उज्जैन। बाबा महाकाल का दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए महाकाल लोक के नंदी द्वार से प्रवेश दिया गया. (Ujjain Mahakal Darshan) इस दौरान जय महाकाल के बोल से पूरा परिसर गूंज उठा. बेरिकेट्स के माध्यम से मानसरोवर से प्रवेश लेने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ का फ्लो एक जैसा चलता रहा. मंदिर प्रशासन ने बेरिकेट्स में 3 लाईन चलाकर 3 पाटले लगाए थे. श्रद्धालुओं को दर्शन के बाद सीधे निर्गम द्वार से बाहर की ओर निकाला गया. जिससे श्रद्धालुओं को भी भगवान महाकाल के दर्शन करने में अधिक समय नहीं लगा.
दर्शन के लिए प्रवेश द्वार: सामान्य श्रद्धालुओं के लिए हरसिद्धि मंदिर,जयसिंहपुरा होते हुए त्रिवेणी संग्रहालय के समीप बनी सर्फेस पर्किंग में जूते रखने के बाद त्रिवेणी संग्रहालय के सामने मुख्य प्रवेश द्वार से सीधे नंदी द्वार होते हुए मानसरोवर भवन से भगवान महाकाल के दर्शन के लिए प्रवेश कर रहे थे. दर्शन के बाद श्रद्धालुओं की वापसी मंदिर के निर्गम द्वार से पुन: महाकाल लोक, मानसरोवर भवन पंहुचकर बेरीकेट्स के दाहिनी ओर से सप्तऋषि होते हुए पिनाकी द्वार से बाहर आकर सामने सर्फेस पर्किंग पहुंचकर अपने गंतव्य की ओर जा सकेंगे.
शीघ्र दर्शन व्यवस्था: शीघ्र दर्शन टिकट से दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को हरसिद्धि मंदिर, बड़े-गणेश के सामने से चार नम्बर वीआईपी गेट से प्रवेश देकर भगवान महाकाल के दर्शन के पश्चात निर्गम द्वार से पुन: हरसिद्धि के रास्ते से वापस लौटाया गया. मंदिर समिति ने शीघ्र दर्शन टिकट के काउंटर कर्कराज पार्किंग, त्रिवेणी पर्किंग पर लगाए थे. ऑनलाइन टिकट लेने वाले श्रद्धालु भी यही से दर्शन के लिए पहुंचे.एडीएम संतोष टेगोर, मंदिर प्रशासक संदीप सोनी, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल सहित पुलिस के अधिकारी परिसर में घूमकर व्यवस्थाएं देखते रहे. प्रशासन के पास इस बार श्री महाकाल लोक निर्माण होने से श्रद्धालुओं को सुविधा पूर्वक दर्शन के लिए बड़ी जगह उपलब्ध होने से व्यवस्थाएं ज्यादा प्रभावित नही हुई है.
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पार्किंग व्यवस्था: इंदौर से आने वाले वाहन हरि फाटक ब्रिज के समीप से कर्कराज पार्किंग में वाहन रखने के बाद छोटे रास्ते से त्रिवेणी सर्फेस पार्किंग में जूते रखकर मुख्य प्रवेश, नंदीद्वार, मानसरोवर भवन से दर्शन कर मंदिर के निर्गम द्वार से पुन: महाकाल लोक, मानसरोवर भवन व बेरीकेड्स के दाहिनी दिशा से सुगमता से पिनाकी-द्वार से सर्फेस पर्किंग स्थल पहुंचकर अपने वाहनों तक पहुंच रहे थे. सबसे अधिक वाहन इंदौर मार्ग की ओर से पहुंच रहे थे.