उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर के क्षरण मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने श्रद्धालुओं के किए जाने वाले पंचामृत पूजन पर रोक के साथ-साथ श्रद्धालुओं को शिवलिंग को छूने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. कोर्ट ने महाकाल प्रबंधक समिति को आदेश किया है कि मंदिर समिति क्षरण रोकने के उपाय को तत्काल लागू करे. विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है, यहां श्रद्धालु मंदिर के गर्भ गृह तक जाकर शिवलिंग को छूकर दर्शन कर भगवान से आशीर्वाद लेते हैं.
सन 2013 में उज्जैन की सारिका गुरु नामक महिला ने महाकाल मंदिर में हो रही शिवलिंग क्षरण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट चला गया और तभी से लगातार सुनवाई के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि प्रारंभिक रूप से सभी फैसले की कुछ बातें पता चल पाई हैं, जिसमें शासकीय पूजा में ही पंचामृत का उपयोग होगा, आम श्रद्धालु पंचामृत अभिषेक नहीं कर पाएंगे. शिवलिंग को रगड़ना प्रतिबंधित किया गया है.
हालांकि इससे पहले भी क्षरण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए महाकाल मंदिर प्रबंधक समिति ने कई उपाय किए थे, जिसमें आरओ वाटर का शिवलिंग पर चढ़ाना, गर्भगृह के अंदर के वातावरण को शुद्ध रखना, बड़े बर्तन के उपयोग पर रोक, साथ ही दूध और जल की मात्रा भी तय कर दी गई थी, लेकिन अब कोर्ट के निर्देश के बाद नए नियमों का पालन मंदिर समिति को करना है, जिससे शिवलिंग क्षरण होने से रोका जा सके. महाकाल मंदिर में होने वाले निर्माण अब आईआईटी रुड़की की भवन निर्माण सरंचना को ठीक करने वाली एजेंसी की देखरेख में ही होगा.