उज्जैन। साल की सबसे बड़ी अमावस्या सर्वपितृ के मौके पर आज देश भर के हजारों श्रद्धालु पितरों की आत्मा की शांति के लिए भैरव गढ़ स्थित प्राचीन सिद्धवट घाट पहुंचे, जहां तर्पण करने के साथ-साथ दूध चढ़ाया. सर्वपितृ अमावस्या पर्व के साथ 15 दिन के श्राद्ध पक्ष का समापन हो गया. मान्यता है कि, माता पार्वती ने सिद्धवट घाट पर वट वृक्ष लगाया था. वहीं भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण किया था. सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर शिप्रा नदी के सिद्धवट घाट और राम घाट पर अलसुबह से भक्तों का तांता लगा रहा. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए तर्पण, दूध चढ़ाने सहित स्नान दान करने पहुंच रहे हैं.
ऐसी मान्यता है कि, जो लोग श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान नहीं करा पाए हैं, अगर वे अमावस्या तिथि पर तर्पण और पिंडदान कर आते हैं, तो पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही ऐसे लोग जिन्हें अपने पूर्वजों की तिथि की जानकारी नहीं है ,वो भी अमावस्या की तिथि पर तर्पण और पिंडदान कर सकते हैं. यही कारण है कि, इस अमावस को सर्वपितृ अमावस कहा जाता है.
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हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए दर्शन-पूजन के इंतजाम किए गए हैं. जिस कारण मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइने लगी हुई दिखाई दी हैं. परिसर में लगे पात्र में दूध डालकर श्रद्धालु सिद्धनाथ भगवान के दर्शन कर रहे हैं. पेड़ की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने पात्र में दूध डालकर चढ़ाने की व्यवस्था की है. पात्र से दूध पूरे वट के नीचे के हिस्से में चढ़ेगा, जिससे वृक्ष को नुकसान नहीं पहुंचेगा.