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आंखों का अंधापन भी नहीं बुझा सकी कला की ज्योति, दुखीलाल की कला की कायल हुई दुनिया

उमरिया के करकेली अंतर्गत भरौला गांव में दृष्टिहीन दुखीलाल दाहिया की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. उनकी कला को आगे बढ़ाने में उनका परिवार भी उनका पूरा सहयोग करता है.

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दिव्यांग कलाकार दुखीलाल दाहिया
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Published : Dec 4, 2019, 10:47 AM IST

Updated : Dec 4, 2019, 12:39 PM IST

उमरिया। जिले के विकासखंड करकेली अंतर्गत एक भरौला गांव में दृष्टिहीन दुखीलाल दहिया रहते हैं. वे एक रंगकर्मी हैं और उनकी कला के हजारों कद्रदान हैं. दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने रंगमंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. इन्होंने देश की राजधानी दिल्ली, असम, लखनऊ, जबलपुर, भोपाल और उज्जैन जैसे शहरों के रंगमंच पर अपनी कला के रंग बिखेरे हैं.

आंखों का अंधापन भी नहीं बुझा सकी कला की ज्योति

आंखों से कुछ भी दिखाई नहीं देने के बावजूद दुखीलाल खेती-किसानी से लेकर बिना किसी के मदद के अपना सारा काम खुद कर लेते हैं और उन्हें किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. दुखीलाल के साथ उनका परिवार भी रंगमंच से लेकर दैनिक जीवन के कामकाजों में उसकी भरपूर मदद करता है. उनकी पत्नी एक गृहिणी हैं और हर कदम पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर चल रही है.

25 सालों से रंगमंच की विधा को समाज मे बनाए रखने में जुटी संदेश नाट्य संस्था ने दृष्टिहीन दुखीलाल का भरपूर सहयोग किया. मंच पर अभिनय के तौर-तरीकों से लेकर भाव भंगिमा और वाकपटुता समेत कई बारीकियों की जानकारी दी गई.

उमरिया। जिले के विकासखंड करकेली अंतर्गत एक भरौला गांव में दृष्टिहीन दुखीलाल दहिया रहते हैं. वे एक रंगकर्मी हैं और उनकी कला के हजारों कद्रदान हैं. दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने रंगमंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. इन्होंने देश की राजधानी दिल्ली, असम, लखनऊ, जबलपुर, भोपाल और उज्जैन जैसे शहरों के रंगमंच पर अपनी कला के रंग बिखेरे हैं.

आंखों का अंधापन भी नहीं बुझा सकी कला की ज्योति

आंखों से कुछ भी दिखाई नहीं देने के बावजूद दुखीलाल खेती-किसानी से लेकर बिना किसी के मदद के अपना सारा काम खुद कर लेते हैं और उन्हें किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. दुखीलाल के साथ उनका परिवार भी रंगमंच से लेकर दैनिक जीवन के कामकाजों में उसकी भरपूर मदद करता है. उनकी पत्नी एक गृहिणी हैं और हर कदम पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर चल रही है.

25 सालों से रंगमंच की विधा को समाज मे बनाए रखने में जुटी संदेश नाट्य संस्था ने दृष्टिहीन दुखीलाल का भरपूर सहयोग किया. मंच पर अभिनय के तौर-तरीकों से लेकर भाव भंगिमा और वाकपटुता समेत कई बारीकियों की जानकारी दी गई.

Intro:एंकर- उमरिया जिले के ग्राम लोढ़ा निवासी दृष्टिबाधित दिव्यांग रंगकर्मी दुखिलाल के अभिनय का कायल हुआ समाज,बिना पढ़ाई लिखाई और और नाटकीय शिक्षा में रंगकर्म में पाई शोहरत,दिल्ली,असम,लखनऊ सहित दर्जनों शहरों में अपने अभिनय से लोगों का मन मोहा,विश्व विकलांग दिवस के दिन आइए देखते हैं अंधत्व के बावजूद हौसलों से कामयाबी की उड़ान भरकर शोहरत कमाने वाले दुखिलाल दहिया की खास रिपोर्ट..Body:एंकर- उमरिया जिले के ग्राम लोढ़ा निवासी दृष्टिबाधित दिव्यांग रंगकर्मी दुखिलाल के अभिनय का कायल हुआ समाज,बिना पढ़ाई लिखाई और और नाटकीय शिक्षा में रंगकर्म में पाई शोहरत,दिल्ली,असम,लखनऊ सहित दर्जनों शहरों में अपने अभिनय से लोगों का मन मोहा,विश्व विकलांग दिवस के दिन आइए देखते हैं अंधत्व के बावजूद हौसलों से कामयाबी की उड़ान भरकर शोहरत कमाने वाले दुखिलाल दहिया की खास रिपोर्ट..



