उज्जैन। फ्रंट लाइन वर्कर के तौर पर काम करने वाले पुलिसकर्मी कोविड से संक्रमित होने के बाद ब्लैक फंगस या अन्य बीमारियों से पीड़ित न हो जाएं, इसके लिए आईपीएस अधिकारी और डॉक्टर रह चुके रवींद्र वर्मा ने पुलिस कर्मचारियों के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी ली हैं. लिहाजा अभी तक कोई भी पुलिसकर्मी ब्लैक फंगस रोग का शिकार नहीं हुआ है.
कोरोना की दूसरी लहर से शहर में 176 पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए. इनमें सिर्फ 18 पुलिसकर्मियों को ही अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. बाकी सभी होम आइसोलेशन में ही उपचार से ठीक हो गए. इतने पुलिसकर्मियों के संक्रमित होने पर सर्वे का प्लॉन तैयार किया गया, जिसमें दो तरह से सर्वे कराया गया. कोविड के पहले पुलिसकर्मियों का रहन-सहन, दिनचर्या, जबकि कोविड के बाद वह अन्य किसी बीमारी से ग्रसित तो नहीं. महामारी का उन्हें साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा. इस काम की बागडोर आईपीएस अधिकारी डॉक्टर रवींद्र वर्मा को सौंपी गई.
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आईपीएस अधिकारी ने 28-28 पेज की दो सर्वे रिपोर्ट तैयार की. इसके लिए खुद रोज संक्रमण से ठीक हुए पुलिसकर्मियों का हेल्थ चेकअप करने पुलिस लाइन स्थित अस्पताल गए. पुलिसकर्मियों को डे-हेल्थ चेकअप का तरीका सिखाया.
आईपीएस अधिकारी डॉ. रविंद्र वर्मा ने बताया कि साल 2021 में जो 176 पुलिसकर्मी संक्रमित हुए, उनमें 20 से 30 की आयु के 27 प्रतिशत, 30 से 40 की आयु के 28 प्रतिशत, 40 से 50 की आयु के 22 प्रतिशत, 50 से 62 की आयु के 22 प्रतिशत पुलिसकर्मी शामिल हैं. इम्युनिटी पॉवर के साथ-साथ वैक्सीन के दोनों डोज ने इन्हें बचाया. इनमें तीन पुलिसकर्मी ऐसे भी थे, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी. लंबे समय तक वे अस्पताल में भर्ती रहे, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई.
ब्लैक फंगस के लक्षण का पता कर रहे
संक्रमित होने के बाद अब ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन सेचुरेशन पुलिसकर्मी खुद ही चेक कर रहे हैं. डे हेल्थ चेकअप इसे नाम दिया गया है. एएसपी डॉक्टर रवींद्र वर्मा ने बताया कि बीपी, शुगर सहित अन्य समस्याओं से पीड़ित संक्रमित पुलिसकर्मियों की आंख, नाक और मुंह की लगातार जांच की जा रही हैं. साथ ही ब्लैक फंगस के लक्षणों पर भी ध्यान दिया जा रहा हैं.