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चिकन पॉक्स की चपेट में कई गांव, दैवीय प्रकोप मान रहे ग्रामीण

उमरिया जिले के ताला बड़खेरा गांव चिकन पॉक्स की चपेट में है. वहीं तेजी से फैल रही बीमारी से स्वास्थ्य महकमा बेखबर है. लोग इसे दैवीय प्रकोप मानकर देवी देवताओं की शरण में जा रहे हैं.

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Published : Dec 23, 2019, 11:58 PM IST

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चिकन पॉक्स की चपेट में कई गांव

उमरिया। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर ताला बड़खेरा गांव में चिकन पॉक्स ने ऐसा कहर बरपाया है कि लोग बिस्तर से नहीं उठ पा रहे हैं. बीमारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखा गया है. हालत इतनी खराब है कि बच्चों की आंखें नहीं खुल रहीं हैं. हैरानी की बात तो ये है कि गांव के लोगों में बीमारी को लेकर दैवीय प्रकोप की आशंका घर की हुई है. लिहाजा बच्चों का इलाज कराने की बजाय लोग देवी मंदिरों में जल चढ़ाकर मातारानी को मनाने में जुटे हैं.

चिकन पॉक्स की चपेट में कई गांव

गांव के ज्यादातर बच्चे रोग की चपेट में हैं. लिहाजा स्कूल भी सूना पड़ा रहता है. गांव के जागरूक लोग स्वास्थ्य महकमे को कोस रहे हैं. जो कि सूचना के बाद गांव तो पहुंचे, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति करके वापस लौट गये.

जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल में है. वहीं जिला टीकाकरण अधिकारी सूचना के बाद गांव के दौरे पर गये थे. उनकी मानें तो गांव में चिकन पॉक्स के साथ-साथ पीड़ितों में खसरा के लक्षण भी मिले हैं. जिनके सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजा गया है. साथ ही ग्रामीणों को सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.

बहरहाल छुआछूत के तौर पर पहचाने जाने वाली इस बीमारी से आस-पास के गांव भी दहशत में हैं कि कहीं बीमारी उन तक न पँहुच जाये. देखना होगा कि स्वास्थ्य अधिकारियों के दावे के बाद लोगों को इलाज और राहत मिलती है या उन्हें देवताओं का सहारा ही काम आता है.

उमरिया। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर ताला बड़खेरा गांव में चिकन पॉक्स ने ऐसा कहर बरपाया है कि लोग बिस्तर से नहीं उठ पा रहे हैं. बीमारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखा गया है. हालत इतनी खराब है कि बच्चों की आंखें नहीं खुल रहीं हैं. हैरानी की बात तो ये है कि गांव के लोगों में बीमारी को लेकर दैवीय प्रकोप की आशंका घर की हुई है. लिहाजा बच्चों का इलाज कराने की बजाय लोग देवी मंदिरों में जल चढ़ाकर मातारानी को मनाने में जुटे हैं.

चिकन पॉक्स की चपेट में कई गांव

गांव के ज्यादातर बच्चे रोग की चपेट में हैं. लिहाजा स्कूल भी सूना पड़ा रहता है. गांव के जागरूक लोग स्वास्थ्य महकमे को कोस रहे हैं. जो कि सूचना के बाद गांव तो पहुंचे, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति करके वापस लौट गये.

जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल में है. वहीं जिला टीकाकरण अधिकारी सूचना के बाद गांव के दौरे पर गये थे. उनकी मानें तो गांव में चिकन पॉक्स के साथ-साथ पीड़ितों में खसरा के लक्षण भी मिले हैं. जिनके सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजा गया है. साथ ही ग्रामीणों को सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.

बहरहाल छुआछूत के तौर पर पहचाने जाने वाली इस बीमारी से आस-पास के गांव भी दहशत में हैं कि कहीं बीमारी उन तक न पँहुच जाये. देखना होगा कि स्वास्थ्य अधिकारियों के दावे के बाद लोगों को इलाज और राहत मिलती है या उन्हें देवताओं का सहारा ही काम आता है.

Intro:Body:उमरिया जिले के कई गांव चिकन पॉक्स नामक बीमारी की चपेट में,तेजी से फैल रही बीमारी से स्वास्थ्य महकमा बेखबर,लोग दैवीय प्रकोप मान देवी देवताओं की शरण मे ।

VO:जिलामुख्यालय उमरिया से 50 किलोमीटर दूर ताला बड़खेरा गांव में चालीस फीसदी घरों में चिकन पॉक्स यानि चेचक की बीमारी ने ऐसा कहर बरपाया है कि लोग बिस्तर से नही उठ पा रहे,बीमारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखा गया जिनके पूरे शरीर के साथ साथ चेहरे में फोड़े पड़े है,हालत इतने खराब है कि बच्चों की आंखे नही खुलती और पूरा दिन बिस्तर में गुजरता है,हैरानी की बात तो यह है गांव के लोगो मे बीमारी को लेकर दैवीय प्रकोप की आशंका घर की हुई है लिहाजा बच्चों का इलाज कराने की बजाय लोग देवी मंदिरों में जल चढ़ाकर मातारानी को मनाने में जुटे है ।

BYTE:01-रामप्रसाद तिवारी पीड़ित

BYTE:02-रतिया बाई पीड़ित

VO:गांव के ज्यादातर बच्चे रोग की चपेट में है लिहाजा स्कूल भी सूना पड़ा रहता है गांव के जागरूक लोग स्वास्थ्य महकमे को कोस रहे है जो कि सूचना के बाद गांव तो पँहुचे लेकिन सिर्फ खानापूर्ति करके वापस लौट गये।

BYTE:03-लाला नापित शिक्षक

VO:जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रदेश की राजधानी में है और जिला टीकाकरण अधिकारी सूचना के बाद गांव के दौरे पर गये थे उनकी माने तो चिकन पॉक्स के साथ साथ पीड़ितों में खसरा के लक्षण मिले है जिनके सेम्पल लेकर जांच के लिए भेजने के साथ ग्रामीणों को सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है ।

BYTE:04-डॉ सीपी शाक्या डीसीएच

VO:बहरहाल छुआछूत के तौर पर पहचाने जाने वाली इस बीमारी से आसपास के गांव भी दहशत में है कि कही बीमारी उन तक न पँहुच जाये, देखना होगा स्वास्थ्य अधिकारियों के दावे के बाद लोगो को इलाज और राहत मिलती है या उन्हें देवताओं का सहारा ही काम आता है ।. Conclusion:
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