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Holi 2023 : युवाओं ने छेड़ा अभियान 'आओ जलाएं कंडे की होली'

उमरिया जिले में युवाओं ने एक नई पहल की है. आओ जलाएं कंडे की होली अभियान के तहत युवा घर-घर से कंडे जमा कर रहे हैं. इसके साथ ही लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं. इस प्रकार युवा पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश लेकर घर-घर पहुंच रहे हैं.

Youth started innovation Holi
Holi 2023 : युवाओं ने छेड़ा अभियान
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Published : Feb 27, 2023, 5:51 PM IST

उमरिया। पर्यावरण के संरक्षण और गोवर्धन के लिए जरूरी है. हम सब मिलकर काम करें. इसके लिए आने वाले त्योहार होली पर हम गाय के गोबर से बने हुए कंडों की होली जलाकर न केवल पर्यावरण को बचाने का काम कर सकते हैं बल्कि हम गौशालाओं के विकास के लिए भी एक कदम आगे बढ़ा सकते हैं. कंडो की होली से यहां लकड़ी की बचत होगी. वहीं पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. वन संपदा और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इस साल पाली बिरसिंहपुर जिला उमरिया के नवयुवकों ने 'आओ जलाएं कंडों की होली' अभियान पर जोर दिया है.

कंडे की होली जलाना धार्मिक : कंडे की होली से न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा बल्कि धर्म के अनुसार भी कंडे की होली को सही माना गया है. इसे देखते हुए समाज का प्रबुद्ध वर्ग कह रहा है कि अब आस्था भी बनी रहे, परंपरा का निर्वहन भी हो जाए और पेड़ भी ना कटें. इसके लिए कंडे की होली जलाने पर जोर दिया है. बता दें कि प्रदूषण वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है. साथ ही सर्वाधिक चिंता का विषय भी है. होली देश मे प्रतिवर्ष मनाई जाती है और इस पावन पर्व को मनाने के लिए हरे पेड़ो की बलि चढ़ा दी जाती है, जो नहीं होना चाहिए. उपलों की होली हम बचपन से गांव से खेलते और जलाते आ रहे हैं. जब सिर्फ कंडों की होली जलाई जाती थी, उससे धुड़ेरी खेलने का आनंद ही कुछ और होता था. उस उपलों की भभूति जब शरीर में लगती थी तो अनेक चर्म रोग जैसे बीमारियां दूर हो जाती थीं. ऐसा हमारे गांव के बुजुर्ग कहा करते थे. होली का त्योहार जंगल की हरी लकड़ियों से नहीं बल्कि उपलों को उपयोग कर होली जलाएं और उत्सव मनाएं.

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एकत्र कर रहे हैं कंडे : टीम लीडर हिमांशु तिवारी ने बताया कि युवा टीम उमरिया के सदसयो के द्वारा इस वर्ष लकड़ी की जगह कंडों से होलिका दहन किया जाएगा. इसके लिए युवा टीम उमरिया के सदस्य गांव-गांव घर-घर जाकर कंडे इकट्ठा करने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि होली जलाते समय हम जहां अति उत्साह में आकर कई क्विंटल लकड़ी जला देते हैं तो कहीं कहीं तो हरे भरे पेड़ काटकर भी होली में रख देते हैं, जिससे प्रकृति का नुकसान होता है. उमरिया के सदस्यों ने इस वर्ष तय किया है कि बिरसिंहपुर पाली के कई विभिन्न स्थानों में इस वर्ष कंडों की होली जलाने में अपनी सहभागिता निभाएंगे. युवाओं का कहना है कि इस बार लकड़ी की जगह हम आसपास उगी झाड़ियों को शामिल करेंगे और कंडों की संख्या बढ़ाएंगे. 100 से भी अधिक युवा आयोजन की तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान हिमांशु तिवारी, खुशी सेन, लक्ष्मी सिंह, राहुल सिंह, क्षमा सिंह, नेहा सिंह, सिमरन सिंह खुशनुमा बानो, अमृता सिंह, शिवानी बर्मन, नरेश प्रजापति, प्रदीप राय, सुनील प्रजापति के सहित 100 युवा तैयारी कर रहे हैं.

उमरिया। पर्यावरण के संरक्षण और गोवर्धन के लिए जरूरी है. हम सब मिलकर काम करें. इसके लिए आने वाले त्योहार होली पर हम गाय के गोबर से बने हुए कंडों की होली जलाकर न केवल पर्यावरण को बचाने का काम कर सकते हैं बल्कि हम गौशालाओं के विकास के लिए भी एक कदम आगे बढ़ा सकते हैं. कंडो की होली से यहां लकड़ी की बचत होगी. वहीं पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. वन संपदा और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इस साल पाली बिरसिंहपुर जिला उमरिया के नवयुवकों ने 'आओ जलाएं कंडों की होली' अभियान पर जोर दिया है.

कंडे की होली जलाना धार्मिक : कंडे की होली से न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा बल्कि धर्म के अनुसार भी कंडे की होली को सही माना गया है. इसे देखते हुए समाज का प्रबुद्ध वर्ग कह रहा है कि अब आस्था भी बनी रहे, परंपरा का निर्वहन भी हो जाए और पेड़ भी ना कटें. इसके लिए कंडे की होली जलाने पर जोर दिया है. बता दें कि प्रदूषण वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है. साथ ही सर्वाधिक चिंता का विषय भी है. होली देश मे प्रतिवर्ष मनाई जाती है और इस पावन पर्व को मनाने के लिए हरे पेड़ो की बलि चढ़ा दी जाती है, जो नहीं होना चाहिए. उपलों की होली हम बचपन से गांव से खेलते और जलाते आ रहे हैं. जब सिर्फ कंडों की होली जलाई जाती थी, उससे धुड़ेरी खेलने का आनंद ही कुछ और होता था. उस उपलों की भभूति जब शरीर में लगती थी तो अनेक चर्म रोग जैसे बीमारियां दूर हो जाती थीं. ऐसा हमारे गांव के बुजुर्ग कहा करते थे. होली का त्योहार जंगल की हरी लकड़ियों से नहीं बल्कि उपलों को उपयोग कर होली जलाएं और उत्सव मनाएं.

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