उज्जैन। उज्जैन में आयोजित गधों की महफिल में ओवैसी-सिद्धू से लेकर इमरान खान तक नजर आये, जिनकी बोली 5000 से लेकर 25000 तक लगी, इसके बावजूद खरीददारों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, जबकि इन गधों के मालिकों ने अच्छी कीमत पाने के लिए गधों का नामकरण किया था.
उज्जैन में हर साल क्षिप्रा नदी किनारे देवउठनी ग्यारस से कार्तिक पूर्णिमा तक गधों का मेला लगता है. हर साल प्रदेश भर के व्यापारी उज्जैन मेले में गधों की बिक्री और खरीदी के लिए आते हैं. इस मेले में गधों की कीमत ₹5000 से ₹25000 तक रहती है. गधों का ये मेला देश भर में प्रसिद्ध है. गधे के मालिकों का कहना है कि वह लोगों को बताना चाहते हैं कि ओवैसी, इमरान खान और सिद्धू सच में गधे ही हैं. वह देश के किसी काम तो आ नहीं सकते, उनके नाम से गधों की बिक्री अच्छी हो जाती है.
गधों के मेले में खास बात ये है कि सभी गधों के नाम अद्भुत दिखाई देते हैं. पहले के समय में लोग गधे को बोझ ढोने में इस्तेमाल करते थे, लेकिन मशीनी युग में गधों की कीमत कम हो गई है.