ETV Bharat / state

विदिशा के कारारिया गांव में स्वच्छता अभियान की खुली पोल, चारों ओर गंदगी का अंबार - विदिशा कारारिया गांव गंदगी

प्रदेश में भले ही इंदौर स्वच्छता अभियान के आंकड़ों में अव्वल आया हो, लेकिन प्रदेशभर की बात की जाए तो ऐसा नहीं लगता. स्वच्छता के दावों की हकीकत कुछ और ही है. जरा ये खबर पढ़िए और समझिए...

VIDISHA NEWS
स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत
author img

By

Published : Aug 23, 2020, 6:54 PM IST

विदिशा। देश में भले ही स्वच्छता अभियान के तहत लाखों रुपये पानी की तरह बहा दिया गया हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सरकार का ये स्वच्छता अभियान महज फाइलों तक ही सीमित है. जी हां दरअसल विदिशा जिला मुख्यालय के कारारिया गांव में आज भी जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है. सरकारें भले ही गांव को खुले में शौच मुक्त करने का दावा करती हो, लेकिन आज भी यहां आम लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.

स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत

स्वच्छता अभियान की हकीकत

इस गांव में रहने वाले ग्रामीणों की मानें तो यह योजना सिर्फ शहर के लिए होती है. गांव से इन योजनाओं का कोई लेना-देना नहीं होता है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आज तक स्वच्छता अभियान नहीं चलाया गया है. गांव में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यहां की सड़कों पर 24 घंटे गंदगी बनी रहती है, और ना ही कभी नालों की सफाई होती है.

फाइलों में कैद स्वच्छता अभियान

इन सबके बीच जब ईटीवी भारत की टीम ने एसी रूम में बैठे जिम्मेदारों से सवाल किया तो उनका कहना है कि गांव में स्वच्छता अभियान 2011 के तहत गांव में शौचालय का निर्माण कराया जाना था, जिन गांवों की सूची में नाम आए हैं, उन्हें इस योजना का लाभ मिला है, और जिन गांव का नाम सूची में शामिल नहीं हुआ है, उन्हें जल्द ही जांच कराकर वहां की सफाई कराई जाएगी.

कई गांव स्वच्छता अभियान से अछूते !

लिहाजा विदिशा में ऐसे एक गांव नहीं बल्कि सैंकड़ों की संख्या में गांव हैं जो आज भी स्वच्छता अभियान से वंचित हैं. गांव को स्वच्छ रखने के लिए पंचायतों में शपथ तो दिलाई जाती है, लेकिन पंचायतों की लापरवाही और बंदरबांट के चलते ये अभियान ग्रामीणों के लिए महज एक सपना बना हुआ है.

बता दें कि प्रदेश में भले ही महानगर स्वच्छता अभियान आंकड़ों में अव्वल आया हो, और सूबे की सरकार इसका श्रेय लूटने के लिए लगातार दावे कर रही है, लेकिन प्रदेश भर में स्वच्छता के दावों की हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत पहले भी जिला मुख्यालय के दावों की पोल खोल चुका है.

विदिशा। देश में भले ही स्वच्छता अभियान के तहत लाखों रुपये पानी की तरह बहा दिया गया हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सरकार का ये स्वच्छता अभियान महज फाइलों तक ही सीमित है. जी हां दरअसल विदिशा जिला मुख्यालय के कारारिया गांव में आज भी जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है. सरकारें भले ही गांव को खुले में शौच मुक्त करने का दावा करती हो, लेकिन आज भी यहां आम लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.

स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत

स्वच्छता अभियान की हकीकत

इस गांव में रहने वाले ग्रामीणों की मानें तो यह योजना सिर्फ शहर के लिए होती है. गांव से इन योजनाओं का कोई लेना-देना नहीं होता है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आज तक स्वच्छता अभियान नहीं चलाया गया है. गांव में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यहां की सड़कों पर 24 घंटे गंदगी बनी रहती है, और ना ही कभी नालों की सफाई होती है.

फाइलों में कैद स्वच्छता अभियान

इन सबके बीच जब ईटीवी भारत की टीम ने एसी रूम में बैठे जिम्मेदारों से सवाल किया तो उनका कहना है कि गांव में स्वच्छता अभियान 2011 के तहत गांव में शौचालय का निर्माण कराया जाना था, जिन गांवों की सूची में नाम आए हैं, उन्हें इस योजना का लाभ मिला है, और जिन गांव का नाम सूची में शामिल नहीं हुआ है, उन्हें जल्द ही जांच कराकर वहां की सफाई कराई जाएगी.

कई गांव स्वच्छता अभियान से अछूते !

लिहाजा विदिशा में ऐसे एक गांव नहीं बल्कि सैंकड़ों की संख्या में गांव हैं जो आज भी स्वच्छता अभियान से वंचित हैं. गांव को स्वच्छ रखने के लिए पंचायतों में शपथ तो दिलाई जाती है, लेकिन पंचायतों की लापरवाही और बंदरबांट के चलते ये अभियान ग्रामीणों के लिए महज एक सपना बना हुआ है.

बता दें कि प्रदेश में भले ही महानगर स्वच्छता अभियान आंकड़ों में अव्वल आया हो, और सूबे की सरकार इसका श्रेय लूटने के लिए लगातार दावे कर रही है, लेकिन प्रदेश भर में स्वच्छता के दावों की हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत पहले भी जिला मुख्यालय के दावों की पोल खोल चुका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.