उज्जैन। दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब जब प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है, तो लोग सड़कों पर उतर आए हैं. मामला उज्जैन विनोद मिल का है. आज से करीब 20 साल पहले भारी नुकसान के कारण मिल बंद हो गई थी. जिस कारण वहां काम करने वाले करीब चार हजार से ज्यादा मजदूर बेरोजगार हो गए थे. लेकिन सभी मजूदरों को मिल की चॉल में रहने की इजाजत मिल गई थी, जिस कारण उन्हें छत के लिए परेशान नहीं होना पड़ा. दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को दो साल के अंदर जमीन खाली करने के आदेश दिए थे. अब जब प्रशासन कार्रवाई शुरू कर रहा है, तो वहां रहने वाले लोगों ने विधायक पारस जैन के घर का घेराव किया. और कहा कि अगर 15 दिसंबर से पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने उनके हित में कोई फैसला नहीं लिया तो नगर निगम चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
किया विधायक के घर का घेराव, कहा मालिकाना हक हमें दिया जाए
चॉल में रहने वाले लोगों का कहना है कि हमें यहां रहते हुए 20 साल से ज्यादा हो गए हैं. हमारी यहां पर 4 पीढ़ी बीत गई है. अब मकान चले जाएंगे और मुआवजा भी अब तक नहीं मिला है. ऐसे में हम कहां जाएंगे. कम से कम मिल की 6 बीघा जमीन छोड़ दी जाए. हालांकि, विधायक पारस जैन ने आश्वासन दिया है कि सीएम से बात कर उनकी बात रखी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
मिल के बंद होने के बाद मजदूरों के हित में फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि दो साल में मजदूर अपने लिए घर ढूंढ़ लें. दो साल तक वे चॉल में रह सकते हैं. करीब चार हजार से ज्यादा मजदूरों का परिवार वहां रहता है, सरकार को उन्हें करीब 58 करोड़ रुपए और कई ड्यूज देने हैं, जिसे चुकाने के लिए सरकार को चॉल बेचना है. अब जब प्रशासन ने कार्रवाई के लिए तैयारी शुरू कर दी है, तो लोग विरोध कर रहे हैं.
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क्या है मजदूरों का कहना
मजदूर राकेश राव ने बताया कि विनोद मिल की चॉल के विषय में घेराव किया था. कोर्ट का फैसला 15 तारीख को आने वाला है. उसी को लेकर हमने विधायक पारस जैन के घर का घेराव किया. हमने विधायक से मांग की है कि वे मुख्यमंत्री से बात करें और 6 बीघा की जमीन उनके लिए मुक्त करवाएं. इस पर विधायक ने कहा है कि मैं सीएम से मिलूंगा और आपकी बात उनके सामने रखूंगा.
पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक पारस जैन ने बताया कि पहले भी चॉल के लोग आए थे. मैंने कलेक्टर और मुख्यमंत्री दोनों को अवगत करा दिया था. लोगों की मांग सीएम से मिलने की भी है तो 15 दिसंबर को सीएम उज्जैन आ रहे हैं. किसान सम्मेलन में मैंने 10 लोगों की लिस्ट मांगी है, जिन्हें हेलीपैड पर ही मिलवा सकता हूं. सरकार जमीन खाली कराने के बाद मुआवजा तो देगी लेकिन ये चाहते हैं कि जमीन खाली करने ही न पड़े. जिसके लिए मुख्यमंत्री निर्णय ले सकते हैं क्योंकि ये तकयमि की जमीन है और सुप्रीम कोर्ट निर्णय ले चुका है.