उज्जैन। कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने दो दिन पहले उज्जैन में प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी के नेताओं पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि महाकाल मंदिर में कुछ लोग भस्म आरती में चोला पहनकर पहुंच जाते हैं, पाखंडी लोगों से यही उम्मीद की जा सकती है. उनके इस बयान से उज्जैन के संत नाराज हो गए हैं और उन्होंने सज्जन सिंह वर्मा को आगामी विधान सभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में महाकाल मंदिर में वीआईपी कल्चर को समाप्त करने सहित मंदिरों के सरकारी करण को खत्म करने की अपने मेनोफेस्टो में करने की मांग की.
क्या है मामला और क्या चैलेंज दिया: मंगलवार को नारी सम्मान योजना के लिए उज्जैन पहुंचे पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा से प्रेस कांफ्रेंस के दौरान महाकाल मंदिर में वीआईपी कल्चर और गर्भगृह में प्रवेश को लेकर वसूली जा रही राशि को लेकर सवाल किया गया था. इस पर वर्मा ने कहा था कि ''मैं जब प्रभारी मंत्री था तब मंदिर में नंदी जी के पास बैठता था एक बार भी गर्भगृह के अंदर नहीं गया. पाखंडी लोगों से यही उम्मीद की जा सकती है. पिछले चुनाव में भगवान राम को बेच दिया, अब भगवान भोलेनाथ को बेचेंगे.'' सज्जन सिंह वर्मा के बयान को लेकर संत अवधेश पुरी महाराज ने उन्हें चैलेंज दिया और कहा कि यह पाखंडी साधु संत, पंडे पुजारी या भाजपा किसको कह रहे हो यह क्लियर करो. अगर आप वाकई श्रेष्ठ हो, महान हो, भगवान शिव के भक्त हो तो अपने मेनिफेस्टो में भगवान महाकालेश्वर के धाम में दर्शन शुल्क व्यवस्था को बंद करने, वीआईपी कल्चर व्यवस्था को खत्म करने व मध्यप्रदेश में कम से कम सरकारी करण से मठ मंदिरों को मुक्त करवाने का वादा करो, तभी हम आपको महान श्रेष्ठ व भगवान शिव का भक्त मानेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी को भी संत ने लिखा पत्र: क्रांतिकारी संत अवधेश पुरी महाराज ने श्री महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी कल्चर व्यवस्था को खत्म करने व मंदिर में निशुल्क दर्शन व्यवस्था के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 11 मई को पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि ''प्रदेश में भाजपा की सरकार है जिसे हिंदूवादी सरकार माना जाता है. लेकिन यह घोर आश्चर्य की बात है कि हिंदूवादी सरकार के कार्यकाल में बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग दरबार में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है. दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव किया जा रहा है. गरीब भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है.'' संत ने धारा 14 धारा 25 धारा 26 व अन्य का हवाला देते हुए अपनी बातें रखीं. साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक संस्थाओं की स्थापना, संपत्ति का अर्जन व कई बातों को लेकर मठ मंदिरों के सरकारी करण से मुक्ति दिलवाने की बात भी कही.