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Ujjain Bhasmarti: भस्मारती में त्रिपुण्डधारी रूप में नजर आए बाबा महाकाल, मस्तक पर सजा चंद्रमा - त्रिपुण्डधारी महाकाल

उज्जैयिनी के महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को भस्मारती के दौरान बाबा ने त्रिपुण्ड धारण किया. त्रिनेत्र और शेषनाग के साथ भोले का रूप इतना मनोहारी था कि भक्त देखते ही रह गए.

Ujjain Mahakaleshwar temple
त्रिपुण्डधारी बाबा महाकाल
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Published : Apr 1, 2023, 8:15 AM IST

उज्जैन। अवंतिका नगरी में शनिवार को महाकालेश्वर ने त्रिपुण्ड और त्रिनेत्रधारी रूप में भक्तों को दर्शन दिए. भस्मारती में महाकाल का चन्दन से लेप करने के बाद भांग, अबीर और कुंकुम से श्रृंगार किया गया. बाबा के मस्तक पर त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र, चांदी का चंद्र और शेष नाग धारण कराए गए. महाकाल को राजा के रूप में तैयार कर आभूषण, सूखे मेवे और गुलाब के फूलों से सजाया गया. बाबा की ऐसी झलक पाकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए. शनिवार को गर्भ गृह में विराजमान नंदी में सिर पर साफा बांधे नजर आए.

Ujjain Mahakaleshwar temple
त्रिनेत्र रूप के दर्शन

पंचामृत से भगवान का अभिषेक: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः काल 3 बजे भस्मारती शुरू होती है. इसमें सबसे पहले महाकाल को जल अर्पित कर स्नान कराया जाता है. इसके बाद मंदिर के पंडे और पुजारी दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बने पंचामृत से भगवान का अभिषेक करते हैं. फिर शिवलिंग का भांग से श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित करके आरती की जाती है. बाबा महाकाल को फल और अलग-अलग प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया जाता है.

Ujjain Mahakaleshwar temple
गुलाब के फूलों का मुकुट

बाबा महाकाल की ये खबरें भी जरूर पढ़े

Ujjain Mahakaleshwar temple
नंदी के सिर पर साफा

करीब 3 बजे खुलते हैं मंदिर के पट: महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती देखने के लिए लोग करीब 12 बजे से ही लाइनों में लग जाते हैं. तड़के 3 बजे जैसे ही दरवाजे खुलते हैं, श्रद्धालुओं को अनुमति पत्र जांचने के बाद मंदिर में प्रवेश दिया जाता है. यहां मंत्रोच्चारण के साथ महाकाल की विश्व प्रसिद्ध भस्मारती का अलौकिक नजारा देखने को मिलता है. औघड़नाथ के दर्शन करने आने वाले लोग धैर्य के साथ पूरी प्रक्रिया का अवलोकन करते हैं. भस्मारती होते ही मंदिर परिसर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठता है.

उज्जैन। अवंतिका नगरी में शनिवार को महाकालेश्वर ने त्रिपुण्ड और त्रिनेत्रधारी रूप में भक्तों को दर्शन दिए. भस्मारती में महाकाल का चन्दन से लेप करने के बाद भांग, अबीर और कुंकुम से श्रृंगार किया गया. बाबा के मस्तक पर त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र, चांदी का चंद्र और शेष नाग धारण कराए गए. महाकाल को राजा के रूप में तैयार कर आभूषण, सूखे मेवे और गुलाब के फूलों से सजाया गया. बाबा की ऐसी झलक पाकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए. शनिवार को गर्भ गृह में विराजमान नंदी में सिर पर साफा बांधे नजर आए.

Ujjain Mahakaleshwar temple
त्रिनेत्र रूप के दर्शन

पंचामृत से भगवान का अभिषेक: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः काल 3 बजे भस्मारती शुरू होती है. इसमें सबसे पहले महाकाल को जल अर्पित कर स्नान कराया जाता है. इसके बाद मंदिर के पंडे और पुजारी दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बने पंचामृत से भगवान का अभिषेक करते हैं. फिर शिवलिंग का भांग से श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित करके आरती की जाती है. बाबा महाकाल को फल और अलग-अलग प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया जाता है.

Ujjain Mahakaleshwar temple
गुलाब के फूलों का मुकुट

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नंदी के सिर पर साफा

करीब 3 बजे खुलते हैं मंदिर के पट: महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती देखने के लिए लोग करीब 12 बजे से ही लाइनों में लग जाते हैं. तड़के 3 बजे जैसे ही दरवाजे खुलते हैं, श्रद्धालुओं को अनुमति पत्र जांचने के बाद मंदिर में प्रवेश दिया जाता है. यहां मंत्रोच्चारण के साथ महाकाल की विश्व प्रसिद्ध भस्मारती का अलौकिक नजारा देखने को मिलता है. औघड़नाथ के दर्शन करने आने वाले लोग धैर्य के साथ पूरी प्रक्रिया का अवलोकन करते हैं. भस्मारती होते ही मंदिर परिसर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठता है.

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