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बीजेपी सांसद एमजे अकबर ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था गांव, मूलभूत सुविधाएं भी नहीं करवा सके मुहैया

सांसद एमजे अकबर ने विदिशा के अहमदपुर गांव को गोद लिया था. लेकिन, इस गांव की तस्वीरे यहां पसरी बद्हाली और सांसद की अनदेखी को बयां करती हैं.

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Published : Apr 1, 2019, 7:50 PM IST

सांसद एमजे अकबर के गोद लिए गांव में पसरी बद्हाली की तस्वीर

विदिशा। बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर ने आदर्श ग्राम योजना के तहत विदिशा जिले के अहमदपुर गांव को गोद लिया था. जब उन्होंने इस गांव को गोद लेने का फैसला किया था तो गांव वालों को एक उम्मीद जगी थी. लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया गांव वालों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

सांसद एमजे अकबर के गोद लिए गांव में पसरी बद्हाली की तस्वीर

एमजे अकबर ने दावे तो किये थे अहमदपुर की तस्वीर बदल देने के लेकिन वो ग्रामीणों को मुलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा सके.

अहमदपुर के ग्रामीण आज भी एमजे अकबर से सिर्फ एक ही सवाल पूछना चाहते हैं और वो ये है कि अगर उन्हें इस गांव में विकास कार्य करने ही नहीं थे तो उन्होंने गांव को गोद लेने का नाटक क्यों किया. जगह-जगह लगे गंदगी के अंबार न सिर्फ बीमारियों को दावत देते नजर आ रहे है. बल्कि प्रधानमंत्री के आदर्श ग्राम के दावे और स्वच्छता अभियान को भी मूंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं.

अहमदपुर गांव कहने को तो आदर्श गांव है. लेकिन, इस गांव में जल निकासी की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है. घरों से निकलने वाला पानी सीसी रोड पर बहता रहता है. इस आदर्श गांव में सांसद महोदय नालियां तक नहीं बनवा सके. इतना ही नहीं इस गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं. जबकि पेयजल की समस्या भी ग्रामीणों के लिए मुसीबत से कम नहीं है.

मिट्टी से बने कच्चे मकानों की दिरख्ति दीवार, खपरैल की छत और पानी के संघर्ष से गुजरता इन मासूमों का बचपन. यही है सांसद एम जे अकबर के गोद लिए गांव की सच्चाई. ग्रामीण तंज मारकर कहते हैं कि विकास हुआ है. पूछो कि क्या विकास हुआ है तो ग्रामीण कहते हैं कि नल में पानी नहीं है, सड़कों पर गड्डे और नालियों में भरी कीचड़, यही विकास हुआ है.

महात्मा गांधी का मानना था कि गांव की सेवा करने से ग्राम स्वराज की स्थापना होगी. आज यही स्वराज हुक्मरानों की सियासत के दांव पेंचों में अटक कर रह गया है.

विदिशा। बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर ने आदर्श ग्राम योजना के तहत विदिशा जिले के अहमदपुर गांव को गोद लिया था. जब उन्होंने इस गांव को गोद लेने का फैसला किया था तो गांव वालों को एक उम्मीद जगी थी. लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया गांव वालों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

सांसद एमजे अकबर के गोद लिए गांव में पसरी बद्हाली की तस्वीर

एमजे अकबर ने दावे तो किये थे अहमदपुर की तस्वीर बदल देने के लेकिन वो ग्रामीणों को मुलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा सके.

अहमदपुर के ग्रामीण आज भी एमजे अकबर से सिर्फ एक ही सवाल पूछना चाहते हैं और वो ये है कि अगर उन्हें इस गांव में विकास कार्य करने ही नहीं थे तो उन्होंने गांव को गोद लेने का नाटक क्यों किया. जगह-जगह लगे गंदगी के अंबार न सिर्फ बीमारियों को दावत देते नजर आ रहे है. बल्कि प्रधानमंत्री के आदर्श ग्राम के दावे और स्वच्छता अभियान को भी मूंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं.

अहमदपुर गांव कहने को तो आदर्श गांव है. लेकिन, इस गांव में जल निकासी की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है. घरों से निकलने वाला पानी सीसी रोड पर बहता रहता है. इस आदर्श गांव में सांसद महोदय नालियां तक नहीं बनवा सके. इतना ही नहीं इस गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं. जबकि पेयजल की समस्या भी ग्रामीणों के लिए मुसीबत से कम नहीं है.

मिट्टी से बने कच्चे मकानों की दिरख्ति दीवार, खपरैल की छत और पानी के संघर्ष से गुजरता इन मासूमों का बचपन. यही है सांसद एम जे अकबर के गोद लिए गांव की सच्चाई. ग्रामीण तंज मारकर कहते हैं कि विकास हुआ है. पूछो कि क्या विकास हुआ है तो ग्रामीण कहते हैं कि नल में पानी नहीं है, सड़कों पर गड्डे और नालियों में भरी कीचड़, यही विकास हुआ है.

महात्मा गांधी का मानना था कि गांव की सेवा करने से ग्राम स्वराज की स्थापना होगी. आज यही स्वराज हुक्मरानों की सियासत के दांव पेंचों में अटक कर रह गया है.

