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बंगाल के पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी को भाजपा से निकाले जाने की संभावना

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले राजीव बनर्जी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण दो बार आगाह किया गया था, लेकिन इसका शायद ही कोई असर हुआ.

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Published : Aug 8, 2021, 10:39 PM IST

कोलकाता : भाजपा की अनुशासन समिति के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि उन्हें दो कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने उनमें से एक का भी जवाब नहीं दिया है. इसलिए उम्मीद है कि वह पार्टी में बने रहने को तैयार नहीं हैं.

सदस्य ने कहा कि वह भाजपा के सदस्य बने हुए हैं और विपक्षी पार्टी के नेताओं के साथ गुप्त बैठकें करते हैं. यह पार्टी विरोधी गतिविधियों के बराबर है. इसलिए, अब हम एक बड़ा निर्णय लेने के लिए दृढ़ हैं, जिसकी घोषणा एक या दो सप्ताह के भीतर की जाएगी.

इसलिए, इससे पहले कि बनर्जी भगवा ब्रिगेड छोड़ दें, पार्टी उन्हें निष्कासित करना चाहती है और जानकारी नई दिल्ली में पार्टी आलाकमान को भेज दिया गया है. अब अनुशासन समिति के सदस्यों को बस उनसे हरी झंडी का इंतजार है.

इसे भी पढ़ें : भाजपा नेता राजीव बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष से मुलाकात की

बनर्जी पिछली तृणमूल सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए तृणमूल छोड़ दी और डाेमजुर विधानसभा सीट से भगवा पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा, जहां से वह पहले विधायक थे, लेकिन हार गए. अपनी हार के तुरंत बाद, वह बागी बन गए और पार्टी विरोधी बयान देना या पार्टी की बैठकों से बचना शुरू कर दिया.

(आईएएनएस)

कोलकाता : भाजपा की अनुशासन समिति के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि उन्हें दो कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने उनमें से एक का भी जवाब नहीं दिया है. इसलिए उम्मीद है कि वह पार्टी में बने रहने को तैयार नहीं हैं.

सदस्य ने कहा कि वह भाजपा के सदस्य बने हुए हैं और विपक्षी पार्टी के नेताओं के साथ गुप्त बैठकें करते हैं. यह पार्टी विरोधी गतिविधियों के बराबर है. इसलिए, अब हम एक बड़ा निर्णय लेने के लिए दृढ़ हैं, जिसकी घोषणा एक या दो सप्ताह के भीतर की जाएगी.

इसलिए, इससे पहले कि बनर्जी भगवा ब्रिगेड छोड़ दें, पार्टी उन्हें निष्कासित करना चाहती है और जानकारी नई दिल्ली में पार्टी आलाकमान को भेज दिया गया है. अब अनुशासन समिति के सदस्यों को बस उनसे हरी झंडी का इंतजार है.

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बनर्जी पिछली तृणमूल सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए तृणमूल छोड़ दी और डाेमजुर विधानसभा सीट से भगवा पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा, जहां से वह पहले विधायक थे, लेकिन हार गए. अपनी हार के तुरंत बाद, वह बागी बन गए और पार्टी विरोधी बयान देना या पार्टी की बैठकों से बचना शुरू कर दिया.

(आईएएनएस)

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