उज्जैन। इंदौर से आने वाली खान नदी का दूषित पानी और शुद्ध क्षिप्रा नदी के बीच बना कच्चा स्टॉप डैम देर रात थोड़ी सी बारिश के दबाव से अचानक टूट गया. प्रशासन की लापरवाही के चलते आज तक यहां पर पक्का डैम नहीं बनाया गया है. हर साल 20 से 25 लाख रुपये की लागत से कच्चा डैम बना दिया जाता है, लेकिन पानी का बहाव तेज होने के चलते डैम बह जाता है. कल रात को हुई अचानक बारिश से क्षिप्रा नदी उल्टी बहने लगी और दूषित खान नदी का पानी 6 से 7 किमी दूर उल्टा हरयाखेड़ी तक पहुंच गया.
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सूचना मिलते ही PHE कर्मचारी पीरूलाल ने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. मौके पर पहुंची टीम ने मुआयना कर जिम्मेदारों को इसे रोकने के जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं. बता दें कि खान नदी में गंदे नालों का पानी प्रवाहित होता है, जो क्षिप्रा नदी में मिलता है.
- तीन प्रोजेक्ट तैयार, लेकिन नहीं मिली स्वीकृति
क्षिप्रा नदी को बारह महीने शुद्ध रखने के लिए जल संसाधन विभाग ने तीन प्रोजेक्ट बनाए हैं, ये शासन को भेजे भी गए हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से स्वीकृति एक की भी नहीं मिली है.
- खान नदी पर गोठड़ा में स्थायी स्टापडैम बनाना.
- राघौपिपल्या से कालियादेह पैलेस तक भूमिगत बिछाई पाइपलाइन के पैरलल ओपन केनाल बनाना.
- खान नदी पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट.
खान नदी के दूषित पानी को रोकने के लिए सरकार अभी तक करोड़ों रुपए खर्चा कर चुकी है. खान का दूषित पानी त्रिवेणी घाट के पास क्षिप्रा में मिलता है, जिसपर साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने कार्रवाई करते हुए तत्कालीन कलेक्टर व संभायुक्त को हटा दिया था. हालांकि इस मिलन को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन हर साल लगभग 20 से 25 लाख रुपए खर्च कर मिट्टी का कच्चा बांध त्रिवेणी घाट के समीप बनवाती है. अधिकारियों का कहना है कि खान में पानी का फ्लो बहुत अधिक है, इसलिए इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है.