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बड़वानी जिले में 'झोपड़ी वाले स्कूल', आदिवासी क्षेत्रों में नौनिहालों का भविष्य दांव पर - BARWANI SCHOOL RUN IN HUTS

बड़वानी जिले के आदिवासी बाहुल्य कई गांवों में स्कूल खस्ताहाल भवन में चल रहे हैं या फिर झोपड़ीनुमा कमरों में.

Barwani School run in huts
आदिवासी क्षेत्रों में नौनिहालों का भविष्य दांव पर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 7:54 PM IST

बड़वानी : बड़वानी जिले के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है. कई प्राइमरी और मिडिल स्कूल भवनविहीन हैं. कई स्कूलों के भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं. जिले में 24 प्राइमरी और मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास भवन नही हैं. वहीं, जीर्णशीर्ण शाला भवन 79 हैं. बड़वानी जिले के सिलावद क्षेत्र में कई जगहों पर स्कूल झोपड़ी में चल रहे हैं. सिलावद क्षेत्र के ग्राम टेमला में प्राथमिक विद्यालय झोपड़ी में संचालित है. इस स्कूल में कक्षा 1 से 5 वी तक 35 बच्चे पढ़ते हैं.

मंत्री, सांसदों और अफसरों ने नहीं की सुनवाई

टेमला गांव में स्कूल भवन नहीं होने से परेशान लोगों ने अपनी जमीन पर ईंटो की कच्ची दीवार खड़ी करके झोपड़ा तैयार कराया. अब बच्चे इसी में भविष्य संवार रहे हैं. झोपड़ी को व्यवस्थित करने के लिए गोबर से लीपा जाता है. इसकी कवेलू की छत है. बारिश के दिनों में पानी अंदर आने से रोकने के लिए छत को प्लास्टिक से ढंका जाता है. जनपद सदस्य और स्कूल टीचर ने कई बार आवेदन दिए लेकिन अभी तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. क्षेत्र के जनपद सदस्य प्रताप मेहता ने बताया "दो बार आवेदन पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमसिंह पटेल, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह पटेल को दे चुके हैं. लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ."

बड़वानी जिले में 'झोपड़ी वाले स्कूल' (ETV BHARAT)

बाढ़ में बह गया था गांव का स्कूल भवन

इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में पाटी ब्लॉक की ग्राम पंचायत चेरवी में भी स्कूल ऐसे ही झोपड़ी में चलते हैं. कुछ जगहों पर बच्चे टीले पर झोपड़ीनुमा स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं. बताया जाता है कि साल 2010 में जबरदस्त बाढ़ में यहां का स्कूल भवन बह गया, तब से ये स्कूल झोपड़ी में ही लग रहा है. शिक्षक और रहवासियों ने स्कूल भवन के लिए कई बार अधिकारियों को आवेदन दिए लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. करीब 15 सालों से इसका काम अधूरा है.

Barwani School run in huts
आदिवासी बाहुल्य कई गांवों में स्कूल ऐसे झोपड़ों में संचालित (ETV BHARAT)

बड़वानी जिले में कई स्कूल भवनविहीन

बड़वानी जिले के कई गांवों के स्कूलों की हालत ऐसी ही है. सगबारा, मथमाल, मेंढकी माल और बोरकुंड ग्राम पंचायत चेरवी, ग्राम पंचायत पिपरकुण्ड का कंजानिया फलिया, वन ग्राम का गायघाट और भादल का भी कमोबेश यही हाल है. भादल में भवन तो है लेकिन जर्जर होने से अब यहां स्कूल नहीं लगता. बच्चों की जान का खतरा देखते हुए स्कूल निजी भवनों में चलाए जा रहे हैं. ईटीवी भारत से फ़ोन पर चर्चा में डीपीसी कार्यालय की निर्माण शाखा के प्रभारी रजनीश राव ने बताया "बड़वानी जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूल मिलाकर टोटल 79 भवन जीर्णशीर्ण हैं. जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूल मिलाकर टोटल 24 स्कूल ऐसे हैं, जो भवनविहीन हैं. उन्होंने शासन से 79 शाला भवनों के निर्माण की मांग की है."

