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Pitru Paksha 2022: विलुप्त होती कौओं को लेकर अनूठा अभियान, विदिशा में तैयार हुआ मुक्तिधाम का काग उद्यान - विदिशा मुक्तिधाम में काग रसोई

विदिशा के मुक्तिधाम में ना सिर्फ पितृपक्ष बल्कि पूरी साल अनवरत काग रसोई पकाई जाती है. यहां 365 दिन विलुप्त होती कौओं के लिए विशेष आहार की व्यवस्था होती है. पितृपक्ष में भी लोग यहां आकर कौओं को भोजन कराते हैं. Pitru Paksha 2022, Vidisha Muktidham Crow Kitchen

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Published : Sep 9, 2022, 11:09 PM IST

विदिशा। मध्य प्रदेश के बेतवा तट स्थित विदिशा के मुक्तिधाम का काग उद्यान प्रदेश ही नहीं देश का पहला ऐसा उद्यान है, जहां विलुप्त होती कौओं की प्रजाति को बचाने एवं उनके संरक्षण का प्रतिदिन कार्य किया जाता है. काग उद्यान को मूर्त रूप देने वाले मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे बताते हैं कि पिछले 11 वर्षों से इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाने का ख्याल मन में आया था और तब से लेकर आज तक प्रतिदिन यहां कौए के नाम पर ही काग रसोई चल रही है जिसमें प्रतिदिन चावल, रोटी आदि तैयार किया जाता है. पांडे के मुताबिक देश दुनिया में पक्षी विहार तो बहुत हैं लेकिन कौंए के संरक्षण के लिए यह अनूठा प्रयोग यहां शुरू किया गया है और अब यहां सैकड़ों की तादाद में कौआ की मौजूदगी बनी रहती है. अब यहीं से यह शहरों की ओर भी समय-समय पर कूच करते रहते हैं, जिसके कारण अब शहर में लोगों के घरों पर छतों पर भी कौओं की मौजूदगी को देखा जा सकता है.Pitru Paksha 2022

कौए रखते हैं महत्व स्थान: मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक, "इनका धार्मिक रूप से भी अधिक महत्व है और शास्त्रों में यह हमारे पितरों के प्रतीक के रूप में स्थान प्राप्त है और शनिवार से शुरू हो रहे पितृपक्ष में इनका बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि 15 दिनों तक कौओं को आहार कराने से हम वह भोजन अपने पुरखों पूर्वजों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं." वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक दृष्टि से भिन्न का बड़ा महत्व है कौए कीट भक्षी होते हैं और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का यह आहार बनाकर एक तरह से हमारे मानव शरीर को व्याधियों से भी बचाने का कार्य करते हैं. वर्तमान समय में मोबाइल टावरों की बढ़ती रेंज के कारण इनके जीवन और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है और इसी वजह से यहां बड़ी संख्या में इस प्रजाति को बचाने के लिए प्रतिदिन उनके लिए सेवा कार्य किया जाता है. Vidisha Muktidham Crow Kitchen

Vidisha के मुक्तिधाम में 365 दिन कागों के लिए होती है विशेष भोजन की व्यवस्था, बंदर भी ले रहे हैं भोजन का आनंद

काग उद्यान को से कौओं को मिल रहा भोजन: पांडे के मुताबिक, "शहर से दान दाता खाद्य सामग्री भी हमें उपलब्ध कराते हैं जिसको हम वही पकाते हैं और प्रतिदिन कौओं को आहार कराते हैं. शहर के रामलीला तिराहे पर एक रेस्टोरेंट संचालक मनोज माली जो हमें प्रतिदिन समोसे, कचोरी, भाजी बड़ा अन्य खाद्य एवं मिष्ठान सामग्री भी उपलब्ध कराते हैं, जिसका आहार भी हमारे काग उद्यान के कौए ग्रहण करते हैं. मुक्तिधाम के काग उद्यान में बाकायदा स्टील के भोजन के थाल भी पूरे उद्यान में बने हुए हैं, जिसमें प्रतिदिन आहार डाला जाता है और पितृपक्ष के दौरान शहर से भी लोग भी वहां पहुंच कर पितरों के प्रतीक कौओं को आहार कराते हैं." इस काग उद्यान का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने-माने जल विद डॉक्टर राजेंद्र सिंह के द्वारा किया गया था.

