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फसल बीमा राशि की मांग को लेकर विदिशा में किसानों का हल्लाबोल, कृषि विधेयक का भी किया विरोध

विदिशा जिले में फसल बीमा राशि की मांग को लेकर किसानों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही अपनी मांगों को लेकर सीएम के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

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Published : Sep 28, 2020, 8:12 PM IST

किसानों ने निकाली रैली
किसानों ने निकाली रैली

विदिशा। फसल बीमा की राशि न मिलने पर अब किसानों का गुस्सा सड़कों पर देखने मिल रहा है. जिले भर में आंदोलन और चक्का जाम के हालात बने हुए हैं. इसी कड़ी में जिला मुख्यालय तक किसानों का दिनभर आंदोलन चलता रहा, जहां किसान लगातार 2018 से लेकर 2019 के बीमा राशि की मांग कर रहे हैं.

सिस्टम और सरकार मिलकर किसानों के साथ कर रहे छल

किसानों का आरोप है कि, सिस्टम और सरकार मिलकर किसानों के साथ छल कर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश का भी विरोध किया जा रहा है. इसी के चलते ट्रैक्टर ट्राली की रैली निकालकर विरोध जताया है. इस दौरान कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा. हालांकि कलेक्टर ने भी किसानों को सभागृह में बैठाकर जल्द समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया. किसानों का आरोप है कि, बीमा कंपनियों द्वारा बड़ी लापरवाही हुई है. राजस्व विभाग की अनदेखी की वजह से बीमा राशि लटक गई. अब उसका हर्जाना किसानों को भुगतान पड़ रहा है.

बीमा कंपनियों की मनमानी

किसानों का ये भी आरोप है कि, 2018 में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम लिया था, लेकिन मुआवजा अभी तक नहीं मिल सका है. किसानों का कहना है कि, वर्ष 2019 में फसल बीमा राशि इंश्योरेंस कंपनियों से नहीं मिली है. इस बार भी किसानों को बीमा राशि नहीं मिल पाई है. बीमा कंपनियों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को लगातार उठाना पड़ रहा है. इस दौरान किसानों ने कहा कि, अगर समय पर बीमा राशि मिलती है, तो अगली फसल की तैयारी किसान कर लेगा.


किसानों को नहीं मिली बीमा राशि
किसानों की मांग है कि, जल्द से जल्द 2019 की फसल बीमा राशि का भुगतान किया जाए. इसी प्रकार वर्ष 2020 में बाढ़ के पानी की वजह से सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, जिसके संबंध में सुनिश्चित मुआवजा दिया जाए. मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार के अध्यादेश को किसान विरोधी करार देते हुए कृषकों ने कहा कि, 'इसे किसी भी हालत में मध्य प्रदेश में लागू नहीं किया जाए'.

विदिशा। फसल बीमा की राशि न मिलने पर अब किसानों का गुस्सा सड़कों पर देखने मिल रहा है. जिले भर में आंदोलन और चक्का जाम के हालात बने हुए हैं. इसी कड़ी में जिला मुख्यालय तक किसानों का दिनभर आंदोलन चलता रहा, जहां किसान लगातार 2018 से लेकर 2019 के बीमा राशि की मांग कर रहे हैं.

सिस्टम और सरकार मिलकर किसानों के साथ कर रहे छल

किसानों का आरोप है कि, सिस्टम और सरकार मिलकर किसानों के साथ छल कर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश का भी विरोध किया जा रहा है. इसी के चलते ट्रैक्टर ट्राली की रैली निकालकर विरोध जताया है. इस दौरान कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा. हालांकि कलेक्टर ने भी किसानों को सभागृह में बैठाकर जल्द समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया. किसानों का आरोप है कि, बीमा कंपनियों द्वारा बड़ी लापरवाही हुई है. राजस्व विभाग की अनदेखी की वजह से बीमा राशि लटक गई. अब उसका हर्जाना किसानों को भुगतान पड़ रहा है.

बीमा कंपनियों की मनमानी

किसानों का ये भी आरोप है कि, 2018 में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम लिया था, लेकिन मुआवजा अभी तक नहीं मिल सका है. किसानों का कहना है कि, वर्ष 2019 में फसल बीमा राशि इंश्योरेंस कंपनियों से नहीं मिली है. इस बार भी किसानों को बीमा राशि नहीं मिल पाई है. बीमा कंपनियों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को लगातार उठाना पड़ रहा है. इस दौरान किसानों ने कहा कि, अगर समय पर बीमा राशि मिलती है, तो अगली फसल की तैयारी किसान कर लेगा.


किसानों को नहीं मिली बीमा राशि
किसानों की मांग है कि, जल्द से जल्द 2019 की फसल बीमा राशि का भुगतान किया जाए. इसी प्रकार वर्ष 2020 में बाढ़ के पानी की वजह से सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, जिसके संबंध में सुनिश्चित मुआवजा दिया जाए. मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार के अध्यादेश को किसान विरोधी करार देते हुए कृषकों ने कहा कि, 'इसे किसी भी हालत में मध्य प्रदेश में लागू नहीं किया जाए'.

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