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Navratri Fifth Day: विदिशा में है स्कंदमाता का विशाल मंदिर, श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी करती हैं मां - navratri Pujan Samagri

मां दुर्गा के पांचवें रूप को स्कंदमाता कहा जाता है. स्कंदमाता का स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में होता है. माता का वाहन शेर है और गोद में कार्तिकेय को धारण करती हैं. विदिशा में स्कंदमाता का विशाल मंदिर है. इस आर्टिकल में जानिये मंदिर के बारे में. (Navratri Fifth day) (Navratri fifth day Maa Skandamata) (Famous skandamata Temple in Vidisha) (skandamata Pooja Mantra Pujan Vidhi)

Navratri fifth day Maa Skandmata
विदिशा में है स्कंदमाता का विशाल मंदिर
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Published : Sep 30, 2022, 6:23 AM IST

विदिशा। पुराने बस स्टैंड स्थित सांकल कुआं के पास दुर्गाजी का विशाल मंदिर है. जिसके प्रति श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा है. इस मंदिर की स्थापना 1998 में हुई थी. इससे पहले लगभग 45 वर्ष तक यहां शारदीय नवरात्रि में दुर्गाजी की प्रतिमा स्थापित की जाती थी और भव्य झांकी लगाई जाती थी. यहां मां भगवती के नौ स्वरूपों में से पांचवा स्वरूप स्कंध माता विराजमान हैं.

विदिशा में है स्कंदमाता का विशाल मंदिर

विशेष श्रृंगार कर होती है महाआरती: पिछले 22 साल से यहां पूजन पाठ कर रहे पुजारी रामसेवक शर्मा बताते हैं कि ''यहां नवरात्रि में घट स्थापना होती है और नवरात्रि की पंचमी को माताजी का विशेष श्रृंगार कर महाआरती का आयोजन किया जाता है. इस दिन मंदिर में विशेष सज्जा भी की जाती है. आज यह मंदिर विदिशा के नागरिकों की श्रद्धा और आस्था का विशेष केंद्र है''.

Navratri fifth day Maa Skandmata
भक्तों की आस्था का केंद्र है मंदिर

45 वर्ष पहले से सार्वजनिक रूप से लगती थी झांकी: मंदिर के पुजारी पंडित राम सेवक शर्मा ने बताया कि 'स्कंदमाता मंदिर, सांकल कुआं, पुराना बस स्टैंड पर स्थित है. 40 से 45 वर्ष पहले से सार्वजनिक रूप से झांकी लगती थी. फिर कुछ मां की कृपा ऐसी हुई, भक्तों के मन में ऐसी ज्योत जगाई की उन्होंने मंदिर निर्माण का सोचा. जिसके बाद वहां मां स्कंदमाता को विराजमान किया गया. पहले यहां माता जी की प्रतिष्ठा हुई है. इसके बाद में फिर मंदिर को पूर्ण रूप दिया गया.

Skandmata Pooja Mantra Pujan Vidhi
मंदिर में जलती है अखंड ज्योति

मंदिर में जलती है अखंड ज्योति: मंदिर में प्रत्येक नवरात्रि में घटस्थापना होती है. सभी भक्तों के द्वारा सार्वजनिक रूप से मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है. नौ देवियों में से स्कंदमाता, देवी का पांचवा रूप हैं, इसलिए इनकी पंचमी के दिन विशेष भव्य आरती होती है. मंदिर में अखंड ज्योति जलती है. दस साल से अखंड ज्योति जल रही है. बाकी नवरात्रों में 51 ज्योति हो जाती है. भक्तों की मनोकामना पूर्ति के लिए यह ज्योतियां जलाई जाती है. झांकी में मां विराजमान रहती हैं. प्रति वर्ष अनुसार मंदिर के पास में स्कंदमाता की स्थापना होती है. पूजा अर्चना 9 दिन तक चलती है. उनकी सेवा उसी रुप से चल रही है जिस रूप से पहले चलती थी.

Skandmata Pooja Mantra Pujan Vidhi
श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी करती हैं मां स्कंदमाता

Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का चौथा दिन, मां कुष्मांडा की आराधना से मिलेगा मोक्ष का आशीर्वाद

कौन हैं मां स्कंदमाता: वासंती चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.

Famous Skandmata Temple in Vidisha
विदिशा में है स्कंदमाता का विशाल मंदिर

इसलिये विशेष है मां स्कंदमाता की आराधना : स्कंदमाता की उपासना से बाल रूप स्कंद भगवान की उपासना भी खुद से हो जाती है. यह विशेषता केवल मां स्कंदमाता को प्राप्त है. भक्तों को मां स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. आज के दिन व्रत उपवास और साधना करने के फलस्वरूप विशुद्ध चक्र जागृत होता है. आज के दिन माता को केले का फल विशेष रुप से प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. मां स्कंदमाता सूर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. विद्या वाहिनी दुर्गा हैं और अनेक मान्यताओं के अनुसार सनत कुमार की माता हैं. मां स्कंदमाता की आराधना के फलस्वरुप 16 कलाओं, 16 विभूतियों का जागरण होता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब, लाल पुष्प, लाल गुड़हल के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. मां स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं.

स्कंदमाता पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
  • स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें.
  • मां को रोली कुमकुम भी लगाएं.
  • मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं.
  • मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें.
  • मां की आरती अवश्य करें.

