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MP Vidisha ऐसे शिक्षक मिलें तो संवर जाए बचपन, स्कूल से गैरहाजिर बच्चों को घर से ढोल बजाकर लाती हैं मैडम

विदिशा जिले के सिरोंज के बरखेड़ी के प्राइमरी स्कूल में बच्चों की अटेंडेंस 90 से 95 परसेंट तक है. ये अटेंडेंस अन्य सरकारी स्कूलों के लिए एक उदाहरण है. स्कूल में बच्चों की इस उल्लेखनीय उपस्थिति का कारण है यहां तैनात शिक्षिका. उन्हें पढ़ाने का इतना जज्बा है कि वह स्कूल नहीं आने वाले बच्चों को उनके घर जाकर ढोल बजाकर लाती हैं. ये शिक्षिका आजकल चर्चा का विषय हैं.

absent children from school by playing drums
स्कूल से गैरहाजिर बच्चों को घर से ढोल बजाकर लाती हैं मैडम
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Published : Feb 22, 2023, 3:17 PM IST

स्कूल से गैरहाजिर बच्चों को घर से ढोल बजाकर लाती हैं मैडम

सिंरोज (विदिशा)। जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है वहीं, विदिशा जिले के सिरोंज के बेरखेड़ी गांव के एक प्राइमरी स्कूल की बात ही अलग है. यहां के बच्चों में गजब का जोश दिख रहा है. इस स्कूल में तैनात शिक्षिका फरहदुन्नीसा खान में पढ़ाने का गजब का जज्बा है. यहां तक कि स्कूल से गैरहाजिर विद्यार्थियों को वह उनके घर जाकर ढोलक बजाकर लाती हैं. राज्य सरकार ने इस शिक्षिका को राज्यस्तरीय सम्मान हाल ही में प्रदान किया है.

गांव में लोकप्रिय हुईं मैडम : शिक्षिका फरहदुन्नीसा खान अपने अंदाज के लिए गांव में सबकी लोकप्रिय हो गई हैं. जो बच्चे स्कूल नहीं आते वह उनके घर पहुंच जाती हैं. खास बात यह है कि उनके साथ ढोलक और स्कूल के तमाम बच्चे होते हैं. इसके बाद गांव में घर-घर जाकर पैरेंट्स को जागरुक किया जाता है. बच्चों का नाम लेकर शिक्षिका उनके माता-पिता से कहती हैं कि उसे स्कूल भेजो. इस नवाचार के चलते इस स्कूल में 95 प्रतिशत विद्यार्थी उपस्थित रहते हैं. उन्हें इस काम को देखते हुए राज्यस्तरीय "बिजू भाई सम्मान" राज्यपाल द्वारा दिया गया है.

अनूपपुर की शिक्षिका सरिता को राज्य शिक्षक पुरस्कार

ग्रामीण भी हो रहे जागरूक : पूरे गांव के लोग भी स्कूल टीचर की तारीफ करते नहीं थकते. स्कूल में पढ़ने वाले गोलू ने बताया कि मैडम के प्रयासों के चलते बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई कर पा रहे हैं. गांव की नसरीन बानो का कहना है कि मैडम के प्रयास से बच्चों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है. शिक्षिका ने एक डायरी भी बना रखी है. इसमे सारे बच्चों के हस्ताक्षर करवाए हैं. फरहदुन्नीसा खान का कहना है कि भगवान ने गुरु बनाया है तो मैं अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करने का प्रयास कर रही हूं. और सबसे बड़ी बात मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि लोग भी जागरूक हो रहे हैं.

स्कूल से गैरहाजिर बच्चों को घर से ढोल बजाकर लाती हैं मैडम

सिंरोज (विदिशा)। जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है वहीं, विदिशा जिले के सिरोंज के बेरखेड़ी गांव के एक प्राइमरी स्कूल की बात ही अलग है. यहां के बच्चों में गजब का जोश दिख रहा है. इस स्कूल में तैनात शिक्षिका फरहदुन्नीसा खान में पढ़ाने का गजब का जज्बा है. यहां तक कि स्कूल से गैरहाजिर विद्यार्थियों को वह उनके घर जाकर ढोलक बजाकर लाती हैं. राज्य सरकार ने इस शिक्षिका को राज्यस्तरीय सम्मान हाल ही में प्रदान किया है.

गांव में लोकप्रिय हुईं मैडम : शिक्षिका फरहदुन्नीसा खान अपने अंदाज के लिए गांव में सबकी लोकप्रिय हो गई हैं. जो बच्चे स्कूल नहीं आते वह उनके घर पहुंच जाती हैं. खास बात यह है कि उनके साथ ढोलक और स्कूल के तमाम बच्चे होते हैं. इसके बाद गांव में घर-घर जाकर पैरेंट्स को जागरुक किया जाता है. बच्चों का नाम लेकर शिक्षिका उनके माता-पिता से कहती हैं कि उसे स्कूल भेजो. इस नवाचार के चलते इस स्कूल में 95 प्रतिशत विद्यार्थी उपस्थित रहते हैं. उन्हें इस काम को देखते हुए राज्यस्तरीय "बिजू भाई सम्मान" राज्यपाल द्वारा दिया गया है.

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ग्रामीण भी हो रहे जागरूक : पूरे गांव के लोग भी स्कूल टीचर की तारीफ करते नहीं थकते. स्कूल में पढ़ने वाले गोलू ने बताया कि मैडम के प्रयासों के चलते बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई कर पा रहे हैं. गांव की नसरीन बानो का कहना है कि मैडम के प्रयास से बच्चों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है. शिक्षिका ने एक डायरी भी बना रखी है. इसमे सारे बच्चों के हस्ताक्षर करवाए हैं. फरहदुन्नीसा खान का कहना है कि भगवान ने गुरु बनाया है तो मैं अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करने का प्रयास कर रही हूं. और सबसे बड़ी बात मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि लोग भी जागरूक हो रहे हैं.

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