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Mahakaleshwar Bhasmarti: अबीर के चंद्र से सजा महाकाल का मस्तक, त्रिपुण्डधारी रूप में दिए भक्तों को दर्शन

उज्जैन के राजा और तीनों लोकों के अधिपति बाबा महाकाल की भस्म आरती के लिए सोमवार को देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचे. भोलेनाथ ने अपने भक्तों को त्रिपुण्डधारी रूप में दर्शन दिए.

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उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर
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Published : Apr 3, 2023, 9:22 AM IST

उज्जैन। सोमवार को भस्म आरती में भगवान शिवशंकर का चंदन से लेप किया गया. भांग, अबीर, कुंकुम से राजा के रूप में श्रृंगार कर भूतभावन के मस्तक पर चंदन से त्रिपुण्ड, अबीर से चंद्र और आभूषण धारण कराए गए. श्रृंगार इतना अदभुत था कि भगवान महाकाल के भक्त उनके इस रूप को आंखों में भर लेना चाहते थे. सूखे मेवे और गुलाब के फूलों की माला से सजे बाबा महाकाल ने राजाधिराज के रूप में भक्तों को दर्शन दिए.

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बाबा महाकाल की भस्म आरती

आरती कर लगाया भोग: परंपरा के मुताबिक, सोमवार को भी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः काल 03:00 बजे भस्म आरती शुरू हुई. सबसे पहले भगवान महाकाल को जल अर्पित कर स्नान कराया गया. इसके बाद पंडे और पुजारियों ने पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण था. फिर भांग से उनका श्रृंगार किया गया. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित कर आरती की गई और फल और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया गया.

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बाबा महाकाल का श्रृंगार

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गर्भ गृह में विराजित नंदी

मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक: भस्म आरती के दर्शन करने के लिए देश भर से उज्जैन पहुंचे श्रद्धालु रात करीब 12 बजे से ही महाकालेश्वर मंदिर के गेट पर लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं. तड़के 3 बजे जैसे ही मंदिर के पट खुलते हैं, अनुमति पत्र जांचने के बाद उनको प्रवेश दिया जाता है. पुजारी मंत्र उच्चारण के साथ शिवलिंग का जल और पंचामृत से अभिषेक करते हैं. भांग, अबीर, चंदन, कुंकुम से राजा के रूप में श्रृंगार कर बाबा महाकाल को भस्मी अर्पित की जाती है. इसके बाद शुरू होती है भस्म आरती, जिसे देखने के लिए देवता भी उज्जैन की धरती पर उतर आते हैं.

उज्जैन। सोमवार को भस्म आरती में भगवान शिवशंकर का चंदन से लेप किया गया. भांग, अबीर, कुंकुम से राजा के रूप में श्रृंगार कर भूतभावन के मस्तक पर चंदन से त्रिपुण्ड, अबीर से चंद्र और आभूषण धारण कराए गए. श्रृंगार इतना अदभुत था कि भगवान महाकाल के भक्त उनके इस रूप को आंखों में भर लेना चाहते थे. सूखे मेवे और गुलाब के फूलों की माला से सजे बाबा महाकाल ने राजाधिराज के रूप में भक्तों को दर्शन दिए.

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