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35 करोड़ की लागत से बन रहा विदिशा में जैन मंदिर, राजस्थान के पत्थरों का हो रहा उपयोग

विदिशा में 108 फीट ऊंचा समवशरण मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. इस मंदिर की लागत 35 करोड़ रुपए है, साथ ही मंदिर में राजस्थान के लाल-पीले पत्थर का उपयोग किया जा रहा है, जो स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण होगा. अक्षरधाम मंदिर को बनाने वाले कारीगर इस मंदिर का निर्माण कर रहे हैं.

Jain temple construction
जैन मंदिर का निर्माण
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Published : Aug 31, 2020, 4:27 PM IST

विदिशा । विदिशा का अतीत से ही हर धर्म में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है. चाहे वो सनातन धर्म हो या फिर जैन धर्म. जैन समाज के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की जन्म कल्याण भूमि के रूप में समाज के धर्मावलंबियों के बीच पूरे देशभर में प्रसिद्ध है. अब विदिशा में समवशरण मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. इस मंदिर की देशभर में अपने आप में ही एक अलग पहचान होगी.

इस मंदिर का निर्माण 35 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है. यह देश का पहला ऐसा समवशरण का मंदिर होगा, जिसकी ऊंचाई करीब 108 फीट की होगी. मंदिर को राजस्थान के लाल-पीले पत्थरों से तराशा जा रहा है. नागर शैली में बन रहे इस मंदिर में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के अलावा भगवान का पूरा दरबार रहेगा. यह मंदिर रेलवे लाइन किनारे 18 बीघा में फैला शीतलधाम जैन धर्म के तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. 2008 में यहां आचार्य विद्यासागर महाराज ने चातुर्मास किया था, उसी दौरान मंदिर की आधार शिला भी रखी गई थी.

Jain temple construction
जैन मंदिर का निर्माण

वास्तुकला का उदाहरण

वैसे तो देशभर में कई जगहों पर समवशरण मंदिर हैं, लेकिन यह देश का पहला समवशरण मंदिर बनने जा रहा है, जिसकी ऊंचाई 108 फीट होगी. मंदिर में होने वाला खर्च जैन समाज के लोगों के सहयोग से किया जा रहा है. मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि यह मंदिर वास्तुकला का अपने आप में एक उदाहरण की मिसाल कायम करेगा. इसकी डिजाइन अक्षरधाम मंदिर की डिजाइन तैयार करने वाले वास्तुकार ने तैयार की है. मंदिर के बाहर लाल पत्थर और गर्भगृह में पीले पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है.

बिना स्तम्भ का होगा मंदिर

मंदिर के निर्माण में कोई भी स्तम्भ नहीं होगा. सबसे खास बात यह है कि मंदिर में लगने वाले पत्थरों में किसी भी प्रकार का कोई जोड़ नहीं होगा. इसमें गारे, सीमेंट, सरिया और किसी अन्य साम्रग्री का इस्तेमाल भी नहीं किया जाएगा. समवशरण मंदिर का आकार गोलाई के रूप में होगा, जिससे चारों दिशाओं में श्रीजी की प्रतिमा विराजमान होगी. फिलहाल मंदिर निर्माण का काम जारी है.

विदिशा । विदिशा का अतीत से ही हर धर्म में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है. चाहे वो सनातन धर्म हो या फिर जैन धर्म. जैन समाज के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की जन्म कल्याण भूमि के रूप में समाज के धर्मावलंबियों के बीच पूरे देशभर में प्रसिद्ध है. अब विदिशा में समवशरण मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. इस मंदिर की देशभर में अपने आप में ही एक अलग पहचान होगी.

इस मंदिर का निर्माण 35 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है. यह देश का पहला ऐसा समवशरण का मंदिर होगा, जिसकी ऊंचाई करीब 108 फीट की होगी. मंदिर को राजस्थान के लाल-पीले पत्थरों से तराशा जा रहा है. नागर शैली में बन रहे इस मंदिर में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के अलावा भगवान का पूरा दरबार रहेगा. यह मंदिर रेलवे लाइन किनारे 18 बीघा में फैला शीतलधाम जैन धर्म के तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. 2008 में यहां आचार्य विद्यासागर महाराज ने चातुर्मास किया था, उसी दौरान मंदिर की आधार शिला भी रखी गई थी.

Jain temple construction
जैन मंदिर का निर्माण

वास्तुकला का उदाहरण

वैसे तो देशभर में कई जगहों पर समवशरण मंदिर हैं, लेकिन यह देश का पहला समवशरण मंदिर बनने जा रहा है, जिसकी ऊंचाई 108 फीट होगी. मंदिर में होने वाला खर्च जैन समाज के लोगों के सहयोग से किया जा रहा है. मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि यह मंदिर वास्तुकला का अपने आप में एक उदाहरण की मिसाल कायम करेगा. इसकी डिजाइन अक्षरधाम मंदिर की डिजाइन तैयार करने वाले वास्तुकार ने तैयार की है. मंदिर के बाहर लाल पत्थर और गर्भगृह में पीले पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है.

बिना स्तम्भ का होगा मंदिर

मंदिर के निर्माण में कोई भी स्तम्भ नहीं होगा. सबसे खास बात यह है कि मंदिर में लगने वाले पत्थरों में किसी भी प्रकार का कोई जोड़ नहीं होगा. इसमें गारे, सीमेंट, सरिया और किसी अन्य साम्रग्री का इस्तेमाल भी नहीं किया जाएगा. समवशरण मंदिर का आकार गोलाई के रूप में होगा, जिससे चारों दिशाओं में श्रीजी की प्रतिमा विराजमान होगी. फिलहाल मंदिर निर्माण का काम जारी है.

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