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महाकाल को गर्मी ना लगे, इसलिए प्रवाहित हो रही है शीतल जलधारा

उज्जैन में आज से मंदिर के पंडित और पुजारियों ने मिलकर ठंडे पानी की 11 गलंतिका (मिट्टी की मटकिया) शिव लिंग के ऊपर बांधी है. जिसमें से लगातार जल की धारा देर शाम संध्या आरती तक शिव लिंग पर गिरती है.

World Famous Mahakaleshwar Jyotirlinga Temple
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
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Published : Apr 28, 2021, 4:59 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 7:03 PM IST

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भगवान महाकाल को भी गर्मी नहीं लगे, इसके लिए आज से मंदिर के पंडित और पुजारियों ने मिलकर ठंडे पानी की 11 गलंतिका (मिट्टी की मटकिया) शिव लिंग के ऊपर बांधी है. जिसमें से लगातार जल की धारा देर शाम संध्या आरती तक शिव लिंग पर गिरती है. वैशाख ज्येष्ट माह जो सबसे तपिश वाला होता है, जिसकी वजह से भगवान महाकाल को गर्मी से बचाया जा सके. देश के कई हिस्सों में अभी से पारा चढ़ने लगा है. उज्जैन की बात करे तो बीते दिन में ही अधिकतम तापमान 41.5 तक पंहुच गया था. पुजारी-पुरोहितों द्वारा प्रतिवर्ष गलंतिका (मटकी) के 11 कलश बांधे जाते हैं. परंपरा का निर्वहन करते हुए इस बार भी वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर बुधवार को गर्भ गृह में शिवलिंग के ऊपर सतत जलधारा के लिए मटकियां बांधी गई, यह क्रम आगामी दो महीने तक रहेगा.

मान्यता अनुसार

उज्जैन भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए भक्त इस तरह का जतन गर्मी में करते हैं. इसी प्रकार तेज ठंड के दिनों में भगवान को गर्मजल से स्नान कराया जाने की परंपरा निभाई जाती है. शिवलिंग पर मिट्टी के 11 कलश को 11 नदियों के नाम से बांधा जाता है, नियमित चांदी के कलश की जलधारा के अलावा 11 नदियों के नाम से बंधी मिट्टी की मटकिया बाबा को शीतलता देती है. 11 नामों में गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, क्षिप्रा, नर्मदा सहित अन्य नाम शामिल है. वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से यह मटकियां लगाई जाती हैं, जो ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तक करीब दो माह बंधी रहेगी. मान्यता है कि भगवान महाकाल इससे तृप्त होकर राष्ट्र और प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. पुजारी कहते है जब भगवान ने विष धारण किया तो उन्हें इसी प्रकार शीतलता दी गई. उज्जैन में जैसे-जैसे गर्मी अपना रुप दिख रही है अब बाबा महाकाल को ठंडा रखने के लिए ठंडे पानी की मटकिया बांधी जाती है, जिससे लगातार जल की धारा भोलेनाथ पर गिरती रहती है.

गर्मी से शहर का हाल भी बेहाल

अप्रैल माह खत्म होते होते मई से पहले ही आसमान से आग बरसने लगी है. मंगलवार इस सीजन का सबसे गर्म दिन रहा. शासकीय जीवाजी वैधशाला के अनुसार मंगलवार को अधिकतम तापमान 41.5 डिग्री और न्यूनतम 19 डिग्री दर्ज किया गया. इसके पहले अप्रैल में तीन दिन 5, 13 और 26 अप्रैल को दिन का तापमान 40 डिग्री दर्ज किया गया था. एक सप्ताह में अधिकतम तापमान 4.5 डिग्री बढ़ गया है. दिन में धूप के तेवर आने वाले दो दिन और तीखे रहेंगे.

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भगवान महाकाल को भी गर्मी नहीं लगे, इसके लिए आज से मंदिर के पंडित और पुजारियों ने मिलकर ठंडे पानी की 11 गलंतिका (मिट्टी की मटकिया) शिव लिंग के ऊपर बांधी है. जिसमें से लगातार जल की धारा देर शाम संध्या आरती तक शिव लिंग पर गिरती है. वैशाख ज्येष्ट माह जो सबसे तपिश वाला होता है, जिसकी वजह से भगवान महाकाल को गर्मी से बचाया जा सके. देश के कई हिस्सों में अभी से पारा चढ़ने लगा है. उज्जैन की बात करे तो बीते दिन में ही अधिकतम तापमान 41.5 तक पंहुच गया था. पुजारी-पुरोहितों द्वारा प्रतिवर्ष गलंतिका (मटकी) के 11 कलश बांधे जाते हैं. परंपरा का निर्वहन करते हुए इस बार भी वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर बुधवार को गर्भ गृह में शिवलिंग के ऊपर सतत जलधारा के लिए मटकियां बांधी गई, यह क्रम आगामी दो महीने तक रहेगा.

मान्यता अनुसार

उज्जैन भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए भक्त इस तरह का जतन गर्मी में करते हैं. इसी प्रकार तेज ठंड के दिनों में भगवान को गर्मजल से स्नान कराया जाने की परंपरा निभाई जाती है. शिवलिंग पर मिट्टी के 11 कलश को 11 नदियों के नाम से बांधा जाता है, नियमित चांदी के कलश की जलधारा के अलावा 11 नदियों के नाम से बंधी मिट्टी की मटकिया बाबा को शीतलता देती है. 11 नामों में गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, क्षिप्रा, नर्मदा सहित अन्य नाम शामिल है. वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से यह मटकियां लगाई जाती हैं, जो ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तक करीब दो माह बंधी रहेगी. मान्यता है कि भगवान महाकाल इससे तृप्त होकर राष्ट्र और प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. पुजारी कहते है जब भगवान ने विष धारण किया तो उन्हें इसी प्रकार शीतलता दी गई. उज्जैन में जैसे-जैसे गर्मी अपना रुप दिख रही है अब बाबा महाकाल को ठंडा रखने के लिए ठंडे पानी की मटकिया बांधी जाती है, जिससे लगातार जल की धारा भोलेनाथ पर गिरती रहती है.

गर्मी से शहर का हाल भी बेहाल

अप्रैल माह खत्म होते होते मई से पहले ही आसमान से आग बरसने लगी है. मंगलवार इस सीजन का सबसे गर्म दिन रहा. शासकीय जीवाजी वैधशाला के अनुसार मंगलवार को अधिकतम तापमान 41.5 डिग्री और न्यूनतम 19 डिग्री दर्ज किया गया. इसके पहले अप्रैल में तीन दिन 5, 13 और 26 अप्रैल को दिन का तापमान 40 डिग्री दर्ज किया गया था. एक सप्ताह में अधिकतम तापमान 4.5 डिग्री बढ़ गया है. दिन में धूप के तेवर आने वाले दो दिन और तीखे रहेंगे.

Last Updated : Oct 7, 2022, 7:03 PM IST
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