ETV Bharat / bharat

जन औषधि परियोजना के तहत मरीजों तक दवाएं पहुंचा रहे फार्मासिस्ट - प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन है. सरकार लॉकडाउन में लोगों की हर संभव मदद कर रही है. इसी क्रम में फार्मासिस्ट पीएमबीजेपी के तहत मरीजों और बुजर्गों के दरवाजों तक अनिवार्य सेवाएं और दवाएं पहुंचा रहे हैं. वर्तमान में देशभर में 6300 से अधिक पीएबीजेके कार्यरत हैं. पढ़ें पूरी खबर...

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
author img

By

Published : Apr 8, 2020, 11:43 AM IST

Updated : Apr 8, 2020, 12:06 PM IST

नई दिल्ली : फार्मासिस्ट, जो प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के 'स्वास्थ्य के सिपाही' नाम से लोकप्रिय हैं, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत लॉकडाउन के दौरान मरीजों एवं बुजुर्गों के दरवाजों तक अनिवार्य सेवाएं और दवाएं पहुंचा रहे हैं.

फार्मासिस्ट प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के एक हिस्से के रूप में कार्य कर रहे हैं. वह कोरोना महामारी से लड़ने के लिए देश के आम लोगों एवं बुजुर्गों के दरवाजों तक किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के जरिए अनिवार्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं. इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सरकार की पहल को सहायता मिल रही है.

पीएमबीजेके का संचालन भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल विभाग के तहत ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) द्वारा जरूरतमंद लोगों को गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के ध्येय से किया जा रहा है. वर्तमान में, देश के 726 जिलों को कवर करते हुए देश भर में 6300 से अधिक पीएमबीजेएके कार्यरत हैं.

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, भारत सरकार ने देशभर में 21 दिनों यानी 14अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा की है. ऐसे समय में, पीएमबीजेके अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं उन्हें उनके दरवाजों तक वितरित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

सरकार की विज्ञप्ति में 'स्वास्थ्य के सिपाही' ने अपना अनुभव साझा करते हुए एक बुजुर्ग महिला के बारे में बताया, जिसकी सहायता के लिए पीएमबीजेके पहाड़िया को वाराणसी बुलाया गया.

फार्मासिस्ट ने कहा, 'बुजुर्ग महिला वाराणसी में अपने पति के साथ अकेले रहती है और उसकी दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया था. उसके शारीरिक संचालन को बनाए रखने के लिए इन दवाओं का उपयोग बेहद आवश्यक था.'

फार्मासिस्ट उस दंपती की सहायता करने से खुद को रोक नहीं पाया. उसने वह सारी दवाएं लीं, जो उस महिला ने कहा था और उस महिला के दरवाजे पर जा पहुंचा. तब से ही, वह फार्मासिस्ट बीमारों और बुजुर्गों के दरवाजों तक दवाएं पहुंचा रहा है.

पढ़ें : 152 लाइफलाइन उड़ानों ने पूरे भारत में चिकित्सीय सामग्री पहुंचाई

गुरुग्राम में एक केंद्रीय वेयरहाउस, गुवाहाटी एवं चेन्नई में दो क्षेत्रीय वेयरहाउस तथा लगभग 50 वितरक देशभर में सभी केंद्रों को दवाओं की अधिशेष आपूर्ति की दिशा में कार्य कर रहे हैं. दवाओं की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए और किसी स्टॉक आउट स्थिति से बचने के लिए बनाया गया एक मजबूत एसएपी आधारित एंड टू एंड प्वाइंट आफ सेल्स साफ्टवेयर 'जन औषधि सुगम' भी आम लोगों के लिए उपलब्ध है, जिससे कि वह निकटतम केंद्र और कीमत के साथ दवाओं की उपलब्धता का पता लगा सके. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर और आई-फोन स्टोर से भी डाउनलोड किया जा सकता है.

लॉकडाउन की अवधि में, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) लोगों को खुद को कोरोना वायरस से बचाने में मदद करने के लिए उनके सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सूचना संबंधी पोस्ट के जरिये जागरूकता सृजित कर रही है. आप फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर फॉलो करके अपडेट भी प्राप्त कर सकते हैं.

नई दिल्ली : फार्मासिस्ट, जो प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के 'स्वास्थ्य के सिपाही' नाम से लोकप्रिय हैं, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत लॉकडाउन के दौरान मरीजों एवं बुजुर्गों के दरवाजों तक अनिवार्य सेवाएं और दवाएं पहुंचा रहे हैं.

फार्मासिस्ट प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के एक हिस्से के रूप में कार्य कर रहे हैं. वह कोरोना महामारी से लड़ने के लिए देश के आम लोगों एवं बुजुर्गों के दरवाजों तक किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के जरिए अनिवार्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं. इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सरकार की पहल को सहायता मिल रही है.

पीएमबीजेके का संचालन भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल विभाग के तहत ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) द्वारा जरूरतमंद लोगों को गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के ध्येय से किया जा रहा है. वर्तमान में, देश के 726 जिलों को कवर करते हुए देश भर में 6300 से अधिक पीएमबीजेएके कार्यरत हैं.

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, भारत सरकार ने देशभर में 21 दिनों यानी 14अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा की है. ऐसे समय में, पीएमबीजेके अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं उन्हें उनके दरवाजों तक वितरित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

सरकार की विज्ञप्ति में 'स्वास्थ्य के सिपाही' ने अपना अनुभव साझा करते हुए एक बुजुर्ग महिला के बारे में बताया, जिसकी सहायता के लिए पीएमबीजेके पहाड़िया को वाराणसी बुलाया गया.

फार्मासिस्ट ने कहा, 'बुजुर्ग महिला वाराणसी में अपने पति के साथ अकेले रहती है और उसकी दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया था. उसके शारीरिक संचालन को बनाए रखने के लिए इन दवाओं का उपयोग बेहद आवश्यक था.'

फार्मासिस्ट उस दंपती की सहायता करने से खुद को रोक नहीं पाया. उसने वह सारी दवाएं लीं, जो उस महिला ने कहा था और उस महिला के दरवाजे पर जा पहुंचा. तब से ही, वह फार्मासिस्ट बीमारों और बुजुर्गों के दरवाजों तक दवाएं पहुंचा रहा है.

पढ़ें : 152 लाइफलाइन उड़ानों ने पूरे भारत में चिकित्सीय सामग्री पहुंचाई

गुरुग्राम में एक केंद्रीय वेयरहाउस, गुवाहाटी एवं चेन्नई में दो क्षेत्रीय वेयरहाउस तथा लगभग 50 वितरक देशभर में सभी केंद्रों को दवाओं की अधिशेष आपूर्ति की दिशा में कार्य कर रहे हैं. दवाओं की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए और किसी स्टॉक आउट स्थिति से बचने के लिए बनाया गया एक मजबूत एसएपी आधारित एंड टू एंड प्वाइंट आफ सेल्स साफ्टवेयर 'जन औषधि सुगम' भी आम लोगों के लिए उपलब्ध है, जिससे कि वह निकटतम केंद्र और कीमत के साथ दवाओं की उपलब्धता का पता लगा सके. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर और आई-फोन स्टोर से भी डाउनलोड किया जा सकता है.

लॉकडाउन की अवधि में, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) लोगों को खुद को कोरोना वायरस से बचाने में मदद करने के लिए उनके सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सूचना संबंधी पोस्ट के जरिये जागरूकता सृजित कर रही है. आप फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर फॉलो करके अपडेट भी प्राप्त कर सकते हैं.

Last Updated : Apr 8, 2020, 12:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.