वीओ-01 उमरिया जिले के विकासखंड करकेली अंतर्गत एक गाँव है भरौला, जहाँ पर दुखीलाल दहिया नामक एक ऐसा कलाकार रहता है जो आँखों से देख नही सकता, लेकिन उनके भीतर एक ऐसी कला है कि पूरी दुनिया उसकी कायल है I इन्होने देश के नामचीन शहरो में अपनी कला का जौहर दिखाया है I दिल्ली,असम, लखनऊ,जबलपुर, भोपाल तथा उज्जैन जैसे शहरो के रंगमंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है और वो बचपन से ही नाटको की दुनिया से जुड़े हुए है,खास बात यह कि आँखों से कुछ भी दिखाई न देने के बावजूद भी दुखिलाल खेती किसानी से लेकर बिना किसी के मदद के अपना सारा काम खुद कर लेते है और उन्हें किसी भी तरह की समस्या का सामना नही करना पड़ता I

बाइट-01 दुखीलाल दाहिया (रंगकर्मी)

वीओ-02 दिव्यांग दुखिलाल के साथ उसका परिवार भी रंगकर्म से लेकर दैनिक जीवन के कामकाजों में उसकी भरपूर मदद करता है पत्नी एक आम गृहिणी है लेकिन हर कदम पर उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर चल रही है I एक आम गृहणी होने का कर्तव्य निर्वहन करते हुए उनका कलात्मक पक्ष बहुत सबल है और वो अपने पूरे परिवार को संजोय हुए है I अपने जौहर को भी अभिनय के माध्यम से निखारते हुए अपने परिवार का जीवन सुखमय बनाये हुए है, वहीँ इनके साथी ग्रामीण इनकी कला की तारीफ करते नही थकते और बताते है कि इनकी कला के दर्शक इतना कायल है की मंच पर इन्हें देखकर ये कोई नही समझ पाता की आँखों से इन्हें कुछ भी दिखाई नही देता I इनकी कला के कदरदान बहुत हैI

बाइट-02 आरती दहिया (पत्नी )
बाइट-03 आरती दहिया (पत्नी )
बाइट-04 दीपम दहिया(स्थानीय)

वीओ-03 उमरिया जिले में 25 सालों से रंगमंच की विधा को समाज मे बनाये रखने में जुटी संदेश नाट्य संस्था ने दिव्यांग दुखिलाल का भरपूर सहयोग किया,मंच में अभिनय की तौर तरीकों से लेकर भाव भंगिमा और वाकपटुता और आवश्यक शिक्षा बताई गई, सन्देश नाट्य मंच के सहायक निर्देशक से बात की गई तो उनका कहना था कि ईश्वर ने दुखीलाल को एक ऐसी शक्ति प्रदान की है कि बिना किसी सहारे के मंच पर कैसे लाइट्स लेनी है, कैसे साउंड कवर करना है, कितना दायाँ या बायाँ जाना है I ऐसा लगता है जैसे की ये थियेटर के लिए ही बने हो I ये अपना काम पूरी शिद्दत और समर्पण के साथ करते है सभी दिशाओ में इनका अंदाज़ा बेहद जबरदस्त है I

बाइट 05-रविशंकर तिवारी (अध्यक्ष-सन्देश नाट्य मंच )

वीओ-04 कहते है कि अगर ईश्वर एक इन्सान से कुछ छीन लेता है तो सबसे हटकर कोई ऐसी अद्भुत चीज उसे दे देता है जो अपने आपमें बहुत विरले लोगो को ही हासिल होती हैI ऐसे ही है रंगकर्मी दुखीलाल, जो अपने गाँव से निकलकर आज देश और प्रदेश में अपने हुनर का डंका बजा रहे है I अपनी संस्था का नाम तो रोशन कर ही रहे है समूचे प्रदेश के कलाकारों को उन्होंने हौसला देने का काम किया है I किसी ने सच ही कहा है कि हिम्मते मर्दा, मददे खुदा I। Conclusion:
Last Updated : Dec 4, 2019, 12:39 PM IST
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