बड़वानी : बड़वानी जिले के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है. कई प्राइमरी और मिडिल स्कूल भवनविहीन हैं. कई स्कूलों के भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं. जिले में 24 प्राइमरी और मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास भवन नही हैं. वहीं, जीर्णशीर्ण शाला भवन 79 हैं. बड़वानी जिले के सिलावद क्षेत्र में कई जगहों पर स्कूल झोपड़ी में चल रहे हैं. सिलावद क्षेत्र के ग्राम टेमला में प्राथमिक विद्यालय झोपड़ी में संचालित है. इस स्कूल में कक्षा 1 से 5 वी तक 35 बच्चे पढ़ते हैं.

मंत्री, सांसदों और अफसरों ने नहीं की सुनवाई

टेमला गांव में स्कूल भवन नहीं होने से परेशान लोगों ने अपनी जमीन पर ईंटो की कच्ची दीवार खड़ी करके झोपड़ा तैयार कराया. अब बच्चे इसी में भविष्य संवार रहे हैं. झोपड़ी को व्यवस्थित करने के लिए गोबर से लीपा जाता है. इसकी कवेलू की छत है. बारिश के दिनों में पानी अंदर आने से रोकने के लिए छत को प्लास्टिक से ढंका जाता है. जनपद सदस्य और स्कूल टीचर ने कई बार आवेदन दिए लेकिन अभी तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. क्षेत्र के जनपद सदस्य प्रताप मेहता ने बताया "दो बार आवेदन पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमसिंह पटेल, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह पटेल को दे चुके हैं. लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ."

बड़वानी जिले में 'झोपड़ी वाले स्कूल' (ETV BHARAT)

बाढ़ में बह गया था गांव का स्कूल भवन

इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में पाटी ब्लॉक की ग्राम पंचायत चेरवी में भी स्कूल ऐसे ही झोपड़ी में चलते हैं. कुछ जगहों पर बच्चे टीले पर झोपड़ीनुमा स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं. बताया जाता है कि साल 2010 में जबरदस्त बाढ़ में यहां का स्कूल भवन बह गया, तब से ये स्कूल झोपड़ी में ही लग रहा है. शिक्षक और रहवासियों ने स्कूल भवन के लिए कई बार अधिकारियों को आवेदन दिए लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. करीब 15 सालों से इसका काम अधूरा है.

Barwani School run in huts
आदिवासी बाहुल्य कई गांवों में स्कूल ऐसे झोपड़ों में संचालित (ETV BHARAT)

बड़वानी जिले में कई स्कूल भवनविहीन

बड़वानी जिले के कई गांवों के स्कूलों की हालत ऐसी ही है. सगबारा, मथमाल, मेंढकी माल और बोरकुंड ग्राम पंचायत चेरवी, ग्राम पंचायत पिपरकुण्ड का कंजानिया फलिया, वन ग्राम का गायघाट और भादल का भी कमोबेश यही हाल है. भादल में भवन तो है लेकिन जर्जर होने से अब यहां स्कूल नहीं लगता. बच्चों की जान का खतरा देखते हुए स्कूल निजी भवनों में चलाए जा रहे हैं. ईटीवी भारत से फ़ोन पर चर्चा में डीपीसी कार्यालय की निर्माण शाखा के प्रभारी रजनीश राव ने बताया "बड़वानी जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूल मिलाकर टोटल 79 भवन जीर्णशीर्ण हैं. जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूल मिलाकर टोटल 24 स्कूल ऐसे हैं, जो भवनविहीन हैं. उन्होंने शासन से 79 शाला भवनों के निर्माण की मांग की है."

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