विदिशा। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सरकारी सिस्टम चाहे कितना स्वच्छता के दावे करे लेकिन विदिशा के करैया खेड़ा गांव में स्वच्छता अभियान महज कागजों तक ही सीमित रह गया है. ईटीवी भारत ने जब यहां जमीनी हकीकत का पता किया तो 100 प्रतिशत स्वच्छता के प्रशासन के दावे की पोल खुल गई.
जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की दूरी पर बसा 300 लोगों की आबादी का करैया खेड़ा गांव में आज भी हर घर में शौचालय नहीं हैं. पिछले तीन साल में 'हर घर शौचालय' के तहत गांव में मात्र चार शौचालय ही बन सके हैं. आज भी पूरा गांव शौच के लिए खुले में जाता है.
गांव में तीन साल पहले शौचालय बनवाने के नाम पर शासन ने ग्रामीणों से फार्म भरवाये. शौचालय के लिए गड्ढे भी खोदे गए लेकिन तीन साल में न गड्ढे बचे न शौचालय बने. गांव में जो शौचालय बने भी हैं वो खुद अपनी जुबानी सिस्टम की लापरवाही गिनवाने के लिए काफी हैं. कुछ शौचालयों की दीवार दरक रही है तो कुछ तीन साल बाद भी छत का इंतजार कर रहे हैं.
50 वर्षीय नंद लाल के घर में 6 सदस्य रहते हैं. नंद लाल के घर भी शौचालय के नाम पर केवल गड्ढा किया गया है. लेकिन शौचालय आज तक नहीं बना. नंदलाल बताते हैं कि हमारे पूरे परिवार को मजबूरन घर से बाहर शौच के लिए जाना होता हैं. रात में कभी डर भी सताता है पर बाहर शौच जाना एक मजबूरी है.
गांव की महिला राम बाई भी अपने बेटे बहू को शौच के लिए बाहर नहीं भेजना चाहतीं लेकिन घर में शौचालय ही नहीं है ऐसे में मजबूरन बाहर जाना पड़ता है. यही हाल गांव में रहने वाले कई परिवारों का है.
शहर के हर चौराहे पर लगा गंदगी का अंबार
जब हम गांव से निकलकर शहर आये तो यहां भी कोई चौराहा ऐसा नहीं मिला जो वाकई में स्वच्छ हो, बल्कि हर गली चौराहे पर गंदगी का अंबार नजर आया और लोगों से बात करने पर वे प्रशासन को कोसते दिखे. कुछ साल पहले विदिशा को स्वच्छता के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है लेकिन फिलहाल शहर में सफाई की स्थिति पर लोगों का कहना है कि कई बार प्रशासन से शिकायत दर्ज करवा चुके हैं. लेकिन शहर में सफाई प्रशासन की मनमर्जी के अनुसार ही होती है. आज भी शहरभर में लगे गांधी जी होर्डिंग लोगों को सफाई का संदेश दे रहे हैं. लेकिन शहर में गंदगी का अंबार और गांव खुले में शौच प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी बताने के लिए काफी हैं.