जबलपुर: यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट करने की तैयारी से पहले हुए बवाल के बाद मामला फिर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहुंच गया है. सोमवार को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट पेश की. इसमें बताया गया कि जहरीला कचरे को विनष्टीकरण के लिए पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में पहुंचा दिया गया है. कचरे से लोड वाहन सुविधा केन्द्र में खड़े हैं. स्टेटस रिपोर्ट में सरकार ने कहा है "मीडिया की गलत रिपोर्टिंग के कारण जनता कचरे के विनष्टीकरण का विरोध कर रही है. जनमानस को विश्वास में लेकर कचरे का विनष्टीकरण किया जायेगा."
हाई कोर्ट ने सरकार के साथ ही मीडिया को दी सलाह
सरकार की तरफ से कचरे के विनष्टीकरण के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. सरकार की तरफ से कचरे से लोड वाहन को अनलोड करने की अनुमति देने के आग्रह भी किया गया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है "जहरीले कचरे के संबंध में मीडिया भ्रामक खबर प्रकाशित नहीं करे. जहरीले कचरे के विनष्टीकरण के खिलाफ दायर याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर सरकार विचार करते हुए निर्णय ले. कचरे से भरे वाहनों के अनलोड करने के संबंध में भी सरकार निर्णय ले." युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को निर्धारित की है.
जहरीला कचरा नष्ट करने का मामला 20 साल से कोर्ट में
गौरतलब है कि आलोक प्रभाव सिंह द्वारा साल 2004 में दायर याचिका में कहा गया था कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड कंपनी से हुए जहरीले गैस रिसाव में लगभग 4 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में करीब 350 मीट्रिक टन जहरीले कचरा पड़ा है. याचिका में जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाई कोर्ट मामले की सुनवाई स्वतः संज्ञान लेकर कर रहा है.
पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने का तीव्र विरोध
इसके बाद लगातार सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सरकार को जहरीला कचरा नष्ट करने डेडलाइन दी थी. ये डेडलाइन 3 जनवरी 2025 थी. इसके बाद सरकार ने ये कचरा पीथमपुर में नष्ट करने की योजना बनाई. जहरीला कचरा केंटनर्स के मधाय्म से पीथमपुर पहुंचने लगा. इसके विरोध में जन आंदोलन खड़ा हो गया. पीथमपुर सहित आसपास हिंसक प्रदर्शन होने लगे. दो लोगों ने पेट्रोल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया. इसके साथ ही कई संगठन विरोध में आ गए.
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कई संगठनों ने विरोध में लगाई हाई कोर्ट में याचिकाएं
इसके अलावा एल्युमिनी एसोसिएशन महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल इंदौर की तरफ से जहरीले कचरे के विनष्टीकरण पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की गयी. विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने इंटर विनर आवेदन भी पेश की गई. याचिका में कहा गया था "जहरीले कचरे को जलाने का टेस्ट साल 2015 में किया गया था. 8 साल पूर्व हुए टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर जहरीली कचरे का विनष्टीकरण किया जा रहा है. पीथमपुर स्थित केंद्र में पहुंचे कचरे का टेस्ट नहीं करवाया गया." याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, खालिद फखरुद्दीन ,अभिनव धानोरकर तथा सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पैरवी की.