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बारिश न होने से सोयाबीन की फसल पर मंडराया खतरा, किसान परेशान

जिले में इस साल बारिश कम होने के कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पौधे पीले पड़ रहे हैं और फलियां नीचे गिर रही हैं, जिससे सोयाबीन की फसल बर्बाद होने की आशंका है.

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Published : Aug 17, 2020, 1:47 PM IST

Lack of rain threatens soybean crops, farmers upset
बारिश न होने से सोयाबीन की फसलों पर मंडराया खतरा

विदिशा। जिले में बारिश न होने से सोयाबीन की फसलों पर खतरा मंडराने लगा है, जिससे किसानों को भी चिंता सताने लगी है. सोयाबीन के पौधे से फसल की फलियां आना तो शुरू हो गई थी, लेकिन उन्हें दाना नहीं पढ़ पाया है, जिससे फलियां अब जमीन पर गिरने लगी हैं. किसानों की परेशानी बढ़ गई है. वहीं खेतों में बारिश नहीं होने से पानी नहीं पहुंच पा रहा है. वातावरण में गर्मी होने के कारण पौधे सूख रहे हैं.

Yellow soybean crop due to lack of rain
बारिश न होने से पीली हुई सोयाबीन की फसल

दवा डालने के बाद भी फसल इल्लियां मुक्त नहीं हो रही है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ गई है. बता दें फसलों में फलियों के आने के बाद बारिश जरूरी होती है, लेकिन कम बारिश के कारण वातावरण में गर्मी बनी हुई है, वहीं इस साल पिछले साल के मुकाबले बारिश कम दर्ज की गई है, जिससे फसल के उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित हुई है. वहीं इस बार खेतों में खरपतवार नहीं है, फसलें की ग्रोथ ठीक है जिसके अच्छी पैदावार के संकेत हैं, अगर समय रहते बारिश नहीं होती है, तो सोयाबीन की फसल बर्बाद होने की आशंका है.

खेतों में काम करने वाले किसान बताते हैं की, खेतों में नमी की कमी बनी हुई है, वातावरण में अभी भी बहुत गर्मी है, जिससे फलियां सूख रही हैं. अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में पानी तक नहीं भर सका है और सोयाबीन के पौधे पीले पड़ गए हैं. किसानों ने कहा कि, वर्तमान में फसल भराव के लिए पानी जरूरी होता है,

बता दें बारिश नहीं होने से किसानों को एक नहीं अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि, बारिश नहीं होने से इल्ली का प्रकोप भी लगातार बढ़ता जा रहा है, पौधों पर दवाई छिड़की जा रही है, लेकिन उसका कोई असर नहीं हो रहा है, जिसका मुख्य कारण बारिश का नहीं होना है.

पिछले साल अभी तक 80 सेंटीमीटर बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस साल अब तक 50 सेंटीमीटर बारिश हुई है. जबकि विकास खंड में औसतन बारिश 100 सेंटीमीटर मानी जाती है, इस माह से आधी बारिश होना जरूरी है, सामान्य बारिश के चलते इस बार किसानों ने सोयाबीन की फसल 61 हजार 800 हेक्टेयर में बोई है, जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है.

विदिशा। जिले में बारिश न होने से सोयाबीन की फसलों पर खतरा मंडराने लगा है, जिससे किसानों को भी चिंता सताने लगी है. सोयाबीन के पौधे से फसल की फलियां आना तो शुरू हो गई थी, लेकिन उन्हें दाना नहीं पढ़ पाया है, जिससे फलियां अब जमीन पर गिरने लगी हैं. किसानों की परेशानी बढ़ गई है. वहीं खेतों में बारिश नहीं होने से पानी नहीं पहुंच पा रहा है. वातावरण में गर्मी होने के कारण पौधे सूख रहे हैं.

Yellow soybean crop due to lack of rain
बारिश न होने से पीली हुई सोयाबीन की फसल

दवा डालने के बाद भी फसल इल्लियां मुक्त नहीं हो रही है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ गई है. बता दें फसलों में फलियों के आने के बाद बारिश जरूरी होती है, लेकिन कम बारिश के कारण वातावरण में गर्मी बनी हुई है, वहीं इस साल पिछले साल के मुकाबले बारिश कम दर्ज की गई है, जिससे फसल के उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित हुई है. वहीं इस बार खेतों में खरपतवार नहीं है, फसलें की ग्रोथ ठीक है जिसके अच्छी पैदावार के संकेत हैं, अगर समय रहते बारिश नहीं होती है, तो सोयाबीन की फसल बर्बाद होने की आशंका है.

खेतों में काम करने वाले किसान बताते हैं की, खेतों में नमी की कमी बनी हुई है, वातावरण में अभी भी बहुत गर्मी है, जिससे फलियां सूख रही हैं. अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में पानी तक नहीं भर सका है और सोयाबीन के पौधे पीले पड़ गए हैं. किसानों ने कहा कि, वर्तमान में फसल भराव के लिए पानी जरूरी होता है,

बता दें बारिश नहीं होने से किसानों को एक नहीं अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि, बारिश नहीं होने से इल्ली का प्रकोप भी लगातार बढ़ता जा रहा है, पौधों पर दवाई छिड़की जा रही है, लेकिन उसका कोई असर नहीं हो रहा है, जिसका मुख्य कारण बारिश का नहीं होना है.

पिछले साल अभी तक 80 सेंटीमीटर बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस साल अब तक 50 सेंटीमीटर बारिश हुई है. जबकि विकास खंड में औसतन बारिश 100 सेंटीमीटर मानी जाती है, इस माह से आधी बारिश होना जरूरी है, सामान्य बारिश के चलते इस बार किसानों ने सोयाबीन की फसल 61 हजार 800 हेक्टेयर में बोई है, जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है.

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