स्कंदमाता की आरती

  • जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
  • सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
  • तेरी ज्योति जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
  • कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
  • कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
  • हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
  • अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
  • इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
  • दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
  • दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई

(Navratri Fifth day) (Navratri fifth day Maa Skandamata) (Famous Skandamata Temple in Vidisha) (Skandamata Pooja Mantra Pujan Vidhi)

विदिशा। पुराने बस स्टैंड स्थित सांकल कुआं के पास दुर्गाजी का विशाल मंदिर है. जिसके प्रति श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा है. इस मंदिर की स्थापना 1998 में हुई थी. इससे पहले लगभग 45 वर्ष तक यहां शारदीय नवरात्रि में दुर्गाजी की प्रतिमा स्थापित की जाती थी और भव्य झांकी लगाई जाती थी. यहां मां भगवती के नौ स्वरूपों में से पांचवा स्वरूप स्कंध माता विराजमान हैं.

विदिशा में है स्कंदमाता का विशाल मंदिर

विशेष श्रृंगार कर होती है महाआरती: पिछले 22 साल से यहां पूजन पाठ कर रहे पुजारी रामसेवक शर्मा बताते हैं कि ''यहां नवरात्रि में घट स्थापना होती है और नवरात्रि की पंचमी को माताजी का विशेष श्रृंगार कर महाआरती का आयोजन किया जाता है. इस दिन मंदिर में विशेष सज्जा भी की जाती है. आज यह मंदिर विदिशा के नागरिकों की श्रद्धा और आस्था का विशेष केंद्र है''.

Navratri fifth day Maa Skandmata
भक्तों की आस्था का केंद्र है मंदिर

45 वर्ष पहले से सार्वजनिक रूप से लगती थी झांकी: मंदिर के पुजारी पंडित राम सेवक शर्मा ने बताया कि 'स्कंदमाता मंदिर, सांकल कुआं, पुराना बस स्टैंड पर स्थित है. 40 से 45 वर्ष पहले से सार्वजनिक रूप से झांकी लगती थी. फिर कुछ मां की कृपा ऐसी हुई, भक्तों के मन में ऐसी ज्योत जगाई की उन्होंने मंदिर निर्माण का सोचा. जिसके बाद वहां मां स्कंदमाता को विराजमान किया गया. पहले यहां माता जी की प्रतिष्ठा हुई है. इसके बाद में फिर मंदिर को पूर्ण रूप दिया गया.

Skandmata Pooja Mantra Pujan Vidhi
मंदिर में जलती है अखंड ज्योति

मंदिर में जलती है अखंड ज्योति: मंदिर में प्रत्येक नवरात्रि में घटस्थापना होती है. सभी भक्तों के द्वारा सार्वजनिक रूप से मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है. नौ देवियों में से स्कंदमाता, देवी का पांचवा रूप हैं, इसलिए इनकी पंचमी के दिन विशेष भव्य आरती होती है. मंदिर में अखंड ज्योति जलती है. दस साल से अखंड ज्योति जल रही है. बाकी नवरात्रों में 51 ज्योति हो जाती है. भक्तों की मनोकामना पूर्ति के लिए यह ज्योतियां जलाई जाती है. झांकी में मां विराजमान रहती हैं. प्रति वर्ष अनुसार मंदिर के पास में स्कंदमाता की स्थापना होती है. पूजा अर्चना 9 दिन तक चलती है. उनकी सेवा उसी रुप से चल रही है जिस रूप से पहले चलती थी.

Skandmata Pooja Mantra Pujan Vidhi
श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी करती हैं मां स्कंदमाता

Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का चौथा दिन, मां कुष्मांडा की आराधना से मिलेगा मोक्ष का आशीर्वाद

कौन हैं मां स्कंदमाता: वासंती चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.

Famous Skandmata Temple in Vidisha
विदिशा में है स्कंदमाता का विशाल मंदिर

इसलिये विशेष है मां स्कंदमाता की आराधना : स्कंदमाता की उपासना से बाल रूप स्कंद भगवान की उपासना भी खुद से हो जाती है. यह विशेषता केवल मां स्कंदमाता को प्राप्त है. भक्तों को मां स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. आज के दिन व्रत उपवास और साधना करने के फलस्वरूप विशुद्ध चक्र जागृत होता है. आज के दिन माता को केले का फल विशेष रुप से प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. मां स्कंदमाता सूर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. विद्या वाहिनी दुर्गा हैं और अनेक मान्यताओं के अनुसार सनत कुमार की माता हैं. मां स्कंदमाता की आराधना के फलस्वरुप 16 कलाओं, 16 विभूतियों का जागरण होता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब, लाल पुष्प, लाल गुड़हल के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. मां स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं.

स्कंदमाता पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
  • स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें.
  • मां को रोली कुमकुम भी लगाएं.
  • मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं.
  • मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें.
  • मां की आरती अवश्य करें.

स्कंदमाता की आरती

  • जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
  • सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
  • तेरी ज्योति जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
  • कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
  • कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
  • हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
  • अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
  • इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
  • दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
  • दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई

(Navratri Fifth day) (Navratri fifth day Maa Skandamata) (Famous Skandamata Temple in Vidisha) (Skandamata Pooja Mantra Pujan Vidhi)

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