कोटा : कोयले की कमी के चलते बिजलीघरों में उत्पादन प्रभावित हुआ है. प्रदेश में कई जगह कटौती भी की जा रही है. कोटा ही ऐसा एरिया है, जो बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर भी है और दूसरे इलाकों को बिजली सप्लाई भी कर रहा है.
देश भर में यह एकमात्र ऐसा इलाका है, जहां पर कुछ ही किलोमीटर की दूरी में 6 अलग तरह से बिजली उत्पादन हो रहा है. इनमें न्यूक्लियर पावर से लेकर पानी, कोयला, गैस, बॉयोमास और सोलर से भी बिजली उत्पादित की जा रही है. न्यूक्लियर से यहां पर 1080, गैस से 419, पानी से 277, सोलर से 80 से बॉयोमास से 23 मेगावाट बिजली बन रही है.
जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के चीफ इंजीनियर पद से रिटायर्ड क्षेमराज मीणा का कहना है कि कोटा संभाग बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर है. यहां न्यूक्लियर पावर, कोयले से आधारित पावर हाउस, हाइड्रल पावर, गैस प्लांट और घरेलू सोलर प्लांट्स हैं. उन्होंने कहा कि सोलर बिजली उत्पादन के क्षेत्र में कोटा में अच्छी संभावनाएं हैं.
चार बड़े थर्मल प्लांट कोटा में, 6080 मेगावॉट क्षमता
कोयले से बिजली उत्पादन में कोटा संभाग अग्रणी है. यहां 4 बड़े पावर प्लांट हैं. जिनकी कुल क्षमता 6080 मेगावाट है. जिसमें सबसे पुराना कोटा थर्मल पावर स्टेशन है. जिसकी 7 यूनिट्स की कुल क्षमता 1240 मेगावाट है. इसके बाद में छबड़ा में ही थर्मल की दो अलग-अलग प्लांट स्थापित है. जिनमें एक ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस और दूसरी सुपरक्रिटिकल है. दोनों इकाइयों की कुल क्षमता 2320 मेगावाट है. इसके बाद झालावाड़ जिले में भी कालीसिंध थर्मल प्लांट स्थित है. जिसमें 600 - 600 मेगावाट की दो इकाइयां स्थापित हैं.
यहां कुल क्षमता 1200 मेगावाट है. साथ ही इसी तरह से बारां जिले के कवाई में भी निजी स्तर पर अडाणी ने एक पावर प्लांट लगाया है, जिसकी कैपेसिटी 1320 मेगावाट है. यहां 660 -660 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट उत्पादन कर रही हैं.
गैस नहीं मिलने पर नैप्था से उत्पादन
बारां जिले के अंता में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन का एक 419 मेगावाट क्षमता का प्लांट स्थापित है. जिसमें 4 इकाई स्थापित की गई हैं. पहली तीन इकाई 1989 में स्थापित की गई थी. जिसकी क्षमता 90 मेगावाट है, जबकि चौथी इकाई 1990 में 149 मेगावाट क्षमता की इकाई स्थापित की गई थी. यहां पर पाइपलाइन के जरिए नेचुरल गैस लाई जाती है. जिससे बिजली बनाई जा रही है. गैस की उपलब्धता कम रहने पर नैप्था से भी बिजली बनाई जाती है.
वर्तमान में कोयले की कमी के चलते गैस प्लांट पूरी क्षमता से चल रहा है. नैचुरल गैस से उत्पादन हो रहा है. नैप्था की बिजली महंगी पड़ती है.
वहीं अंता एनटीपीसी का विस्तार होना था, यहां पर दूसरे फेज के लिए अन्य इकाइयां स्थापित होनी थी, इसके लिए जमीन भी अधिग्रहित की हुई थी. एक सोलर प्लांट बड़े स्तर पर लगाया जा रहा है, जो 90 मेगावाट क्षमता से बिजली उत्पादन करेगा. इसके लिए पहले से अधिग्रहित जगह पर बाउंड्री वॉल बनाकर भूमि को समतल किया जा रहा है.
रावतभाटा में न्यूक्लियर पावर
रावतभाटा भौगोलिक दृष्टि से चित्तौड़गढ़ जिले का हिस्सा है, लेकिन कोटा यहां से नजदीक पड़ता है. रावतभाटा न्यूक्लियर पावर प्लांट और राणा प्रताप सागर बांध के सभी कार्य कोटा से ही होते हैं. रावतभाटा में 1080 मेगावाट क्षमता के न्यूक्लियर पावर स्टेशन स्थापित है. यह न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अधीन है. जिसमें 6 यूनिट वर्तमान में स्थापित थी, लेकिन एक नंबर यूनिट जो कि 100 मेगावाट की थी. उससे उत्पादन नहीं लिया जा रहा है. इसके अलावा दो नंबर इकाई 200 मेगावाट क्षमता की है. वहीं 3 से लेकर 6 नंबर तक की 4 यूनिट 220 मेगावाट क्षमता की है. साथ ही 700-700 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयों का निर्माण जारी है.
