उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में उज्जैन के इतिहास से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं. इसी कार्य का भूमिपूजन बुधवार को राज्यपाल व उच्च शिक्षा मंत्री करेंगे. मंगलवार को ही प्रदेश के राज्यपाल मांगू भाई पटेल उज्जैन पहुंचे हैं. पुरातत्व संग्रहालय में उज्जैन के इतिहास से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं. राज्य शासन के प्रयास से संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के लिये 14 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हुई है.
200 जीवाश्म प्रदर्शित किए जाएंगे : स्वीकृत राशि से विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर स्थित पुरातत्व संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहर जिसमें 5 लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सींग, दरियाई घोड़े का दांत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेष जिन्हें विभिन्न विथिकाओं में प्रदर्शित किया जायेगा. साथ ही इसके अलावा संग्रहालय में भीम बैटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा.
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प्राचीनतम निशानियां देखने को मिलेंगी : उज्जैन के राजा चंडप्रद्योग के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे, जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, वह भी संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाएंगे. उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त 4 हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की जाएगी. इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय के ही संग्रहालय में दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएं जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की हैं, इन्हें भी नवनिर्मित विथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को भव्य बनाने की योजना बनाई गई है. प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जायेगा.