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इस गांव में 15 साल बाद हुई सात फेरों की रस्म, जानिए इसके पीछे की कहानी - लटेरी विधानसभा क्षेत्र

विदिशा जिले के लटेरी विधानसभा क्षेत्र में 15 साल बाद एक बेटी ने अपने जीवनसाथी के साथ सात फेरे लिए. बागरोदा गांव में पिछले 15 सालों से शादी के दौरान ये रस्म बंद थी. पढ़िए पूरी खबर..

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विदिशा न्यूज
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Published : Apr 29, 2020, 5:12 PM IST

विदिशा। बगरोदा गांव में 15 साल बाद एक बेटी ने अपने जीवनसाथी के साथ सात फेरे लिए. इससे पहले गांव में 15 साल तक फेरों की रश्म नहीं हुई थी. नाबालिग बेटी की हत्या के बाद ये परंपरा बंद थी. इससे पहले गांव में न तो बारात आती थी और न ही जाती थी, लेकिन इस रस्म के बाद अब गांव में बारात आ सकेगी.

15 साल पहले शादी के दौरान कुशवाहा समाज की नाबालिग लड़की की हत्या हो गई थी. जिसके बाद गांव में युवक और युवती की शादी तो होती थी, लेकिन न सात फेरे की रस्म होती थी और न ही बारात निकलती थी.

गांव में बेटियों की शादी तो होती थी, लेकिन वर पक्ष के लोग इस गांव में बारात लाने से परहेज करते थे. लिहाजा लड़की वालों को दूसरे गांव में जाकर शादी करनी पड़ती थी.

गांव में रहने वाले धनराज सिंह कुशवाहा ने इस परंपरा को खत्म करने का जिम्मा उठाया और रूसिया में रहने वाले अपने साले खुमान सिंह की बेटी हरबाई का विवाह बगरोदा में रहने वाले किशोर कुशवाहा से कर दिया.

खुमान सिंह डर की वजह से रूसिया में विवाह करने को तैयार नहीं थे. ऐसे में धनराज आगे आए और शादी करवा कर गांव की परंपरा को तोड़ दिया. क्षेत्र के पूर्व जनपद सदस्य दीनदयाल शर्मा ने बताया कि गांव में शादी के दौरान हत्या की आशंका के चलते बेटियों की शादी नहीं करता था.

विदिशा। बगरोदा गांव में 15 साल बाद एक बेटी ने अपने जीवनसाथी के साथ सात फेरे लिए. इससे पहले गांव में 15 साल तक फेरों की रश्म नहीं हुई थी. नाबालिग बेटी की हत्या के बाद ये परंपरा बंद थी. इससे पहले गांव में न तो बारात आती थी और न ही जाती थी, लेकिन इस रस्म के बाद अब गांव में बारात आ सकेगी.

15 साल पहले शादी के दौरान कुशवाहा समाज की नाबालिग लड़की की हत्या हो गई थी. जिसके बाद गांव में युवक और युवती की शादी तो होती थी, लेकिन न सात फेरे की रस्म होती थी और न ही बारात निकलती थी.

गांव में बेटियों की शादी तो होती थी, लेकिन वर पक्ष के लोग इस गांव में बारात लाने से परहेज करते थे. लिहाजा लड़की वालों को दूसरे गांव में जाकर शादी करनी पड़ती थी.

गांव में रहने वाले धनराज सिंह कुशवाहा ने इस परंपरा को खत्म करने का जिम्मा उठाया और रूसिया में रहने वाले अपने साले खुमान सिंह की बेटी हरबाई का विवाह बगरोदा में रहने वाले किशोर कुशवाहा से कर दिया.

खुमान सिंह डर की वजह से रूसिया में विवाह करने को तैयार नहीं थे. ऐसे में धनराज आगे आए और शादी करवा कर गांव की परंपरा को तोड़ दिया. क्षेत्र के पूर्व जनपद सदस्य दीनदयाल शर्मा ने बताया कि गांव में शादी के दौरान हत्या की आशंका के चलते बेटियों की शादी नहीं करता था.

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