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बेबस प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे बढ़ें नन्हें हाथ, बांटे खाने के पैकेट - providing food to Migrant laborers

प्रवासी मजदूरों के मदद के लिए विदिशा हाईवे रोड पर खाने का इंतजाम किया गया. रोजा रखकर यह मुस्लिम समाज के लोगों कड़ी धूप में मजदूरों को खाने की सुविधा उपलब्ध करा रहे है, ताकि इस लॉकडाउन में कोई भूखा ना रहे.

food packets are being providing to Migrant laborers
प्रवासी मजदूरों को दिए जा रहे खाने के पैकेट
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Published : May 19, 2020, 3:11 PM IST

विदिशा। थोड़ा रुकिए, ठहरिए, खाना खाइए, पानी पीजिए फिर आगे बढ़िए का संदेश इन दिनों विदिशा हाईवे रोड पर प्रवासी मजदूरों को दिया जा रहा है. सेवा भाव से मजदूरों को भर पेट भोजन खिलाया जा रहा है. तमाम सामाजिक संगठन, नगर पालिका की ओर से स्थानीय नागरिक हाईवे रोड पर मजदूरों को खाना खिलाकर सेवा करने में जुटे हुए हैं. रोजा रखकर लोगों की सेवा कर रहे मुस्लिम समाज के युवाओं की एक अनोखी तस्वीर सामने आई है.

नन्हें बच्चे भी शामिल

इस सेवा में बड़े ही नहीं नन्हें बच्चे शामिल हैं. चिलचिलाती धूप में खुले आसमान के नीचे खड़े होकर मासूम बच्चे तख्तियों के जरिये मजदूरों से खाना खाकर जाने की अपील करते हुए नजर आ रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों का सफर लगातार जारी है. कोई बसों से लौट रहा है, कोई गाड़ी और साइकिल से, मजदूरों का जत्था अपने गांव पैदल जाने को मजबूर है. यहीं वजह है कि, इन लोगों ने परोपकार का संदेश दिया और मजदूरों को भोजन बांटने के लिए कई पैकेट तैयार किए, जो इस समय सफर तय कर अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं, उन्हें खाने के पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

सेवा भाव का यह नजारा भोपाल से विदिशा तक देखने को मिल रहा है. मजदूरों के दर्द को अपना दर्द मानकर लोग इनकी मदद कर रहे हैं. खाने के पैकेट्स के साथ चप्पल पहनाने का काम बदस्तूर जारी है. सरकार जहां प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने का काम कर रही है, तो वहीं सड़कों पर पैदल और साइकिलों से मजदूरों का सफर जारी है. सरकार ने भले ही खाने-पीने की व्यवस्था की हो, लेकिन यह मजदूरों तक नहीं पहुंच पा रहा है, पर मजदूरों का दर्द देखकर आमजन जरूर अपने आपको सड़कों पर उतरने से नहीं रोक पा रहे हैं.

विदिशा। थोड़ा रुकिए, ठहरिए, खाना खाइए, पानी पीजिए फिर आगे बढ़िए का संदेश इन दिनों विदिशा हाईवे रोड पर प्रवासी मजदूरों को दिया जा रहा है. सेवा भाव से मजदूरों को भर पेट भोजन खिलाया जा रहा है. तमाम सामाजिक संगठन, नगर पालिका की ओर से स्थानीय नागरिक हाईवे रोड पर मजदूरों को खाना खिलाकर सेवा करने में जुटे हुए हैं. रोजा रखकर लोगों की सेवा कर रहे मुस्लिम समाज के युवाओं की एक अनोखी तस्वीर सामने आई है.

नन्हें बच्चे भी शामिल

इस सेवा में बड़े ही नहीं नन्हें बच्चे शामिल हैं. चिलचिलाती धूप में खुले आसमान के नीचे खड़े होकर मासूम बच्चे तख्तियों के जरिये मजदूरों से खाना खाकर जाने की अपील करते हुए नजर आ रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों का सफर लगातार जारी है. कोई बसों से लौट रहा है, कोई गाड़ी और साइकिल से, मजदूरों का जत्था अपने गांव पैदल जाने को मजबूर है. यहीं वजह है कि, इन लोगों ने परोपकार का संदेश दिया और मजदूरों को भोजन बांटने के लिए कई पैकेट तैयार किए, जो इस समय सफर तय कर अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं, उन्हें खाने के पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

सेवा भाव का यह नजारा भोपाल से विदिशा तक देखने को मिल रहा है. मजदूरों के दर्द को अपना दर्द मानकर लोग इनकी मदद कर रहे हैं. खाने के पैकेट्स के साथ चप्पल पहनाने का काम बदस्तूर जारी है. सरकार जहां प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने का काम कर रही है, तो वहीं सड़कों पर पैदल और साइकिलों से मजदूरों का सफर जारी है. सरकार ने भले ही खाने-पीने की व्यवस्था की हो, लेकिन यह मजदूरों तक नहीं पहुंच पा रहा है, पर मजदूरों का दर्द देखकर आमजन जरूर अपने आपको सड़कों पर उतरने से नहीं रोक पा रहे हैं.

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