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खुली सरकार के दावों की पोल, 300 लोगों के गांव में हैं केवल चार शौचालय

विदिशा के करैया खेड़ा गांव में ईटीवी भारत ने सरकार के 'हर घर शौचालय' के दावे का रियल्टी चेक किया. जिसमें यहां चौकाने वाली सच्चाई सामने आयी. 300 लोगों की आबादी के इस गांव में महज चार शौचालय बने हैं.

ईटीवी भारत
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Published : Oct 3, 2019, 11:38 AM IST

Updated : Oct 3, 2019, 12:35 PM IST

विदिशा। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सरकारी सिस्टम चाहे कितना स्वच्छता के दावे करे लेकिन विदिशा के करैया खेड़ा गांव में स्वच्छता अभियान महज कागजों तक ही सीमित रह गया है. ईटीवी भारत ने जब यहां जमीनी हकीकत का पता किया तो 100 प्रतिशत स्वच्छता के प्रशासन के दावे की पोल खुल गई.

विदिशा के करैया खेड़ा गांव में पहुंचा ईटीवी भारत

जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की दूरी पर बसा 300 लोगों की आबादी का करैया खेड़ा गांव में आज भी हर घर में शौचालय नहीं हैं. पिछले तीन साल में 'हर घर शौचालय' के तहत गांव में मात्र चार शौचालय ही बन सके हैं. आज भी पूरा गांव शौच के लिए खुले में जाता है.

गांव में तीन साल पहले शौचालय बनवाने के नाम पर शासन ने ग्रामीणों से फार्म भरवाये. शौचालय के लिए गड्ढे भी खोदे गए लेकिन तीन साल में न गड्ढे बचे न शौचालय बने. गांव में जो शौचालय बने भी हैं वो खुद अपनी जुबानी सिस्टम की लापरवाही गिनवाने के लिए काफी हैं. कुछ शौचालयों की दीवार दरक रही है तो कुछ तीन साल बाद भी छत का इंतजार कर रहे हैं.

50 वर्षीय नंद लाल के घर में 6 सदस्य रहते हैं. नंद लाल के घर भी शौचालय के नाम पर केवल गड्ढा किया गया है. लेकिन शौचालय आज तक नहीं बना. नंदलाल बताते हैं कि हमारे पूरे परिवार को मजबूरन घर से बाहर शौच के लिए जाना होता हैं. रात में कभी डर भी सताता है पर बाहर शौच जाना एक मजबूरी है.

गांव की महिला राम बाई भी अपने बेटे बहू को शौच के लिए बाहर नहीं भेजना चाहतीं लेकिन घर में शौचालय ही नहीं है ऐसे में मजबूरन बाहर जाना पड़ता है. यही हाल गांव में रहने वाले कई परिवारों का है.

शहर के हर चौराहे पर लगा गंदगी का अंबार
जब हम गांव से निकलकर शहर आये तो यहां भी कोई चौराहा ऐसा नहीं मिला जो वाकई में स्वच्छ हो, बल्कि हर गली चौराहे पर गंदगी का अंबार नजर आया और लोगों से बात करने पर वे प्रशासन को कोसते दिखे. कुछ साल पहले विदिशा को स्वच्छता के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है लेकिन फिलहाल शहर में सफाई की स्थिति पर लोगों का कहना है कि कई बार प्रशासन से शिकायत दर्ज करवा चुके हैं. लेकिन शहर में सफाई प्रशासन की मनमर्जी के अनुसार ही होती है. आज भी शहरभर में लगे गांधी जी होर्डिंग लोगों को सफाई का संदेश दे रहे हैं. लेकिन शहर में गंदगी का अंबार और गांव खुले में शौच प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी बताने के लिए काफी हैं.

विदिशा। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सरकारी सिस्टम चाहे कितना स्वच्छता के दावे करे लेकिन विदिशा के करैया खेड़ा गांव में स्वच्छता अभियान महज कागजों तक ही सीमित रह गया है. ईटीवी भारत ने जब यहां जमीनी हकीकत का पता किया तो 100 प्रतिशत स्वच्छता के प्रशासन के दावे की पोल खुल गई.

विदिशा के करैया खेड़ा गांव में पहुंचा ईटीवी भारत

जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की दूरी पर बसा 300 लोगों की आबादी का करैया खेड़ा गांव में आज भी हर घर में शौचालय नहीं हैं. पिछले तीन साल में 'हर घर शौचालय' के तहत गांव में मात्र चार शौचालय ही बन सके हैं. आज भी पूरा गांव शौच के लिए खुले में जाता है.

गांव में तीन साल पहले शौचालय बनवाने के नाम पर शासन ने ग्रामीणों से फार्म भरवाये. शौचालय के लिए गड्ढे भी खोदे गए लेकिन तीन साल में न गड्ढे बचे न शौचालय बने. गांव में जो शौचालय बने भी हैं वो खुद अपनी जुबानी सिस्टम की लापरवाही गिनवाने के लिए काफी हैं. कुछ शौचालयों की दीवार दरक रही है तो कुछ तीन साल बाद भी छत का इंतजार कर रहे हैं.

50 वर्षीय नंद लाल के घर में 6 सदस्य रहते हैं. नंद लाल के घर भी शौचालय के नाम पर केवल गड्ढा किया गया है. लेकिन शौचालय आज तक नहीं बना. नंदलाल बताते हैं कि हमारे पूरे परिवार को मजबूरन घर से बाहर शौच के लिए जाना होता हैं. रात में कभी डर भी सताता है पर बाहर शौच जाना एक मजबूरी है.

गांव की महिला राम बाई भी अपने बेटे बहू को शौच के लिए बाहर नहीं भेजना चाहतीं लेकिन घर में शौचालय ही नहीं है ऐसे में मजबूरन बाहर जाना पड़ता है. यही हाल गांव में रहने वाले कई परिवारों का है.

