विदिशा। कृषि उपज मंडी में हम्माली बढ़ाये जाने की मांग को लेकर आज कृषि मंडी हड़ताल का आठवां दिन है. मंडी हड़ताल से व्यापारियों के साथ किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. हड़ताल खत्म करने की गुहार प्रशासनिक आलाअधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधि भी कर चुके हैं, लेकिन हम्मालों के विरोध के आगे सभी की कोशिश नाकाम साबित हुई.
किसानों के बोनी के सीजन शुरू होने से इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ रहा है. पहले अन्नदाता पर प्राकृतिक मार अब हड़ताल का विरोध किसानों को झेलना पड़ रहा है. किसानों के मुताबिक किसानों की पिछली फसल ही नहीं बिक सकी. जिसके चलते अगली फसल की बोनी पर संकट मंडराता नज़र आ रहा है. फसल नहीं बिकने से अभी किसानों तक पिछली फसल का पैसा नहीं पहुंचा है. समय पर पिछली फसल का पैसा किसानों को मिल जाता, तो अगली बोनी में कुछ सहायता मिल सकती है. अब किसानों को यह उम्मीद भी कही से नज़र नहीं आ रही है. हम्मालों की इस हड़ताल का सबसे अधिक खामियाजा किसानों को करना पड़ रहा है.
मंडी हड़ताल के कारण उपज पर पूरी तरह से रोक लगी है. किसान मंडी शुरू करने को लेकर विरोध में चक्काजाम भी कर चुके हैं. हम्मालों के साथ मंडी समिति भी अभी तक कोई हल नहीं निकाल सकी है. हम्माल लगातार 15 प्रतिशत की वृद्धि कराए जाने की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. हम्माल चाहते हैं ट्राली खाली कराने का 3 रुपये प्रति बोरा लेते हैं. उसका भुगतान व्यापारी द्वारा किया जाए. व्यापारी यह भुगतान सीधे किसान से कांटे पर ही करें. हालांकि मंडी समिति किसान से ट्राली खाली कराने वाली राशि को अनावश्यक राशि वसूलने की बात कह रही हैं. मंडी प्रशासक का मानना है. मंडी में ट्राली खाली कराने का जब कोई काम ही नहीं है, तो किसान से किस बात का पैसा वसूला जाए यह नाजायज मांग है.
पहला मामला नहीं है, जब मंडी में इतने दिनों खेती के सीजन पर हड़ताल की जा रही है बल्कि मॉडल एक्ट के विरोध में कई दिनों तक यह मंडी बन्द रही थी. जिस पर सबसे अधिक नुकसान किसानों का हुआ था. इस बार भी किसानों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.