करीब 3.30 बजे रणकपुर के पास होटल (G20 Sherpa Visits Ranakpur Jain Mandir) फताहबाग पहुंचे. यहां शेरपाओं ने लजीज व्यंजनों का स्वाद लिया. इसके बाद काफिला रणकपुर पहुंचा, जहां सेठ आनंदी कल्याणजी ट्रस्ट के ट्रस्टी ने गुलाब फूल से शेरपाओं का सादगी के साथ स्वागत किया. इसके बाद शेरपाओं ने मंदिर में प्रवेश किया. मंदिर के पिल्लरों, सभामण्डप के भीतर पत्थर में उकेरी शिल्प कला को देख वो अभिभूत हो उठे. सूर्यास्त के साथ ही शेरपाओं का काफिला उदयपुर के लिए प्रस्थान किया. जैन मंदिर के नक्काशी युक्त विशाल पाषाण स्तंभों और आकर्षक कलाकृतियों को देखकर विदेशी मेहमानों ने भारत के प्राचीनतम कला कौशल को विश्व भर में अद्भुत बताया. मीडिया से बात करते हुए अलग-अलग शेरपा ने भारत के अपने अनुभव साझा किए और इन अनुभवों को लाजवाब बताया.
दुर्ग का इतिहासः कुम्भलगढ़ के किले को राणा कुंम्भा ने 15वीं शताब्दी में बनाया था. कुम्भलगढ़ किले को कभी जीता नहीं जा सकता था. इसके सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक किले का आक्रामक या शत्रुतापूर्ण परिदृश्य है. 36 किमी लंबी एक मोटी दीवार से यह किला घिरा हुआ है. दीवार की परिधि चीन की महान दीवार के बाद सबसे लंबी मानी जाती है. दीवार अरावली पहाड़ों में फैली हुई है.
रणकपुर जैन मंदिर का इतिहासः यह परिसर लगभग 40000 वर्ग फीट में फैला है. करीब 600 वर्ष पूर्व 1446 विक्रम संवत में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला. इसके निर्माण में करीब 99 लाख रुपए का खर्च आया था. मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं. मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियां हैं. करीब 72 इंच ऊंची ये मूर्तियां चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं. इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है.
इसके अलावा मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्रार्थना कक्ष तथा चार बड़े पूजन स्थल हैं. मंदिर के सैकड़ों खंभे इसकी प्रमुख विशेषता हैं. इनकी संख्या करीब 1444 है. जिस तरफ भी दृष्टि जाती है छोटे-बड़े आकारों के खम्भे दिखाई देते हैं. लेकिन ये खम्भे इस प्रकार बनाए गए हैं कि कहीं से भी देखने पर मुख्य पवित्र स्थल के 'दर्शन' में बाधा नहीं पहुंचती है.
कल लौटेंगे शेरपाः भारत के शेरपा अमिताभ कांत के अनुसार दुनिया भर से उदयपुर आए जी20 शेरपा के 43 प्रतिनिधि गुरुवार सुबह उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.