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वर्ल्ड एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स: देवेंद्र झाझड़िया ने जीता सिल्वर, कहा-पिछले 20 साल में उपलब्धियों के साथ संघर्ष भी रहा

राजस्थान के देवेंद्र झाझड़िया ने मोरक्को के मारकेच सिटी में (World Para Athletics Grand Prix)आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में भाला फेंक में रजत पदक हासिल किया है. वहीं, भारत के ही अजित कुमार ने 64 मीटर जैवलिन फेंककर स्वर्ण पदक देश के नाम किया है.

Jhajharia bags silver in Javelin Throw in Morocco, World Para Athletics Grand Prix
देवेंद्र झाझड़िया ने जीता सिल्वर.
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Published : Sep 17, 2022, 6:29 PM IST

जयपुर. देश के स्टार जैवलिन थ्रोअर, खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझड़िया ने मोरक्को के मारकेच सिटी में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में भाला फेंक में रजत पदक जीतकर एक बार फिर देश का नाम रौशन किया है. 40 वर्षीय देवेंद्र ने 60.97 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर रजत पदक अपने नाम किया. जबकि भारत के ही अजित कुमार ने 64 मीटर जैवलिन फेंककर स्वर्ण पदक जीता.

सिल्वर मेडल से उत्साहित झाझड़िया ने कहा कि वर्ष 2002 में उन्होंने दक्षिण कोरिया में (World Para Athletics Grand Prix) पैरा एशियन गेम्स में गोल्ड के रूप में करियर का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता था. आज 20 साल बाद पदक जीतकर गर्व की अनुभूति हो रही है. लगातार 20 साल तक देश के लिए पदक जीतना गौरवान्वित करता है.

देवेंद्र झाझड़िया ने जीता सिल्वर.

देवेंद्र ने कहा कि हर किसी के जीवन में एज फेक्टर होता है और खिलाड़ियों के लिए तो खास तौर पर होता है. लेकिन आप अपने समर्पण, सूझबूझ और मेहनत से इसका असर कम कर सकते हैं. बढ़ती उम्र के साथ रिकवरी मुश्किल से होती है तो यह ध्यान रखना होता है कि कैसे कम से कम इंजरी हो. आपको याद रखना पड़ता है कि आप 40 पार कर चुके हैं और आपका मुकाबला 20 साल वाले युवाओं के साथ है.

पढ़ें. National Javelin Throw Day: राजस्थान के इन खिलाड़ियों ने लहराया जेवलिन थ्रो में परचम

देवेंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय कोच सुनील तंवर, फिटनेस कोच लक्ष्य बत्रा को देते हुए कहा (Jhajharia bags silver in Javelin Throw in Morocco) कि भारत सरकार की टाॅप स्कीम में फिनलैंड में की गई ट्रेनिंग काफी मददगार रही. इसके बाद गांधी नगर में भी लगातार ट्रेनिंग कर रहा हूं. सरकार पूरा खर्च उठा रही है. यहां तक कि कोच और फिटनेस कोच भारत सरकार के खर्चे पर मेरे साथ हैं.

उपलब्धियों के साथ संघर्ष भी रहा : देवेंद्र ने कहा कि 20 साल के इस सफर में उपलब्धियां (Devendra Jhajharia in Morocco World Para Athletics) हैं तो संघर्ष भी खूब रहा है. कभी इंजरी ने परेशान किया तो कभी ओलंपिक में जेवलिन थ्रो का इवेंट ही नहीं रहा. लेकिन फोकस सिर्फ गेम पर ही रहा कि देश के लिए खेलना है. इसी का नतीजा है कि इस पदक तक हम पहुंचे हैं.

