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समीर वानखेड़े को मिली राहत, हाईकोर्ट ने नवाब मलिक के बयानबाजी पर लगाई रोक

आखिरकार एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े के परिवार को थोड़ी राहत मिली. बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवाब मलिक के बयानबाजी पर रोक लगा दी. मलिक पिछले कई दिनों से लगातार वानखेड़े और उनके परिवार पर निजी आक्षेप लगा रहे थे. कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मलिक ने द्वेष में आकर ट्वीट किये थे.

ज्ञानदेव वानखेड़े
ज्ञानदेव वानखेड़े
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Published : Nov 25, 2021, 7:37 AM IST

Updated : Nov 25, 2021, 5:05 PM IST

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ से महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को झटका लगा है. कोर्ट ने मलिक को एनसीबी मुंबई के जोनल अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ अनावश्यक बयानबाजी करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट अब इस मसले पर नौ दिसंबर कोे सुनवाई करेगी.

सुनवाई के दौरान अदालत ने मंत्री से पूछा था कि क्या उन्होंने वानखेड़े की जातीय पहचान के खिलाफ अपने आरोपों के संबंध में जाति संवीक्षा समिति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है और यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया है कि तो फिर 'मीडिया में प्रचार' के पीछे क्या मंशा है. अदालत ने कहा कि मंत्री को यह चीज शोभा नहीं देती. अदालत की इस टिप्पणी पर मलिक ने उक्त आश्वासन दिया.

पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मलिक ने द्वेष में आकर ट्वीट किये थे. उच्च न्यायालय ने सवाल किया, 'मंत्री ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? हम यह जानना चाहते हैं. यह द्वेष के अलावा और कुछ नहीं है. कृपया शब्दकोश में द्वेष का अर्थ पढ़ें.' हाई कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई जारी रहने तक वानखेड़े के परिवार के खिलाफ किसी भी तरीके से बयानबाजी नहीं की जाएगी.

इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट की एकल पीठ ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को समीर वानखेड़े या उनके परिवार के खिलाफ टिप्पणी करने या सोशल मीडिया पोस्ट करने से रोकने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद ज्ञानदेव वानखेड़े ने खंडपीठ का रुख किया.

न्यायमूर्ति एसजे कथावाला के नेतृत्व वाली खंडपीठ के समक्ष उल्लेखित अपनी अपील में ज्ञानदेव वानखेड़े ने दलील दी कि चूंकि एकल-न्यायाधीश पीठ ने माना था कि समीर वानखेड़े के खिलाफ मलिक के बयान द्वेष से प्रेरित थे, इसलिए मंत्री को उनके और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से रोका जाना चाहिए था.

उन्होंने खंडपीठ से अनुरोध किया है कि उनकी अपील के अंतिम निपटारे तक हाई कोर्ट मलिक और उनके एजेंटों को वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक अस्थाई निषेधाज्ञा पारित करे. अपील में कहा गया है, वानखेड़े के खिलाफ मलिक द्वारा दिये गए बयान और सोशल मीडिया पोस्ट तथा समाचार चैनलों आदि को दिए गए साक्षात्कार बेहद अपमानजनक थे क्योंकि इसमें गलत तथ्य, आक्षेप और निष्कर्ष शामिल थे.

बता दें, बीते सोमवार को न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने एनसीपी नेता मलिक के खिलाफ वानखेड़े की मानहानि के वाद में उन्हें (वानखेड़े को) कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें- ज्ञानदेव वानखेड़े ने बंबई उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को दी चुनौती

पिछले महीने तीन अक्टूबर को मुंबई एनसीबी टीम द्वारा एक क्रूज जहाज से कथित तौर पर मादक पदार्थ जब्त किए जाने के बाद से नवाब मलिक, समीर वानखेड़े के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं.

(एजेंसी इनपुट)

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ से महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को झटका लगा है. कोर्ट ने मलिक को एनसीबी मुंबई के जोनल अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ अनावश्यक बयानबाजी करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट अब इस मसले पर नौ दिसंबर कोे सुनवाई करेगी.

सुनवाई के दौरान अदालत ने मंत्री से पूछा था कि क्या उन्होंने वानखेड़े की जातीय पहचान के खिलाफ अपने आरोपों के संबंध में जाति संवीक्षा समिति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है और यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया है कि तो फिर 'मीडिया में प्रचार' के पीछे क्या मंशा है. अदालत ने कहा कि मंत्री को यह चीज शोभा नहीं देती. अदालत की इस टिप्पणी पर मलिक ने उक्त आश्वासन दिया.

पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मलिक ने द्वेष में आकर ट्वीट किये थे. उच्च न्यायालय ने सवाल किया, 'मंत्री ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? हम यह जानना चाहते हैं. यह द्वेष के अलावा और कुछ नहीं है. कृपया शब्दकोश में द्वेष का अर्थ पढ़ें.' हाई कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई जारी रहने तक वानखेड़े के परिवार के खिलाफ किसी भी तरीके से बयानबाजी नहीं की जाएगी.

इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट की एकल पीठ ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को समीर वानखेड़े या उनके परिवार के खिलाफ टिप्पणी करने या सोशल मीडिया पोस्ट करने से रोकने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद ज्ञानदेव वानखेड़े ने खंडपीठ का रुख किया.

न्यायमूर्ति एसजे कथावाला के नेतृत्व वाली खंडपीठ के समक्ष उल्लेखित अपनी अपील में ज्ञानदेव वानखेड़े ने दलील दी कि चूंकि एकल-न्यायाधीश पीठ ने माना था कि समीर वानखेड़े के खिलाफ मलिक के बयान द्वेष से प्रेरित थे, इसलिए मंत्री को उनके और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से रोका जाना चाहिए था.

उन्होंने खंडपीठ से अनुरोध किया है कि उनकी अपील के अंतिम निपटारे तक हाई कोर्ट मलिक और उनके एजेंटों को वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक अस्थाई निषेधाज्ञा पारित करे. अपील में कहा गया है, वानखेड़े के खिलाफ मलिक द्वारा दिये गए बयान और सोशल मीडिया पोस्ट तथा समाचार चैनलों आदि को दिए गए साक्षात्कार बेहद अपमानजनक थे क्योंकि इसमें गलत तथ्य, आक्षेप और निष्कर्ष शामिल थे.

बता दें, बीते सोमवार को न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने एनसीपी नेता मलिक के खिलाफ वानखेड़े की मानहानि के वाद में उन्हें (वानखेड़े को) कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें- ज्ञानदेव वानखेड़े ने बंबई उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को दी चुनौती

पिछले महीने तीन अक्टूबर को मुंबई एनसीबी टीम द्वारा एक क्रूज जहाज से कथित तौर पर मादक पदार्थ जब्त किए जाने के बाद से नवाब मलिक, समीर वानखेड़े के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Nov 25, 2021, 5:05 PM IST
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