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भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञानस्थली पर जन्मोत्सव की तैयारियां तेज, देश-विदेश से यहां आते हैं श्रद्धालु - श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

महाकाल की नगरी में स्थित ऋषि संदीपनि आश्रम का नजारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर देखते ही बनता है, जहां देश-विदेश से लोग आते हैं, यहीं पर भगवान कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त किया था.

भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञानस्थली पर जन्माष्टमी की तैयारियां तेज
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Published : Aug 21, 2019, 11:47 PM IST

उज्जैन। महाकाल की नगरी में स्थित श्रीकृष्ण के गुरूकुल यानि ज्ञान संदीपनि आश्रम में इस त्योहार का अलौकिक नजारा हर किसी को आकर्षित करता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दराज से आते हैं, इसी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी संपूर्ण शिक्षा और ज्ञान संदीपनि ऋषि से प्राप्त की थी.

उज्जैन स्थित संदीपनि आश्रम जोकि ऋषि संदीपनि की तपस्थली है, यहीं महर्षि संदीपनि ने तपस्या की थी. लिहाजा, संदीपनि ने वेद-पुराण, शास्त्रार्थ की शिक्षा के लिए आश्रम का निर्माण करवाया था, जन्म अष्टमी पर देर रात तक संदीपनि आश्रम में आरती की जाती है, इस दिन दुनिया भर से संदीपनि आश्रम में श्रद्धालु आते हैं और कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में दर्शन करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलराम और मित्र सुदामा ने भी इसी आश्रम में संदीपनि ऋषि से शास्त्रों और वेद का ज्ञान लिया था, इसलिए संदीपनि आश्रम को श्रीकृष्ण की ज्ञान स्थली के नाम से भी जाना जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञानस्थली पर जन्माष्टमी की तैयारियां तेज
मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण लगभग 5500 वर्ष पूर्व द्वापर युग में यहां आए थे, भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिनों के अल्प समय में ही संपूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी, उसका विवरण इस प्रकार है, 18 दिनों में 18 पुराण, 4 दिनों में 4 वेद, 6 दिनों में 6 शास्त्र और 16 दिनों में 16 कलाएं, जबकि 20 दिनों में गीता का ज्ञान प्राप्त किया था.श्रीकृष्ण अपने गुरु के लिए गोमती नदी को यहां तक लेकर आए थे, इसलिए इसे गोमती कुंड कहा जाता है, इसी गोमती कुंड के जल से श्रीकृष्ण अपना भोज पात्र साफ किया करते थे, जिसके चलते इस क्षेत्र को विद्धानों का चित्र कहां जाने लगा.

उज्जैन। महाकाल की नगरी में स्थित श्रीकृष्ण के गुरूकुल यानि ज्ञान संदीपनि आश्रम में इस त्योहार का अलौकिक नजारा हर किसी को आकर्षित करता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दराज से आते हैं, इसी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी संपूर्ण शिक्षा और ज्ञान संदीपनि ऋषि से प्राप्त की थी.

उज्जैन स्थित संदीपनि आश्रम जोकि ऋषि संदीपनि की तपस्थली है, यहीं महर्षि संदीपनि ने तपस्या की थी. लिहाजा, संदीपनि ने वेद-पुराण, शास्त्रार्थ की शिक्षा के लिए आश्रम का निर्माण करवाया था, जन्म अष्टमी पर देर रात तक संदीपनि आश्रम में आरती की जाती है, इस दिन दुनिया भर से संदीपनि आश्रम में श्रद्धालु आते हैं और कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में दर्शन करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलराम और मित्र सुदामा ने भी इसी आश्रम में संदीपनि ऋषि से शास्त्रों और वेद का ज्ञान लिया था, इसलिए संदीपनि आश्रम को श्रीकृष्ण की ज्ञान स्थली के नाम से भी जाना जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञानस्थली पर जन्माष्टमी की तैयारियां तेज
मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण लगभग 5500 वर्ष पूर्व द्वापर युग में यहां आए थे, भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिनों के अल्प समय में ही संपूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी, उसका विवरण इस प्रकार है, 18 दिनों में 18 पुराण, 4 दिनों में 4 वेद, 6 दिनों में 6 शास्त्र और 16 दिनों में 16 कलाएं, जबकि 20 दिनों में गीता का ज्ञान प्राप्त किया था.श्रीकृष्ण अपने गुरु के लिए गोमती नदी को यहां तक लेकर आए थे, इसलिए इसे गोमती कुंड कहा जाता है, इसी गोमती कुंड के जल से श्रीकृष्ण अपना भोज पात्र साफ किया करते थे, जिसके चलते इस क्षेत्र को विद्धानों का चित्र कहां जाने लगा.
Intro:उज्जैन देशभर में जहां श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची हुई है वहीं श्रीकृष्ण की शिक्षा असली उज्जैन में भी इस त्यौहार का अपना एक अलग ही आनंद दिखाई पड़ता है