Intro:(स्पेशल सेकमेंड) आदर्श ग्राम की कहानी जब किसी को गोद लिया या आदर्श बनाया जाता है तो उस परिवार या आसपास बस रहे लोगो की उम्मीद ओर भी बढ़ जाती है अब इसे लाड़ प्यार दुलार ओर विकास मिलेगा पर राजनीति की गोद के मायने इन सबसे बहुत अलग है सियासत की गोद महज एक दिन की होती है जिसे गोद मे लेकर तस्वीरे खिंचवाई जाती है और हमेशा के लिए दीवारों पर टांग दिया जाता है एक दिन के लिये रंग रोगन तो किया जाता है पर पांच साल बीत जाने के बाद नेता पलट कर नही देखते । आज हम मध्य प्रदेश के विदिशा में बसे आदर्श गांव अहमदपुर की कहानी दिखा रहे है जिसमे सरकार के तय पैमानों के आधार पर उन्हें आदर्श बनाया गया पर पांच साल बाद ग्राउंड की रिपोर्ट कुछ और ही बया करती है विकास तो छोड़िए यह आदर्श गांवों आज भी छोटी मोटी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है । पांच से छः हजार की आबादी का अहमदपुर गांवों मध्य प्रदेश के विदिशा में है इस गांवों की सांसद देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज है इस ग्राम को विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत अहमदपुर को गोद लेकर आदर्श बनाने का दाबा किया था ।


Body:मध्य प्रदेश में सांसद आदर्श योजना 2014 में शुरू हुई सांसदों ने इसी योजना के तहत मध्य प्रदेश के तमाम जिलों को गोद लिया उनमे जिला विदिशा भी शामिल है विदिशा के अहमदपुर ओर त्योंदा को आदर्श ग्रामो से नाबाजा गया गांबो में खुशी के साँथ खूब तस्वीरे खिंची गई पंचायत की दीवारों पर रंग रोगन किया गया उसके बाद किसी ने पलटकर इस ग्राम की सुध नही ली न ही विदेश राज्य मंत्री ओर न ही सरकारी सिस्टम गांवों में दाखिल होते ही सबसे पहले हमें पुलिस चौकी बगल में टप्पा तहसील की जर्जर बिल्डिंग नज़र आई विकास की तरह नाम वाली पट्टिका से अक्षर उड़ चुके थे भबन की टूटी खिड़की , फूटे कांच दरवाजो में पड़ा ताला बया कर रहा भबन सालो से नही खुला गांबो में एक पुलिस चौकी के उखड़े बिजली के तार जर्जर होती बिल्डिंग की कहानी भी तहसील भबन से मिलती जुलती नज़र आई । अहमदपुर गांबो में आज से नही बल्कि कई सालों से पानी की समस्या से यह ग्राम जूझ रहा है बच्चे हो या बूढ़े सभी को कोसो दूर से पानी के लिए जदोजहद करना होती है पानी की समस्या लागातर बनी है ग्राम के पानी की दो टंकियों का निर्माण कराया गया पर वो भी लीकेज हो गईं नल जल योजना के तहत ग्राम में पाइप लाइन बिछाई गई पानी नही आने से कुछ बची है तो कुछ चोरी हो गई आगे हमारी मुलाकात हुई ग्राम में रहने वाले 45 वर्षीय जवाहर सिंह से जब आदर्श ग्राम के बारे में सवाल किया गया तो उनका गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया कहते हैं गांव में गंदगी का अंबार , पीने को पानी नही , रहने को मकान नही , शिक्षा अच्छी नही यह है हमारा आदर्श ग्राम जवाहर सिंह ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा ग्राम की पाइप लाइन पानी की टंकी महज कागजो में ही चल रही है जमीन पर कुछ नही हुआ । आदर्श ग्राम की ओर परिभाषा समझने के लिए हम एक व्यापारी धनपाल सिंह लोधी के पास पहुंचे धनपाल अपने बच्चो को सरकारी की बजह निजी स्कूलों में पढ़ाना बेहतर समझते है धनपाल कहते है सरकारी स्कूल में शिक्षा का स्तर अच्छा नही है नोवी ग्यारवी क्लास का ही परिणाम अच्छा नही आया कारण है सरकारी स्कूल में अच्छे शिक्षक नही है जो है वो सरकारी सिस्टम की तरह चल रहे हैं ।


Conclusion:राज्यमंत्री एमजे अकबर की सियासत में गांव को गोद लेने से चार चांद लग गए हो पर गांबो की तस्बीर आज भी भूखी नंगी ,कच्ची नज़र आई गांबो की बूढ़ी आंखे आज भी विकास की बाट जोह रही है ग्राम के कुछ इलाकों में हमे सीसीरोड का निर्माण दिखा पर रोड पर बहती नालियां जगह जगह स्वक्षता अभियान को मुँह चिढ़ाते कचरे के ढेर काफी है विकास के दाबो की पोल खोलने के लिए काफी हैं जेंसे ही हम गांबो के अंदर पहुंचे तो नज़रा असल भारत नज़र आया मिट्टी की कच्ची दरख्ति दीवारे ,खपरैल की छत पानी के लिए संघर्ष करता बचपन । व्रद्ध दंपत्ति के परिवार के घर के हालत उन हुक्मरानों के दाबो की पोल खोलता है जो योजनाओं और डिजिटल भारत का दम भरती है 90 साल का व्रद्ध ओर 70 साल की महिला व्रद्ध आज भी वर्द्धा पेंशन की मोहताज है कुटीर तो दूर की बात आंकड़ा पूरा करने उजबला योजना की गैस तो मिली पर वो भी जंग खा चुकी है आज भी चुल्हा ही जल रहा है बेतहासा गरीबी में अपना जीवन काटते मलखान सिंह कहते हैं अहमदपुर में कोई विकास नही हुआ मेहनत मजदूरी कर यह भी अपने बच्चो को निजी स्कूल में पढ़ाते है नालियां स्वक्षता का बखान करती है पानी नही मिलने पर हर ग्रामबासी की तरह यह भी परेशान हैं । महात्मा गांधी का मानना था गांव की सेवा करने ने एक ग्राम स्वराज की स्थापना होगी पर आजादी के बाद से ग्राम स्वराज मॉडल विकास और राजनीति में तब्दील हो गया । नवेद खान विदिशा
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