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160 साल बाद आया ऐसा मलमास, जानें क्या है इसका रहस्य

18 सितंबर से शुरु हुआ अधिक मास इस बार बेहद खास माना जा रहा है. लोगों का मानना है कि इस बार 160 साल बाद ऐसा योग बना है.

umaria
पुरुषोत्तम मास
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Published : Sep 18, 2020, 4:57 PM IST

उमरिया। हिन्दू पंचांग में 12 माह होते हैं. इसका आधार सूर्य और चंद्रमा होता है. सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. इन दोनों वर्षों के बीच करीब 11 दिनों का फासला होता है. ये फर्क तीन साल में एक माह के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है. बढ़ने वाले इस महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश तिवारी

मलमास कैसे हुए पुरुषोत्तम मास-

पुराणों में अधिकमास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा है. उस कथा के अनुसार, स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी. इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे अपना दुख बताया. भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे जहां वहां भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- 'अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं. इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे. मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं. आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे.' प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा. इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया. अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राप्ति होगी.

कब से होगी दुर्गा पूजा-

इस साल 17 अक्टूबर से दुर्गा पूजा की शुरुआत होगी. विजयादशमी 25 अक्टूबर को है. हर साल पितृपक्ष समापन के अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत

-होती है, लेकिन इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अश्विन अधिक मास लगने वाला है. मलमास लगने से नवरात्र व पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश तिवारी ने बताया कि 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा. 17 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक शुद्ध अश्विन मास होगा. इस दौरान ही 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.

पंडित दिनेश तिवारी ने आगे बताया कि भारतीय ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार चलता है. अधिक मास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो 32 माह 16 दिन 8 घंटे के अंतर से मलमास का निर्माण होता है. सूर्य वर्ष 365 दिन 6 घंटे का होता है तथा चंद्र वर्ष 354 का माना जाता है.

सालों बाद बना ऐसा संयोग

अश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा का ये संयोग करीब 160 साल बाद बनने जा रहा है. ज्योतिष में बताया जाता है कि लीप वर्ष ( Leap year) होने के कारण ऐसा है. चातुर्मास जो हमेशा चार माह का होता है, इस बार 5 माह का होगा. ज्योतिषाचार्य की मानें तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिक मास दोनों ही एक साथ हैं. चातुर्मास लगने से मांगलिक कार्य नहीं होंगे. इस दौरान देव सो जाते हैं, जो देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं.

उमरिया। हिन्दू पंचांग में 12 माह होते हैं. इसका आधार सूर्य और चंद्रमा होता है. सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. इन दोनों वर्षों के बीच करीब 11 दिनों का फासला होता है. ये फर्क तीन साल में एक माह के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है. बढ़ने वाले इस महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश तिवारी

मलमास कैसे हुए पुरुषोत्तम मास-

पुराणों में अधिकमास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा है. उस कथा के अनुसार, स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी. इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे अपना दुख बताया. भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे जहां वहां भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- 'अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं. इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे. मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं. आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे.' प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा. इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया. अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राप्ति होगी.

कब से होगी दुर्गा पूजा-

इस साल 17 अक्टूबर से दुर्गा पूजा की शुरुआत होगी. विजयादशमी 25 अक्टूबर को है. हर साल पितृपक्ष समापन के अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत

-होती है, लेकिन इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अश्विन अधिक मास लगने वाला है. मलमास लगने से नवरात्र व पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश तिवारी ने बताया कि 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा. 17 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक शुद्ध अश्विन मास होगा. इस दौरान ही 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.

पंडित दिनेश तिवारी ने आगे बताया कि भारतीय ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार चलता है. अधिक मास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो 32 माह 16 दिन 8 घंटे के अंतर से मलमास का निर्माण होता है. सूर्य वर्ष 365 दिन 6 घंटे का होता है तथा चंद्र वर्ष 354 का माना जाता है.

सालों बाद बना ऐसा संयोग

अश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा का ये संयोग करीब 160 साल बाद बनने जा रहा है. ज्योतिष में बताया जाता है कि लीप वर्ष ( Leap year) होने के कारण ऐसा है. चातुर्मास जो हमेशा चार माह का होता है, इस बार 5 माह का होगा. ज्योतिषाचार्य की मानें तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिक मास दोनों ही एक साथ हैं. चातुर्मास लगने से मांगलिक कार्य नहीं होंगे. इस दौरान देव सो जाते हैं, जो देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं.

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