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अपनों के लिए तड़पती काशीबाई ने मौत से पहले डोनेट की बॉडी, ऐसी रही विदाई

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Published : Jan 17, 2023, 9:08 AM IST

Updated : Jan 17, 2023, 9:24 AM IST

श्रीहरि वृद्ध आश्रम काशीबाई दांगी के लिए उस समय वरदान बन गया था. जब वह अपने परिवार के सभी रिश्तेदारों की उपेक्षा के कारण जानवरों की सार में सोती रहीं और अपने गांव हथिया खेड़ी में बर्तन मांज कर अपना जीवन व्यतीत करती रही.

Vidisha Srihari Old Age Home
विदिशा श्रीहरि वृद्धाश्रम
विदिशा श्रीहरि वृद्धाश्रम

विदिशा। शहर के श्रीहरि वृद्धाश्रम में रहने वाली 85 वर्षीय काशीबाई दांगी का सोमवार के दिन राजीव गांधी आयुर्वेद महाविद्यालय भोपाल में देहदान किया गया. वे अपने सभी रिश्तेदारों की उपेक्षा के कारण गोशाला में सोती थीं. अपने गांव हथियाखेड़ी में बर्तन साफकर अपना जीवन काट रही थी. काशीबाई मूलत: हर्जाखेड़ी गुलाबगंज की रहने वाली थी. वे अपने पति की मौत के बाद भांजा दामाद के यहां चली गई थी. यहां परिवार के लोग उन्हें बोझ समझते थे. परिजनों के व्यवहार के कारण वह गांव के सरपंच दशरथ सिंह दांगी के यहां रहने लगीं थी. उन्हीं की दहलान और गोशाला सोती थी.महाविद्यालय के प्राचार्य भगवतीप्रसाद शर्मा, प्राध्यापक दिलीप धनोलिया, प्रो. प्रमोद बघेल, प्रो. काशीराम सोनवाने सहित देहदान के प्रणेता डॉ राकेश भार्गव, वृद्ध आश्रम अध्यक्ष इंदिरा शर्मा, संचालक वेदप्रकाश शर्मा सहित आश्रम स्टाफ ने उन्हें अंतिम विदाई दी.

अचेत अवस्था में कोई छोड़ा था: श्रीहरी वृद्ध आश्रम में कोई अज्ञात व्यक्ति उन्हें आश्रम के बाहर की सड़क पर अचेत अवस्था में छोड़ गया. उनके मुख से ग्राम हथिया खेड़ी सुनने पर आश्रम संचालक द्वारा पुलिस अधीक्षक, सी.एस.पी. जिला थाना कोतवाली में इसकी सूचना दी गई. पुलिस हस्तक्षेप के बाद उनके परिजन आश्रम आए और आश्रम प्रबन्धन को यह लिखकर दे गए कि, हमारा उनसे कोई करीबी नाता रिश्ता नहीं है. यह कथन उन्होंने स्वयं लिख कर दिया. इसके बाद से ही आश्रम प्रबंधन उनकी दिन रात सेवा सुश्रुता कर रहा था. आश्रम में वह अपने सभी करीबी रिश्तेदारों को बहुत याद करती रही. रोती रही तड़पती रही और उनसे मिलने के लिए उनकी आत्मा कराहती रही.

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काशीबाई ने मौत से पहले डोनेट की बॉडी

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गहन दुख और मानसिक तनाव: वह रो रो कर कहती थी कोई मुझे ढुकने तक नहीं आता. मैं क्या करूं बड़ी अभागन हूं गहन दुख और मानसिक तनाव के कारण और बीमार होने के कारण बीमार होने के कारण उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया. वहां स्थिति अत्यंत गम्भीर होने के कारण शासकीय अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया. यहां उनका इलाज किया गया. इसके बाद स्थिति बिगड़ने पर उन्होंने आश्रम में सेवा के लिए डिस्चार्ज कर दिया था. वृद्ध आश्रम प्रबंधन दिन रात उनकी सेवा में लगा रहा. काशीबाई दिन रात अपने रिशतेदारों को याद करती रहीं, अपनों के लिए तड़पती रहीं पर उन्हें देखने कोई नहीं आए. मृत्यु के पूर्व ही उन्होंने अपनी देहदान की इच्छा जाहिर की थी. सुबह चार बजे कार्डियक अरेस्ट के कारण चिकित्सा के दौरान उनका निधन हो गया था.

