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विदिशा में है फौज की देवी, पानीपत युद्ध के समय हुई थी स्थापना, मन्नत पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं पीतल की घंटियां

सांची विदिशा मार्ग पर स्थापित देवी का बाग में मां दुर्गा का सैकड़ों साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है. इस प्रतिमा का इतिहास से भी गहरा नाता है. बताया जाता है कि नाना साहब पेशवा ने यहां देवी की स्थापना की थी.

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Published : Oct 14, 2021, 9:51 PM IST

विदिशा में है फौज की देवी
विदिशा में है फौज की देवी

विदिशा। सांची-विदिशा मार्ग पर देवी के बाग में स्थापित मां दुर्गा का मंदिर 200 साल पुराना है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नाना साहब पेशवा ने यहां देवी की स्थापना की थी. इसी देवी मंदिर में पेशवा ने राजाओं की मदद के लिए 50 हजार सैनिकों के साथ डेरा डाला था. यहां मां एक छोटे से मंदिर में नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित है. मंदिर चारों तरफ से खुला है.

विदिशा में है फौज की देवी
विदिशा में है फौज की देवी

बाग में विराजित है देवी मां

इस मंदिर की खासियत है कि माता रानी नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित है. यह स्थान बगीचे के रूप में विकसित है, इसलिए इसे देवी का बाग भी कहा जाता है. मंदिर में घंटी चढ़ाने की भी मान्यता है. माना जाता है कि घंटी चढ़ाने की मन्नत से हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए कई लोग मंदिर में घंटी भी चढ़ाते हैं. एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने अपनी इच्छा पूरी होने पर घंटी चढ़ाने की मन्नत की थी. उनका काम सफल रहा इसलिए वे अब मंदिर में घंटी चढ़ाने आए हैं.

विदिशा में है फौज की देवी
विदिशा में है फौज की देवी

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सैकड़ों साल पुराना है मंदिर का इतिहास

सांची रोड़ स्थित देवी का बाग सदियों पुराना स्थान माना जाता है. माना जाता है कि यहां कभी सिंधिया रियासत की सेना आकर ठहरी थी, जिसने यहां चबूतरा बनवा दिया था कालांतर में जमीन बेच दी गई, शहर के बीचों-बीच होते हुए भी इस जगह पर कोई निर्माण नहीं हो सका. यहां अब भी खेत है, बावड़ी है, बगीचा है और मां का खुला दरबार है. देवी प्रतिमाएं प्राचीन पाषाण कला का प्रतीक है, जिस पर आस्था का सिन्दूर लेपन कर दिया गया है. पेड़ की छांव में माता रानी के साथ ही हनुमान, गणेश की प्रतिमाएं और शिव परिवार भी मौजूद हैं.

विदिशा। सांची-विदिशा मार्ग पर देवी के बाग में स्थापित मां दुर्गा का मंदिर 200 साल पुराना है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नाना साहब पेशवा ने यहां देवी की स्थापना की थी. इसी देवी मंदिर में पेशवा ने राजाओं की मदद के लिए 50 हजार सैनिकों के साथ डेरा डाला था. यहां मां एक छोटे से मंदिर में नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित है. मंदिर चारों तरफ से खुला है.

विदिशा में है फौज की देवी
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बाग में विराजित है देवी मां

इस मंदिर की खासियत है कि माता रानी नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित है. यह स्थान बगीचे के रूप में विकसित है, इसलिए इसे देवी का बाग भी कहा जाता है. मंदिर में घंटी चढ़ाने की भी मान्यता है. माना जाता है कि घंटी चढ़ाने की मन्नत से हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए कई लोग मंदिर में घंटी भी चढ़ाते हैं. एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने अपनी इच्छा पूरी होने पर घंटी चढ़ाने की मन्नत की थी. उनका काम सफल रहा इसलिए वे अब मंदिर में घंटी चढ़ाने आए हैं.

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सांची रोड़ स्थित देवी का बाग सदियों पुराना स्थान माना जाता है. माना जाता है कि यहां कभी सिंधिया रियासत की सेना आकर ठहरी थी, जिसने यहां चबूतरा बनवा दिया था कालांतर में जमीन बेच दी गई, शहर के बीचों-बीच होते हुए भी इस जगह पर कोई निर्माण नहीं हो सका. यहां अब भी खेत है, बावड़ी है, बगीचा है और मां का खुला दरबार है. देवी प्रतिमाएं प्राचीन पाषाण कला का प्रतीक है, जिस पर आस्था का सिन्दूर लेपन कर दिया गया है. पेड़ की छांव में माता रानी के साथ ही हनुमान, गणेश की प्रतिमाएं और शिव परिवार भी मौजूद हैं.

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