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Ujjain Shri Ram Dharamshala: मंदिर में मुस्लिम धर्म के आयोजन से मचा बवाल, हिन्दू संगठन और साधु संतों ने जताया विरोध

धार्मिक नगरी उज्जैन (religious city ujjain) में एक नया विवाद शुरु हो गया है. मंदिर में मुस्लिम समाज की एंट्री (Entry of Muslim society in Ujjain temple) होने से साधु संत सहित हिंदू संगठनों ने इसको लेकर विरोध जताया है. इसके साथ ही मंदिर के पुजारी ने भी इस बात को लेकर स्पष्टीकरण दिया है.(Ujjain Shri Ram Dharamshala controversy) देखें इस खास रिपोर्ट पूरा मामला और इस मंदिर का इतिहास.

Ujjain Shri Ram Dharamshala
मंदिर में मुस्लिम धर्म के आयोजन से मचा बवाल
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Published : Nov 13, 2022, 6:05 PM IST

Updated : Nov 13, 2022, 10:17 PM IST

उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन से प्रभु श्री राम का गहरा नाता रहा है. यहां कई ऐसे स्थान हैं जो श्री राम की कथाओं से जुड़े हुए हैं. इन्ही में से एक स्थान शहर के अंकपात मार्ग में विष्णु सागर किनारे श्री राम-जनार्दन मंदिर के नाम से है. यहां भगवान राम की दाढ़ी मूछ और वनवासी रूप में काले पत्थर की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है. इतना ही नहीं हनुमान जी की भी ब्राह्मण रूप में एक प्रतिमा है. अब इस जगह को लेकर एक नए विवाद ने जन्म लिया है क्योंकि मंदिर में एंट्री मुस्लिम समाज की हुई है और साधु संत सहित हिंदू संगठनों ने इसको लेकर विरोध जताया है. (Ujjain Shri Ram Dharamshala controversy ) साथ ही मंदिर के पुजारी ने भी इस बात को लेकर स्पष्टीकरण दिया है.

मंदिर में मुस्लिम धर्म के आयोजन से मचा बवाल

बैनर से मचा बवाल: मंदिर परिसर में जो धर्मशाला है उसमें शेख परिवार द्वारा जमदिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. (Ujjain Shaikh family organized Program) बाकायदा धर्मशाला के मुख्य द्वार पर बैनर लगाया गया था. "शेख फैमिली आपका तहेदिल से इस्तकबाल करती है" इसी के पास धर्मशाला की खिड़की पर श्री राम जनार्दन मंदिर धर्मशाला बुकिंग के लिए संपर्क करें का बोर्ड लगा है. मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं की नजर पड़ी तो फोटो वीडियो भी वायरल कर दिए. जैसे ही मामला हिन्दू संगठन और साधु संतों के पास पहुंचा बवाल मच गया.

सुरक्षाकर्मी को हटाने की मांग: विहिप के पदाधिकारी अंकित चौबे ने कहा कि मंदिर के सुरक्षाकर्मी ने पहले भी इस तरह की हरकत की है. जिसको लेकर मंदिर के पुजारी से सुरक्षाकर्मी को हटाने की मांग की है. सुरक्षाकर्मी ने अनुमति दी थी और उसका नाम सत्यनारायण बताया गया था. मामले को लेकर परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने विरोध जताया और कहा कि, मंदिर में कैसे अन्य धर्म के लोगों को आयोजन की अनुमति दी गई. जिनका खान-पान, जिनका नियम कानून सनातन धर्म से अलग है उनके लिए अलग स्थान ही सही है. मंदिर हमारी आस्था का खास केंद्र है. यहां किसी अन्य धर्म के लोगों को षड़यंत्र पूर्वक हम नहीं घुसने देंगे. मंदिर के पुजारी रूपम व्यास ने कहा कि, 3-4 दिन के लिए परिवार बाहर गया हुआ था. इस बीच सुरक्षा गार्ड सत्यनारायण द्वारा इस कृत्य को किया गया. जिस मुस्लिम परिवार का आयोजन था. उसकी अनुमति रद्द कर उनसे जो शुल्क लिया सुरक्षा गार्ड द्वारा लिया गया है.अब वह उन्हें लौटा कर धर्मशाला भी तत्काल खाली करवा ली गई है.