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विदिशा। शहर के श्रीहरि वृद्धाश्रम में रहने वाली 85 वर्षीय काशीबाई दांगी का सोमवार के दिन राजीव गांधी आयुर्वेद महाविद्यालय भोपाल में देहदान किया गया. वे अपने सभी रिश्तेदारों की उपेक्षा के कारण गोशाला में सोती थीं. अपने गांव हथियाखेड़ी में बर्तन साफकर अपना जीवन काट रही थी. काशीबाई मूलत: हर्जाखेड़ी गुलाबगंज की रहने वाली थी. वे अपने पति की मौत के बाद भांजा दामाद के यहां चली गई थी. यहां परिवार के लोग उन्हें बोझ समझते थे. परिजनों के व्यवहार के कारण वह गांव के सरपंच दशरथ सिंह दांगी के यहां रहने लगीं थी. उन्हीं की दहलान और गोशाला सोती थी.महाविद्यालय के प्राचार्य भगवतीप्रसाद शर्मा, प्राध्यापक दिलीप धनोलिया, प्रो. प्रमोद बघेल, प्रो. काशीराम सोनवाने सहित देहदान के प्रणेता डॉ राकेश भार्गव, वृद्ध आश्रम अध्यक्ष इंदिरा शर्मा, संचालक वेदप्रकाश शर्मा सहित आश्रम स्टाफ ने उन्हें अंतिम विदाई दी.

अचेत अवस्था में कोई छोड़ा था: श्रीहरी वृद्ध आश्रम में कोई अज्ञात व्यक्ति उन्हें आश्रम के बाहर की सड़क पर अचेत अवस्था में छोड़ गया. उनके मुख से ग्राम हथिया खेड़ी सुनने पर आश्रम संचालक द्वारा पुलिस अधीक्षक, सी.एस.पी. जिला थाना कोतवाली में इसकी सूचना दी गई. पुलिस हस्तक्षेप के बाद उनके परिजन आश्रम आए और आश्रम प्रबन्धन को यह लिखकर दे गए कि, हमारा उनसे कोई करीबी नाता रिश्ता नहीं है. यह कथन उन्होंने स्वयं लिख कर दिया. इसके बाद से ही आश्रम प्रबंधन उनकी दिन रात सेवा सुश्रुता कर रहा था. आश्रम में वह अपने सभी करीबी रिश्तेदारों को बहुत याद करती रही. रोती रही तड़पती रही और उनसे मिलने के लिए उनकी आत्मा कराहती रही.

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गहन दुख और मानसिक तनाव: वह रो रो कर कहती थी कोई मुझे ढुकने तक नहीं आता. मैं क्या करूं बड़ी अभागन हूं गहन दुख और मानसिक तनाव के कारण और बीमार होने के कारण बीमार होने के कारण उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया. वहां स्थिति अत्यंत गम्भीर होने के कारण शासकीय अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया. यहां उनका इलाज किया गया. इसके बाद स्थिति बिगड़ने पर उन्होंने आश्रम में सेवा के लिए डिस्चार्ज कर दिया था. वृद्ध आश्रम प्रबंधन दिन रात उनकी सेवा में लगा रहा. काशीबाई दिन रात अपने रिशतेदारों को याद करती रहीं, अपनों के लिए तड़पती रहीं पर उन्हें देखने कोई नहीं आए. मृत्यु के पूर्व ही उन्होंने अपनी देहदान की इच्छा जाहिर की थी. सुबह चार बजे कार्डियक अरेस्ट के कारण चिकित्सा के दौरान उनका निधन हो गया था.

Last Updated : Jan 17, 2023, 9:24 AM IST
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