उज्जैन। बुधवार की देर रात अचानक सियाचिन में 27 हजार फीट की ऊंचाई ग्लेशियर पर तैनात नागदा के रहने वाले बादल सिंह चंदेल बर्फ में धसने से शहिद हो गए थे,.उन्हें शनिवार को अपने निज निवास नागदा से चकर्तीथ तक अंतिम विदाई दी गई. यात्रा में भारी तादाद में शहीद को श्रद्धाजंलि देने उमड़ा सैलाब. जिसमें, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी सहित कई राजनेताओं ने शहिद को श्रद्धांजलि दी.
बर्फ धंसने के चलते शहिद हुए बादल
नागदा रहने वाले भारतीय सेना के वीर जवान, सिक्किम के सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी ड्यूटी दे रहे थे. तभी अचानक बुधवार रात करीब 10:30 बजे सूचना मिली कि बर्फ धंसने से बादल शहिद हो गए हैं. जिसके बाद उनके परिवार को रात 11 सूचित किया गया. सुबह शहीद बादल को नीचे लाया गया. सियाचिन से दिल्ली, दिल्ली से इंदौर और इंदौर से सुबह नागदा. सेना के जवान बादल अपने पीछे माता-पिता और पत्नी सहित साढ़े तीन साल का बेटा विवान को छोड़ गए हैं.
दक्षिण अफ्रीका में अपनी सेवाएं
नागदा के रहने वाले बादल सिंह चंदेल 18 जून 2004 में सेना में शामिल हुए थे. जिनकी पहली पोस्टिंग रानीखेत में हुई थी. शहीद बादल सिंह ने ढाई साल तक शांति सेना में शामिल होकर दक्षिण अफ्रीका में अपनी सेवाएं दी थीं. 15 कमाऊं रेजिमेंट के नायक बादल सिंह चंदेल हाल ही में जनवरी में नागदा आए थे. 13 फरवरी को ही वे वापस अपनी ड्यूटी पर लगे और उन्हें सियाचिन में 27 हजार फीट ऊपर ग्लेशियर पर तैनात किया गया था. परिजनों ने बताया कि बादल का विवाह 2017 में ही हुआ था और उसका एक साढ़े तीन साल का बेटा है.
कार्यकाल हो चुका था पूरा
शहीद बादल सिंह अपनी 17 साल की पूरी सेवाएं सेना में दे चुक थे. 31 दिसंबर को उनका कार्यकाल भी पूरा हो गया था. परंतु सेना द्वारा उन्हें एक्सटेंशन पर प्रमोट किया गया था. इसके बाद उनकी पुन: ड्यूटी सियाचीन पर लगाई गई थी.