विदिशा। बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर ने आदर्श ग्राम योजना के तहत विदिशा जिले के अहमदपुर गांव को गोद लिया था. जब उन्होंने इस गांव को गोद लेने का फैसला किया था तो गांव वालों को एक उम्मीद जगी थी. लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया गांव वालों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
एमजे अकबर ने दावे तो किये थे अहमदपुर की तस्वीर बदल देने के लेकिन वो ग्रामीणों को मुलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा सके.
अहमदपुर के ग्रामीण आज भी एमजे अकबर से सिर्फ एक ही सवाल पूछना चाहते हैं और वो ये है कि अगर उन्हें इस गांव में विकास कार्य करने ही नहीं थे तो उन्होंने गांव को गोद लेने का नाटक क्यों किया. जगह-जगह लगे गंदगी के अंबार न सिर्फ बीमारियों को दावत देते नजर आ रहे है. बल्कि प्रधानमंत्री के आदर्श ग्राम के दावे और स्वच्छता अभियान को भी मूंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं.
अहमदपुर गांव कहने को तो आदर्श गांव है. लेकिन, इस गांव में जल निकासी की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है. घरों से निकलने वाला पानी सीसी रोड पर बहता रहता है. इस आदर्श गांव में सांसद महोदय नालियां तक नहीं बनवा सके. इतना ही नहीं इस गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं. जबकि पेयजल की समस्या भी ग्रामीणों के लिए मुसीबत से कम नहीं है.
मिट्टी से बने कच्चे मकानों की दिरख्ति दीवार, खपरैल की छत और पानी के संघर्ष से गुजरता इन मासूमों का बचपन. यही है सांसद एम जे अकबर के गोद लिए गांव की सच्चाई. ग्रामीण तंज मारकर कहते हैं कि विकास हुआ है. पूछो कि क्या विकास हुआ है तो ग्रामीण कहते हैं कि नल में पानी नहीं है, सड़कों पर गड्डे और नालियों में भरी कीचड़, यही विकास हुआ है.
महात्मा गांधी का मानना था कि गांव की सेवा करने से ग्राम स्वराज की स्थापना होगी. आज यही स्वराज हुक्मरानों की सियासत के दांव पेंचों में अटक कर रह गया है.