पढ़ें. Exclusive Interview: जिम्मेदारियां बढ़ीं, हर दिव्यांग के लिए प्रेरणा बनेगा यह सम्मान : देवेंद्र झझाड़िया

उन्होंने कहा कि कोई भी युवा यदि मेहनत करे और टारगेट पर फोकस रखें तो बिल्कुल सफल हो सकते हैं. भारत में स्पोर्ट्स का माहौल बदल रहा है. लोगों का स्पोर्ट्स और दिव्यांगों के प्रति नजरिया बदल रहा है. पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब के साथ अब खेलोगे कूदोगे तो बनोगे लाजवाब का नारा चल रहा है. राजस्थान के चूरू के मूल निवासी देवेंद्र झाझड़िया अनेक अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं. उन्हें अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री अवार्ड, सर्वोच्च खेल रत्न अवार्ड, पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

जयपुर. देश के स्टार जैवलिन थ्रोअर, खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझड़िया ने मोरक्को के मारकेच सिटी में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में भाला फेंक में रजत पदक जीतकर एक बार फिर देश का नाम रौशन किया है. 40 वर्षीय देवेंद्र ने 60.97 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर रजत पदक अपने नाम किया. जबकि भारत के ही अजित कुमार ने 64 मीटर जैवलिन फेंककर स्वर्ण पदक जीता.

सिल्वर मेडल से उत्साहित झाझड़िया ने कहा कि वर्ष 2002 में उन्होंने दक्षिण कोरिया में (World Para Athletics Grand Prix) पैरा एशियन गेम्स में गोल्ड के रूप में करियर का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता था. आज 20 साल बाद पदक जीतकर गर्व की अनुभूति हो रही है. लगातार 20 साल तक देश के लिए पदक जीतना गौरवान्वित करता है.

देवेंद्र झाझड़िया ने जीता सिल्वर.

देवेंद्र ने कहा कि हर किसी के जीवन में एज फेक्टर होता है और खिलाड़ियों के लिए तो खास तौर पर होता है. लेकिन आप अपने समर्पण, सूझबूझ और मेहनत से इसका असर कम कर सकते हैं. बढ़ती उम्र के साथ रिकवरी मुश्किल से होती है तो यह ध्यान रखना होता है कि कैसे कम से कम इंजरी हो. आपको याद रखना पड़ता है कि आप 40 पार कर चुके हैं और आपका मुकाबला 20 साल वाले युवाओं के साथ है.

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देवेंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय कोच सुनील तंवर, फिटनेस कोच लक्ष्य बत्रा को देते हुए कहा (Jhajharia bags silver in Javelin Throw in Morocco) कि भारत सरकार की टाॅप स्कीम में फिनलैंड में की गई ट्रेनिंग काफी मददगार रही. इसके बाद गांधी नगर में भी लगातार ट्रेनिंग कर रहा हूं. सरकार पूरा खर्च उठा रही है. यहां तक कि कोच और फिटनेस कोच भारत सरकार के खर्चे पर मेरे साथ हैं.

उपलब्धियों के साथ संघर्ष भी रहा : देवेंद्र ने कहा कि 20 साल के इस सफर में उपलब्धियां (Devendra Jhajharia in Morocco World Para Athletics) हैं तो संघर्ष भी खूब रहा है. कभी इंजरी ने परेशान किया तो कभी ओलंपिक में जेवलिन थ्रो का इवेंट ही नहीं रहा. लेकिन फोकस सिर्फ गेम पर ही रहा कि देश के लिए खेलना है. इसी का नतीजा है कि इस पदक तक हम पहुंचे हैं.

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उन्होंने कहा कि कोई भी युवा यदि मेहनत करे और टारगेट पर फोकस रखें तो बिल्कुल सफल हो सकते हैं. भारत में स्पोर्ट्स का माहौल बदल रहा है. लोगों का स्पोर्ट्स और दिव्यांगों के प्रति नजरिया बदल रहा है. पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब के साथ अब खेलोगे कूदोगे तो बनोगे लाजवाब का नारा चल रहा है. राजस्थान के चूरू के मूल निवासी देवेंद्र झाझड़िया अनेक अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं. उन्हें अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री अवार्ड, सर्वोच्च खेल रत्न अवार्ड, पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

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