विदिशा। मध्य प्रदेश के बेतवा तट स्थित विदिशा के मुक्तिधाम का काग उद्यान प्रदेश ही नहीं देश का पहला ऐसा उद्यान है, जहां विलुप्त होती कौओं की प्रजाति को बचाने एवं उनके संरक्षण का प्रतिदिन कार्य किया जाता है. काग उद्यान को मूर्त रूप देने वाले मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे बताते हैं कि पिछले 11 वर्षों से इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाने का ख्याल मन में आया था और तब से लेकर आज तक प्रतिदिन यहां कौए के नाम पर ही काग रसोई चल रही है जिसमें प्रतिदिन चावल, रोटी आदि तैयार किया जाता है. पांडे के मुताबिक देश दुनिया में पक्षी विहार तो बहुत हैं लेकिन कौंए के संरक्षण के लिए यह अनूठा प्रयोग यहां शुरू किया गया है और अब यहां सैकड़ों की तादाद में कौआ की मौजूदगी बनी रहती है. अब यहीं से यह शहरों की ओर भी समय-समय पर कूच करते रहते हैं, जिसके कारण अब शहर में लोगों के घरों पर छतों पर भी कौओं की मौजूदगी को देखा जा सकता है.Pitru Paksha 2022

कौए रखते हैं महत्व स्थान: मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक, "इनका धार्मिक रूप से भी अधिक महत्व है और शास्त्रों में यह हमारे पितरों के प्रतीक के रूप में स्थान प्राप्त है और शनिवार से शुरू हो रहे पितृपक्ष में इनका बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि 15 दिनों तक कौओं को आहार कराने से हम वह भोजन अपने पुरखों पूर्वजों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं." वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक दृष्टि से भिन्न का बड़ा महत्व है कौए कीट भक्षी होते हैं और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का यह आहार बनाकर एक तरह से हमारे मानव शरीर को व्याधियों से भी बचाने का कार्य करते हैं. वर्तमान समय में मोबाइल टावरों की बढ़ती रेंज के कारण इनके जीवन और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है और इसी वजह से यहां बड़ी संख्या में इस प्रजाति को बचाने के लिए प्रतिदिन उनके लिए सेवा कार्य किया जाता है. Vidisha Muktidham Crow Kitchen

Vidisha के मुक्तिधाम में 365 दिन कागों के लिए होती है विशेष भोजन की व्यवस्था, बंदर भी ले रहे हैं भोजन का आनंद

काग उद्यान को से कौओं को मिल रहा भोजन: पांडे के मुताबिक, "शहर से दान दाता खाद्य सामग्री भी हमें उपलब्ध कराते हैं जिसको हम वही पकाते हैं और प्रतिदिन कौओं को आहार कराते हैं. शहर के रामलीला तिराहे पर एक रेस्टोरेंट संचालक मनोज माली जो हमें प्रतिदिन समोसे, कचोरी, भाजी बड़ा अन्य खाद्य एवं मिष्ठान सामग्री भी उपलब्ध कराते हैं, जिसका आहार भी हमारे काग उद्यान के कौए ग्रहण करते हैं. मुक्तिधाम के काग उद्यान में बाकायदा स्टील के भोजन के थाल भी पूरे उद्यान में बने हुए हैं, जिसमें प्रतिदिन आहार डाला जाता है और पितृपक्ष के दौरान शहर से भी लोग भी वहां पहुंच कर पितरों के प्रतीक कौओं को आहार कराते हैं." इस काग उद्यान का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने-माने जल विद डॉक्टर राजेंद्र सिंह के द्वारा किया गया था.

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