पानी से बिजली के तीन प्लांट, 277 मेगावाट क्षमता
चंबल नदी पर राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर बांध में भी हाइड्रो पावर स्टेशन स्थापित किए गए हैं. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के डिप्टी चीफ इंजीनियर एनएस खंगारोत के अनुसार उनके अधीन तीन हाइड्रो पावर स्टेशन आते हैं. जिनमें 1968 में स्थापित राणा प्रताप सागर बांध पर 172 मेगावॉट क्षमता है. जिनमें 43 मेगावाट की 4 यूनिट स्थापित हैं. इसके अलावा जवाहर सागर पर 1972 में स्थापित बिजलीघर की 99 मेगावाट कैपेसिटी है. जिसके लिए 33 मेगावाट की 3 यूनिट हैं. वहीं लिफ्ट कैनाल के जरिए मांगरोल में 6 मेगावाट का प्लांट लगा है. जिसके लिए 2 मेगावाट की तीन यूनिट स्थापित हैं. इन तीनों की क्षमता 277 मेगावाट है. जिनसे अक्टूबर से मार्च के बीच में नहर चलने पर उत्पादन लिया जाता है. साथ ही जब फ्लड आता है और डैम से पानी की निकासी होती है, तब भी बिजली का उत्पादन लिया जाता है. अभी तक की बात की जाए तो वर्ष 2001 से अभी तक 115784 लाख यूनिट उत्पादन हुआ है.
रिन्यूएबल (बॉयोमास) एनर्जी : तीन प्लांट 23 मेगावाट क्षमता
रिन्यूएबल एनर्जी से भी हाड़ौती में बिजली उत्पादित की जा रही है. संभाग की बात की जाए तो दो प्लांट बारां और एक कोटा जिले में स्थित है. कोटा का प्लांट शहर के नजदीक रंगपुर गांव में स्थित है. कोटा के प्लांट की कैपिसिटी 7.5 मेगावॉट है. जबकि बारां जिले के छीपाबड़ौद तहसील के पछाड़ व किशनगंज तहसील के भंवरगढ़ में 8-8 मेगा वाट कैपेसिटी के प्लांट हैं. ये तीनों प्लांट सरकारी स्तर पर बिजली सरकार को मुहैया करवा रहे हैं. सूर्या चंबल पावर लिमिटेड कोटा रंगपुर सीएफओ व यूनिट हेड गिरीश अग्रवाल का कहना है कि हर साल उनका प्लांट करीब 500 लाख यूनिट बिजली बना रहा है. इनके अलावा भी इंडस्ट्रियल इकाइयों में छोटे-छोटे कई प्लांट स्थित हैं, जो अपने स्तर पर ही बिजली उत्पादन करके कारखानों में उपयोग ले रहे हैं.
सोलर से हर माह 23 लाख यूनिट बिजली, 80 मेगावाट क्षमता
जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के जोनल चीफ इंजीनियर आरके जीनवाल का कहना है कि हाड़ौती संभाग में चारों जिलों से घरों पर रूफटॉप या अन्य सोलर यंत्रों के जरिए बिजली लोग उपयोग में ले रहे हैं. उनका कहना है कि करीब 23 लाख यूनिट बिजली हर महीने उपभोक्ता जनरेट कर रहे हैं. जिसमें से अधिकांश का उपयोग उपभोक्ता खुद ही कर लेते हैं.
वहीं अन्य बिजली को वे जेवीवीएनएल को इंपोर्ट करवा देते हैं. कोटा शहर की बात की जाए तो यह आंकड़ा साढ़े 5 लाख यूनिट का है. साथ ही संभाग में कोटा शहर को छोड़कर साढ़े 17 लाख यूनिट का है. पूरे हाड़ौती संभाग की बात की जाए तो इस हिसाब से करीब 80 मेगावाट क्षमता के प्लांट यहां स्थापित हैं.
कोटा संभाग में बिजली उत्पादन
एनर्जी सोर्स | क्षमता (मेगावॉट) |
कोयला | 6080 |
न्यूक्लियर | 1080 |
गैस | 419 |
पानी | 277 |
सोलर | 80 |
रिन्यूएबल (बायोमास) | 23 |
कुल | 7959 |