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विदिशा में बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशियों ने कसी कमर, किसको मिलेगा जनता का साथ?

बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाली विदिशा लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है. कांग्रेस ने इस सीट से इछावर के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल को उम्मीदवार बनाया है. तो बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के खेमे से आने वाले नेता रमाकांत भार्गव को मैदान में उतारा है.

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Published : Apr 23, 2019, 7:57 PM IST

विदिशा लोकसभा सीट

विदिशा। मध्यप्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट विदिशा पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है. कांग्रेस ने इस सीट से इछावर के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल को बीजेपी का किला ठहाने की जिम्मेदारी दी है. तो बीजेपी ने लंबी रस्साकशी के बाद शिवराज सिंह चौहान के खेमे से आने वाले रमाकांत भार्गव पर पार्टी के सबसे मजबूत गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी है.

विदिशा लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर।

लेकिन विदिशा में स्थानीय नेताओं को मौका न दिए जाने से विदिशा के मतदाता दोनों सियासी दलों से नाखुश नजर आते हैं. उनका कहना है कि बाहरी प्रत्याशी होने से क्षेत्र की समस्यायों की ओर ध्यान नहीं दिया जा जाता. विदिशा से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेता चुनाव जीतते रहें, लेकिन क्षेत्र का विकास न होने से बुनियादी सुविधाओं का अभाव नजर आता है. राजनीतिक जानकार मानते है कि विदिशा के सांसद तो प्रभावशाली रहे लेकिन यहां विकास प्रभावशाली नहीं हुआ.

विदिशा में इस बार कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 30 हजार 26 है, जिनमें 9 लाख 13 हजार 578 पुरुष मतदाता, तो 8 लाख 16 हजार 403 महिला मतदाता हैं. विदिशा लोकसभा के तहत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, तो दो सीटें कांग्रेस के पास हैं.

विदिशा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने नए-नए उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. बीजेपी इस बार यहां राष्ट्रवाद और मोदी सरकार की योजनाओं के सहारे मैदान में है जबकि इस सीट को जिताने की जिम्मेदारी खुद शिवराज सिंह चौहान के कंधों पर है., तो कांग्रेस किसान कर्जमाफी और क्षेत्र की सड़क, बिजली, पानी जैसे मुद्दें और संगठन के सहारे बीजेपी को घेरने की कवायत में है. जिससे दोनों ही पार्टियों में कांटे की ट्क्कर होने की उम्मीद है.

विदिशा। मध्यप्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट विदिशा पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है. कांग्रेस ने इस सीट से इछावर के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल को बीजेपी का किला ठहाने की जिम्मेदारी दी है. तो बीजेपी ने लंबी रस्साकशी के बाद शिवराज सिंह चौहान के खेमे से आने वाले रमाकांत भार्गव पर पार्टी के सबसे मजबूत गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी है.

विदिशा लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर।

लेकिन विदिशा में स्थानीय नेताओं को मौका न दिए जाने से विदिशा के मतदाता दोनों सियासी दलों से नाखुश नजर आते हैं. उनका कहना है कि बाहरी प्रत्याशी होने से क्षेत्र की समस्यायों की ओर ध्यान नहीं दिया जा जाता. विदिशा से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेता चुनाव जीतते रहें, लेकिन क्षेत्र का विकास न होने से बुनियादी सुविधाओं का अभाव नजर आता है. राजनीतिक जानकार मानते है कि विदिशा के सांसद तो प्रभावशाली रहे लेकिन यहां विकास प्रभावशाली नहीं हुआ.

विदिशा में इस बार कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 30 हजार 26 है, जिनमें 9 लाख 13 हजार 578 पुरुष मतदाता, तो 8 लाख 16 हजार 403 महिला मतदाता हैं. विदिशा लोकसभा के तहत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, तो दो सीटें कांग्रेस के पास हैं.

विदिशा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने नए-नए उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. बीजेपी इस बार यहां राष्ट्रवाद और मोदी सरकार की योजनाओं के सहारे मैदान में है जबकि इस सीट को जिताने की जिम्मेदारी खुद शिवराज सिंह चौहान के कंधों पर है., तो कांग्रेस किसान कर्जमाफी और क्षेत्र की सड़क, बिजली, पानी जैसे मुद्दें और संगठन के सहारे बीजेपी को घेरने की कवायत में है. जिससे दोनों ही पार्टियों में कांटे की ट्क्कर होने की उम्मीद है.

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