सांसद शफीकुर्रहमान बर्क बोले, मुसलमान इतना मुर्दार नहीं, जो मस्जिद तोड़कर मंदिर बनने देगा

मंदिर का इतिहास: शहर के कार्तिक चौक से कुछ दूरी पर विष्णु सागर किनारे प्रभु श्री राम और भगवन विष्णु का मंदिर है. यहां माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान, शिव ब्रह्मा सहित कई प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर को बूढ़ा राम मंदिर और रामजनार्दन मंदिर इन दो नामो से जाना जाता है. जानकार बताते है कि, मंदिर के महंत ओमप्रकाश निर्वाणी कीभाट पोथी के अनुसार परमार काल के चंद्रगुप्त द्वितीय ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. मंदिर में काले वर्ण वाले श्रीराम की मूर्ति देश में दो स्थानों पर है. एक नासिक के पंचवटी में और दूसरी अवंतिका में है. नासिक की मूर्ति काले पाषाण की है और उज्जैन की मूर्ति काले कासौटी के पत्थर से निर्मित है. मंदिर भगवान श्रीराम की मूर्ति दाढ़ी-मूंछ वाले वनवासी वेशभूषा और चलायमान मुद्रा में है. माता सीता की मूर्ति के हाथ में पानी की झारी और चंवर है. हनुमानजी की मूर्ति ब्राह्मण स्वरूप में है. हनुमानजी की ऐसी प्रतिमा देश में कहीं भी नहीं है. पुरातत्वविदों के अनुसार परमार काल का यह मंदिर 800 वर्ष पुराना है.

मंदिर को लेकर मान्यता: कहा जाता है कि, राम जनार्दन मंदिर में दो मंदिर हैं. एक श्री राम का जहां भगवन राम लक्ष्मण और माता सीता की प्रतिमा है. जनार्दन (विष्णु)-मंदिर की रचना सत्रहवीं शताब्दी की है. दोनों मंदिर अपनी संरचनात्मक कला की दृष्टि से आकर्षक हैं. इन मंदिरों का निर्माण राजा जयसिंह ने सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था. अठारहवीं शताब्दी में मराठा काल में बाद में चारदीवारी और टैंक को जोड़ा गया था. दोनों मंदिरों की दीवारों पर मराठा चित्रों के सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं. जनार्दन मंदिर के सामने दोनों मंदिरों के साथ-साथ तालाब के पास कुछ पुराने चित्र स्थापित देखे गए हैं जो मूर्तिकला की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. तालाब के पास गोवर्धनधारी कृष्ण की छवि ग्यारहवीं शताब्दी की है. हॉल और राम-मंदिर के इंटीरियर के बीच स्थापित विष्णु की छवियां दसवीं शताब्दी की हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश की छवियां बारहवीं शताब्दी ईस्वी की हैं.

उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन से प्रभु श्री राम का गहरा नाता रहा है. यहां कई ऐसे स्थान हैं जो श्री राम की कथाओं से जुड़े हुए हैं. इन्ही में से एक स्थान शहर के अंकपात मार्ग में विष्णु सागर किनारे श्री राम-जनार्दन मंदिर के नाम से है. यहां भगवान राम की दाढ़ी मूछ और वनवासी रूप में काले पत्थर की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है. इतना ही नहीं हनुमान जी की भी ब्राह्मण रूप में एक प्रतिमा है. अब इस जगह को लेकर एक नए विवाद ने जन्म लिया है क्योंकि मंदिर में एंट्री मुस्लिम समाज की हुई है और साधु संत सहित हिंदू संगठनों ने इसको लेकर विरोध जताया है. (Ujjain Shri Ram Dharamshala controversy ) साथ ही मंदिर के पुजारी ने भी इस बात को लेकर स्पष्टीकरण दिया है.

मंदिर में मुस्लिम धर्म के आयोजन से मचा बवाल

बैनर से मचा बवाल: मंदिर परिसर में जो धर्मशाला है उसमें शेख परिवार द्वारा जमदिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. (Ujjain Shaikh family organized Program) बाकायदा धर्मशाला के मुख्य द्वार पर बैनर लगाया गया था. "शेख फैमिली आपका तहेदिल से इस्तकबाल करती है" इसी के पास धर्मशाला की खिड़की पर श्री राम जनार्दन मंदिर धर्मशाला बुकिंग के लिए संपर्क करें का बोर्ड लगा है. मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं की नजर पड़ी तो फोटो वीडियो भी वायरल कर दिए. जैसे ही मामला हिन्दू संगठन और साधु संतों के पास पहुंचा बवाल मच गया.