Body:उज्जैन देशभर में जहां श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची हुई है वहीं श्रीकृष्ण की शिक्षा असली उज्जैन में भी इस त्यौहार का अपना एक अलग ही आनंद दिखाई पड़ता है गौरतलब है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी संपूर्ण शिक्षा और ज्ञान संदीपनि आश्रम में ही संदीपनि से प्राप्त किया उज्जैन स्थित संदीपनि आश्रम जो ऋषि सांदीपनि की तप स्थली है यहां वहां महषी संदीपनि ने तपस्या की थी इसी स्थान का निर्माण करवाया और संदीपनि ने वैद पुराण शास्त्रादि की शिक्षा हेतु आश्रम का निर्माण करवाया था जन्म अष्टमी की देर रात संदीपनि आश्रम में देर रात 12 बजे आरती की जाएगी दरसअल दुनिया भर से संदीपनि आश्रम में श्रद्धालु आते हैं और कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में दर्शन करते है।


Conclusion:संदीपनि आश्रम प्रसिद्धि का कारण है कि यहां भगवान श्री कृष्ण और बलराम और सुदामा ने यहां शिक्षा हासिल की थी मैं नेता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण बलराम और उनके मित्र सुदामा ने इस आश्रम में संदीपनि से शास्त्रों और वेद का ज्ञान लिया था इसलिए सांदीपनि आश्रम को श्रीकृष्ण की विद्या ज्ञान स्थली के नाम से भी जाना जाता है मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण लगभग 5500 वर्ष पूर्व द्धापर युग में यहां आए थे भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिनों में अल्प समय में संपूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी उसका विवरण इस प्रकार है 18 दिनों में 18 पुराण 4 दिनों में 4 वेद 6 दिनों में 6 शास्त्र और 16 दिनों में 16 कलाए 20 बिना में गीत का ज्ञान उसके साथी दक्षिणा और गौ सेवा

आश्रम में जहां गुरु संदीपनि व्यक्ति थे वहां उनकी प्रतिमा और चरण पादुका स्थापित हो गई हैं और यहां कृष्ण बैठ कर विद्यार्जन किया करते थे वहां भगवान की पढ़ती लिखती बैठी हुई प्रतिमा विराजमान है जो दुनिया मे ओर कही नही है ।


बाइट---रूपम व्यास पूजरी (संदीपनी आश्रम उज्जैन)


संदीपनि आश्रम का पौराणिक दृष्टि से अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थल है इस आश्रम के सम्मुख श्री कुंडेश्वर महादेव का मंदिर है जो 84 महादेव में से एक है ऐसा माना जाता है कि यह पूरी पृथ्वी पर एक ही ऐसा शिवलिंग है जिस में शिव का वाहन नंदी खड़ा हुआ है मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण आश्रम में आए तो उज्जैन जानी अवंतिका के राजा महाकाल कार्तिक मास की वैकुंड चतुर्थशी के दिन उनसे मिलने पधारे


मंदिर के पीछे एक अति प्राचीन श्री सर्वेश्वर महादेव का मंदिर भी है जो लगभग 600 साल वर्ष पुराना है ऐसा माना जाता है कि संदीपनि यहां बैठकर तक पढ़ते थे और जहां स्थित शिवलिंग गुरु संदीपनि ने अपने तपो बल से बिल्वपत्र द्वारा उत्पन्न किया था मंदिर परिसर में ही एक कुंड है और माना जाता है कि इस कुंडा के जरिए श्रीकृष्ण अपने गुरु के लिए गोमती नदी को यहां तक लेकर आए इसलिए इसमें गोमती कुंड कहा जाता है इसी गोमती कुंड के जल से श्रीकृष्ण अपनी पट्टी भोजपत्रद्ध साफ किया करते थे इस दौरान उनके लिखे अंक कुंड में गिरे थे और फलस्वरूप इस क्षेत्र को विद्धानो का चित्र कहां जाने लगा इसी कारण इस क्षेत्र को अंकपात कहा जाता है।



बाइट--- श्रद्धालु
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