शहर के हर चौराहे पर लगा गंदगी का अंबार
जब हम गांव से निकलकर शहर आये तो यहां भी कोई चौराहा ऐसा नहीं मिला जो वाकई में स्वच्छ हो, बल्कि हर गली चौराहे पर गंदगी का अंबार नजर आया और लोगों से बात करने पर वे प्रशासन को कोसते दिखे. कुछ साल पहले विदिशा को स्वच्छता के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है लेकिन फिलहाल शहर में सफाई की स्थिति पर लोगों का कहना है कि कई बार प्रशासन से शिकायत दर्ज करवा चुके हैं. लेकिन शहर में सफाई प्रशासन की मनमर्जी के अनुसार ही होती है. आज भी शहरभर में लगे गांधी जी होर्डिंग लोगों को सफाई का संदेश दे रहे हैं. लेकिन शहर में गंदगी का अंबार और गांव खुले में शौच प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी बताने के लिए काफी हैं.

Intro:रियल्टी चेक विदिशा
विदिशा :- केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सरकारी सिस्टम शत प्रतिशत स्वच्छ्ता के लाख दावे करे लेकिन स्वच्छता अभियान की हक़ीक़त महज कागजो ओर फाइलों तक ही सिमट कर रह गईं हैं जमीन पर स्वच्छ्ता शून्य नज़र आई इतना ही नही इन ग्राम ओर शहरों में 100 प्रतिशत स्वच्छ्ता का प्रशासन दावा कर चुका है ।
etv भारत की ग्राऊंड रिपोर्ट


Body:जिला मुख्यालय से महज़ दस किलोमीटर की दूरी पर बसा 300 लोगो की आबादी का गांव करैया खेड़ा आज भी शौचालय बनने की बाट जोह रहा है etv भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में निकल कर आया तीन साल में ग्राम में मात्र तीन शौचालय बन सके आज भी पूरा ग्राम शौच के लिए बाहर जाता है भले ही प्रशासन करोड़ो रूपये खर्च कर दाबे कर रही हो विदिशा का करैया खेड़ा ग्राम शासन के दाबो की असल तस्बीर दिखाने के लिए काफी है ।
ग्राम में शासन द्वारा तीन साल पहले ग्राम बासियों से शौचालय बनबाने के नाम पर फार्म भरबाये गए शौचालय के लिए गड्ढे भी खोदे गए पर तीन साल में न गड्ढे बचे न शौचालय का नामो निशान अब ग्राम के लोग केवल यही बता पा रहे हैं कि इस जगह हमारा शौचालय बनना था उसके लिए गड्डा खोदा गया था ।
ग्राम में जो शौचालय बने है वो खुद अपनी जुबानी सिस्टम की लापरवाही गिनवाने के लिए काफी है कुछ शौचालय की दीवार दरख रही है तो कुछ तीन साल बाद भी छत का इंतजार कर रहे हैं ।



Conclusion:50 वर्षीय नंद लाल के घर मे 6 सदस्य रहते हैं नंद लाल ने भी बड़ी आशा से तीन साल पहले स्वच्छ्ता का आवेदन क्या उनके घर भी शौचालय होगा पर नंद लाल को शौचालय के नाम पर केवल आज शौचालय का गड्डा ही नसीब हो सका नंदलाल शौचालय बनने का आज भी इन्तेजार कर रहे हैं नंदलाल बताते हैं हमारे पूरे परिवार को मजबूरन घर से बाहर शौच के लिए जाना होता है रात में कभी डर भी सताता है पर बाहर शौच जाना एक मजबूरी है
नंद लाल सफेद शर्ट

ग्राम की महिला राम बाई भी अपने बेटे बहु को बाहर शौच भेजना नही चाहती पर आज तक शौचालय ही नही बना तो मजबूरन बाहर जाना होता है ।

ग्राम के अजीत के घर मे भी छः सदस्यों का परिवार है इनकी भी पूरे ग्राम की तरह एक ही समस्या है शासन प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके पर आज तक शौचालय नसीब नही हो सका अजीत कहते है सर गरीबो की सुनबाई नही होती
चॉकलेटी शर्ट अजीत

जब हम गांब से निकलकर जिला मुख्यालय की चोक चौराहे पर शत प्रतिशत दावा करने वाले आंकड़ो की जमीनी हकीकत जानी तो शहर भर का कोई चोक चौराहे ऐंसा नही मिला जो बाकी स्वछ हो बल्कि हर गली चौराहे गंदगी की गिरफ्त में नज़र आया और लोग प्रशासन को कोसते
रेलवे स्टेशन , खरीफाटक रोड ,दुर्गानगर चौराहे ,सरकारी अस्पताल पर गंदगी के अंबार नज़र आये स्थानीय लोग बताते है कई बार प्रशासन से शिकायत दर्ज करवा चुके मनमर्ज़ी के मुताबिक शहर की सफाई होती है कई दिनों में घरो के बाहर से गंदा कचरा उठाया जाता है ।

आज नही बल्कि सालों पहले विदिशा को स्वच्छ्ता के पुरस्कार से नबाजा जा चुका है विदिशा नगर पालिका द्वारा भी सिलोगन ओर होर्डिंगों से स्वच्छ्ता के संदेश दिए जा रहे है पर जमीन पर यह योजना पूरी तरह विफल साबित हुई
इन सब सरकारी दाबो बादो को देखकर आज माहत्मा गांधी होर्डिग भी शहर बासियों को बुरा मत देखो ,बुरा मत सुनो ,बुरा मत कहो का संदेश दे रहे हैं ।
Last Updated : Oct 3, 2019, 12:35 PM IST
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