उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी में यहां भगवान महाकाल को प्रातः काल कंडे की भस्मी अर्पित की जाती है. भगवान महाकाल का शिवलिंग दक्षिण मुखी है, इसी कारण उज्जैन का जागृत शमशान की मान्यताएं भी बहुत है. इस शमशान पर अलग-अलग राज्यों से आकर तांत्रिक तंत्र क्रियाएं करते हैं. इसी को लेकर शमशान में शनिवार की रात केरल से तांत्रिक तंत्र साधन करने पहुंचे थे. इन तांत्रिको ने उज्जैन के जागृत शमशान में पूरी रात तंत्र क्रिया और सर्व सिद्धि क्रिया की. खास बात ये रही की देश भर में होने वाली तंत्र साधना से सबसे अलग केरला तंत्र क्रिया होती है. केरला की तंत्र क्रिया सबसे ज्यादा सार्थक सिद्ध होती है. इस दौरान लंदन से भी तांत्रिक जुड़े और इसके अलावा अलग-अलग कंट्री से जजमान ऑनलाइन जुड़ कर रात भर पूजा में हिस्सा लिया.
तंत्र क्रिया की खासियत: उज्जैन अमावस्या की आधी रात को शुरू होने वाली केरला तंत्र क्रिया देश भर की क्रियाओं से सबसे अलग है. इसमें 652 मुद्रा और क्रिया की जाती है. मंत्रों का उच्चारण मन में होता है. सर्व सिद्धि, सर्व बाधा और सर्व दोष निवारण की पूजा की जाती है. अमावस्या की पूरी रात का विधान होता है, जिसमें सिगरेट, काली उड़द, राई काली तील, बेर, नारियल बुरा, कपूर, हवन सामग्री, जायफल, खड़ा नमक, कील, सुपारी, निंबू, सरसों के फूल, टेसू के फूल, मिठाई, दीपक, सुखी, गोरख मुंडी, मिर्ची, दो प्रकार की शराब सहित अन्य सामाग्री को उपयोग किया जाता है.
लंदन से भी जुड़े तांत्रिक: केरल से आए तांत्रिक मोहित ने बताया कि केरला तंत्र सबसे ज्यादा शक्तिशाली है. सर्व सिद्धि क्रिया आदि शकंराचार्य ने शुरू की थी. उन्होंने सोचा था इस तंत्र को केरल से बाहर ले जाएंगे, लेकिन केरल की लम्बोदरी (ब्राह्मण) जाती को डर था की इसका दुरुपयोग नहीं हो. इसी वजह से उन्होंने इसे बाहर नहीं निकलने दिया. केरेला तंत्र से मरे हुए इंसान को भी जिंदा कर देते थे, इसलिए केरल से बाहर नहीं आ पाया. हमारे तंत्र की पद्धति सबसे अलग है. रविवार रात बड़ी अमावस्या है, इसमें सर्व सिद्धि और सर्व बाधा निवारण की क्रिया की जा रही है, जो सुबह चार बजे तक चलेगी. इस क्रिया में न सिर्फ उज्जैन, भोपाल और केरला के तांन्त्रिक हिस्सा ले रहे हैं बल्कि लंदन से उमेश नाथ महाराज भी ऑनलाइन जुड़कर तंत्र क्रिया करेंगे. आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि पर भूत प्रेत या अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों को शिप्रा नदी किनारे क्रिया करने से फल की प्राप्ति होती है.