सुरक्षाकर्मी को हटाने की मांग: विहिप के पदाधिकारी अंकित चौबे ने कहा कि मंदिर के सुरक्षाकर्मी ने पहले भी इस तरह की हरकत की है. जिसको लेकर मंदिर के पुजारी से सुरक्षाकर्मी को हटाने की मांग की है. सुरक्षाकर्मी ने अनुमति दी थी और उसका नाम सत्यनारायण बताया गया था. मामले को लेकर परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने विरोध जताया और कहा कि, मंदिर में कैसे अन्य धर्म के लोगों को आयोजन की अनुमति दी गई. जिनका खान-पान, जिनका नियम कानून सनातन धर्म से अलग है उनके लिए अलग स्थान ही सही है. मंदिर हमारी आस्था का खास केंद्र है. यहां किसी अन्य धर्म के लोगों को षड़यंत्र पूर्वक हम नहीं घुसने देंगे. मंदिर के पुजारी रूपम व्यास ने कहा कि, 3-4 दिन के लिए परिवार बाहर गया हुआ था. इस बीच सुरक्षा गार्ड सत्यनारायण द्वारा इस कृत्य को किया गया. जिस मुस्लिम परिवार का आयोजन था. उसकी अनुमति रद्द कर उनसे जो शुल्क लिया सुरक्षा गार्ड द्वारा लिया गया है.अब वह उन्हें लौटा कर धर्मशाला भी तत्काल खाली करवा ली गई है.

सांसद शफीकुर्रहमान बर्क बोले, मुसलमान इतना मुर्दार नहीं, जो मस्जिद तोड़कर मंदिर बनने देगा

मंदिर का इतिहास: शहर के कार्तिक चौक से कुछ दूरी पर विष्णु सागर किनारे प्रभु श्री राम और भगवन विष्णु का मंदिर है. यहां माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान, शिव ब्रह्मा सहित कई प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर को बूढ़ा राम मंदिर और रामजनार्दन मंदिर इन दो नामो से जाना जाता है. जानकार बताते है कि, मंदिर के महंत ओमप्रकाश निर्वाणी कीभाट पोथी के अनुसार परमार काल के चंद्रगुप्त द्वितीय ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. मंदिर में काले वर्ण वाले श्रीराम की मूर्ति देश में दो स्थानों पर है. एक नासिक के पंचवटी में और दूसरी अवंतिका में है. नासिक की मूर्ति काले पाषाण की है और उज्जैन की मूर्ति काले कासौटी के पत्थर से निर्मित है. मंदिर भगवान श्रीराम की मूर्ति दाढ़ी-मूंछ वाले वनवासी वेशभूषा और चलायमान मुद्रा में है. माता सीता की मूर्ति के हाथ में पानी की झारी और चंवर है. हनुमानजी की मूर्ति ब्राह्मण स्वरूप में है. हनुमानजी की ऐसी प्रतिमा देश में कहीं भी नहीं है. पुरातत्वविदों के अनुसार परमार काल का यह मंदिर 800 वर्ष पुराना है.

मंदिर को लेकर मान्यता: कहा जाता है कि, राम जनार्दन मंदिर में दो मंदिर हैं. एक श्री राम का जहां भगवन राम लक्ष्मण और माता सीता की प्रतिमा है. जनार्दन (विष्णु)-मंदिर की रचना सत्रहवीं शताब्दी की है. दोनों मंदिर अपनी संरचनात्मक कला की दृष्टि से आकर्षक हैं. इन मंदिरों का निर्माण राजा जयसिंह ने सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था. अठारहवीं शताब्दी में मराठा काल में बाद में चारदीवारी और टैंक को जोड़ा गया था. दोनों मंदिरों की दीवारों पर मराठा चित्रों के सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं. जनार्दन मंदिर के सामने दोनों मंदिरों के साथ-साथ तालाब के पास कुछ पुराने चित्र स्थापित देखे गए हैं जो मूर्तिकला की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. तालाब के पास गोवर्धनधारी कृष्ण की छवि ग्यारहवीं शताब्दी की है. हॉल और राम-मंदिर के इंटीरियर के बीच स्थापित विष्णु की छवियां दसवीं शताब्दी की हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश की छवियां बारहवीं शताब्दी ईस्वी की हैं.

Last Updated : Nov 13, 2022, 10:17 PM IST
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