विदिशा। मध्य प्रदेश में कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन किया गया है. इस अधिनियम के विरोध में कृषि उपज मंडी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर बताया कि इस संशोधन से किसानों को एक नहीं बल्कि अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. वहीं इस संशोधन से मंडी की आय कम हो जाएगी, जिससे कमर्चारियों के वेतन भत्ते का भुगतान भी प्रभावित होगा.
मंडी कर्मचारी कलेक्टर पंकज जैन के सामने भी विरोध कर चुके हैं. मंडी प्रशासन का कहना है 1 मई 2020 को अध्यादेश जारी किया गया है. इस नए कानून के तहत निजी मंडी ट्रेनिंग को भी मंडी समिति के नियंत्रण से मुक्त रखा गया है.
मंडी प्रशासन का कहना है नए नियम से किसानों के उपज भुगतान में दिक्कते आएंगी. मंडी कर्मचारियों के भत्ते और वेतन में कई परेशानी आएंगी. मंडी प्रशासन ने बताया कि मंडी समितियां शक्ति विहीन हो जाएंगी. किसानों का शोषण होगा. निजी मंडियों की मनमानी होने लगेगी. मंडी के आय स्रोत खत्म हो जाएंगे. मंडी कर्मचारियों को आने वाले समय में दिक्कत हो सकती है. कर्मचारियों ने इस नियम को शून्य घोषित करने की मांग की है.
दूसरी ओर गंजबासौदा की विधायक लीना जैन ने मंडी में भारी आवक को देखते हुए नई मंडी शिफ्ट करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि नई मंडी का कार्य पूरे हुए कई दिन गुजर चुके हैं, लेकिन छोटी-मोटी कमी पूरी नहीं होने के चलते पुरानी मंडी नई मंडी में शिफ्ट नहीं हो पा रही है.
विधायक ने कहा कि मुझसे जितना हो सकता है, उतना करूंगी, लेकिन शीघ्र ही नई मंडी में शिफ्ट किया जाए. पहले भी किसान व्यापारी इसको लेकर मांग कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी इस प्रक्रिया को अमल में नहीं लाया गया.