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पहली में पढ़ने वाले बच्चे ने रखा रोजा, अमन-चैन की मांग रहा दुआ - Month of ramadan

मुस्लिम समुदाय एक महीने तक चलने वाले रमजान माह में खुदा की इबादत करता है, इस माह में दान पुण्य करने का सवाब भी ज्यादा मिलता है.

Ramadan festival in Vidisha
विदिशा में रमजान का पर्व
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Published : Apr 28, 2020, 4:51 PM IST

विदिशा। इन दिनों रमजान चल रहा है. एक महीने तक चलने वाले इस मुकद्दस माह में मुस्लिम समाज जहां एक ओर खुदा की इबादत में व्यस्त रहता है. वहीं इस माह में (जकात) दान पुण्य करने का सवाब भी ज्यादा मिलता है. यही वजह है कि रमजान में अधिक तादाद में नेकी के काम किए जाते हैं. लॉकडाउन की वजह से जो इबादत मस्जिद में होती थी, वो अब लोग अपने अपने घरों पर ही कर रहे हैं.

विदिशा में रमजान का पर्व

रोजा रखना सभी मुस्लिम पुरुष और महिलाओं के लिए जो बालिग हैं जरूरी है. हालांकि, नाबालिगों को इसमें छूट मिली है, पर बच्चे भी इस अवसर को गंवाना नहीं चाहते, घर में अपने बड़ों को रोजा रखते देख बच्चे भी रोजा रखने की ख्वाहिश जता रहे हैं. ऐसे ही एक घर में पहली कक्षा में पढ़ने वाला छात्र रोजा रख उन लोगों के लिए प्रेरणा बन गया जो जवान होते हुए भी रोजे नहीं रख रहे.

बच्चे के परिजनों ने बताया कि ये बच्चा रमजान शुरू होने से पहले ही रोजा रखने का इच्छुक था, लेकिन माता -पिता के समझाने के बाद भी वह नहीं माना और पहले दिन आधे दिन भूखा रहा और फिर दूसरे दिन पूरा रोजा रखा और दिन भर कुछ नहीं खाया. हालांकि, उसके पिता ने खाना खाने को कहा लेकिन उसने सूर्यास्त के बाद ही सबके साथ इफ्तार किया.

विदिशा। इन दिनों रमजान चल रहा है. एक महीने तक चलने वाले इस मुकद्दस माह में मुस्लिम समाज जहां एक ओर खुदा की इबादत में व्यस्त रहता है. वहीं इस माह में (जकात) दान पुण्य करने का सवाब भी ज्यादा मिलता है. यही वजह है कि रमजान में अधिक तादाद में नेकी के काम किए जाते हैं. लॉकडाउन की वजह से जो इबादत मस्जिद में होती थी, वो अब लोग अपने अपने घरों पर ही कर रहे हैं.

विदिशा में रमजान का पर्व

रोजा रखना सभी मुस्लिम पुरुष और महिलाओं के लिए जो बालिग हैं जरूरी है. हालांकि, नाबालिगों को इसमें छूट मिली है, पर बच्चे भी इस अवसर को गंवाना नहीं चाहते, घर में अपने बड़ों को रोजा रखते देख बच्चे भी रोजा रखने की ख्वाहिश जता रहे हैं. ऐसे ही एक घर में पहली कक्षा में पढ़ने वाला छात्र रोजा रख उन लोगों के लिए प्रेरणा बन गया जो जवान होते हुए भी रोजे नहीं रख रहे.

बच्चे के परिजनों ने बताया कि ये बच्चा रमजान शुरू होने से पहले ही रोजा रखने का इच्छुक था, लेकिन माता -पिता के समझाने के बाद भी वह नहीं माना और पहले दिन आधे दिन भूखा रहा और फिर दूसरे दिन पूरा रोजा रखा और दिन भर कुछ नहीं खाया. हालांकि, उसके पिता ने खाना खाने को कहा लेकिन उसने सूर्यास्त के बाद ही सबके साथ इफ्तार किया.

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