उज्जैन: शहर के निजी सहर्ष अस्पताल पर मरीज के परिजनों का आरोप है कि 8 दिन में 2 लाख 34 हजार का अस्पताल ने बिल बनाया है और उसके अलावा 60 हजार का मेडिकल का बिल भी थमा दिया. वहीं मरीज को भर्ती तब किया जब ऑक्सीजन भी खुद लाने को कहा. यही नहीं बीच में भी कई बार ऑक्सीजन का सिलेंडर कई बार मंगवाया. इसके बावजूद मरीज की मौत हो जाने पर शव देने से इनकार कर दिया. एडीएम को की गयी शिकायत के बाद अस्पताल प्रशासन ने एक लाख 64 हजार माफ, किये तब जाकर महिला मरीज का शव को परिजनों को सौंपा गया. इधर मामले की जानकरी मिलते ही उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा की हमने दो दिन पहले ही अस्पतालों के रेट तय किये हैं अगर किसी ने लिमिट पार कर बिल लगाया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
निजी अस्पतालों की मनमानी
सहर्ष अस्पताल में पिछले 8 दिनों से भर्ती कोविड मरीज रामकली सुनहरे के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन को आठ दिनों में लाखों रुपये देने के बाद भी मरीज की मौत हो गयी. मौत के बाद अस्पताल ने परिजनों के हाथ में दो लाख 34 हजार का बिल थमा दया. जब मृतक के परिजनों ने बिल पर आपत्ति जताई तो अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से इनकार कर दिया. परिजनों ने कहा कि दो लाख 34 हजार का बिल बना, जिसमें 3600 रुपये एक दिन के ऑक्सीजन का चार्ज, 60 हजार मेडिकल का बिल, रूम चार्ज 4500 रुपये प्रति दिन, 3500 रुपये डॉ. की विजिटिंग फीस जोड़ दी गई है.
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एडीएम तक पंहुचा मामला
निजी अस्पताल की मनमानी को देखते हुए परिजनों ने एडीएम को फोन लगा दिया. तब जाकर कम हुआ बिल. एडीएम ने अस्पताल प्रबंधन से बात कर कुल एक लाख 64 हजार माफ करवाकर शव परिजनों के सुपुर्द करवाया. वहीं जिला अधिकारी आशीष ने कहा कि हमने दो दिन पहले ही अस्पतालों के रेट तय किये हैं. अगर किसी ने लिमिट पार कर बिल लगाया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. मृत महिला के बेटे ने आरोप लगाते हुए यह भी बताया कि ऑक्सीजन तक हमसे भरवाई जाती थी, जब एडमिट किया तब भी हमने ही ऑक्सीजन सिलेंडर लाकर दिया.