ETV Bharat / state

भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल का 'होली अभिषेक'

विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में पंडित-पुजारियों ने बाबा महाकाल के साथ होली खेली. हालांकि, कोरोना काल की वजह से महाकाल की भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. यही वजह है कि एक भी श्रद्धालु यहां पर नजर नहीं आए.

Holi celebration in mahakal temple
महाकाल मंदिर में होली का उत्सव
author img

By

Published : Mar 29, 2021, 9:27 AM IST

Updated : Mar 29, 2021, 2:20 PM IST

उज्जैन। दुनिया भर में मनाए जाने वाले होली के त्योहार की शुरुआत धार्मिक नगरी उज्जैन से हो गई है. यहां सबसे पहले होली की शुरुआत विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से हुई. बाबा महाकाल के दरबार में होली का उत्सव मनाया गया, जहां सुबह 4 बजे भस्मारती में पंडित-पुजारियों ने महाकाल के साथ होली खेली. बाबा का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया. हालांकि, कोरोना काल की वजह से बाबा महाकाल की भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. यही वजह है कि एक भी श्रद्धालु नजर नहीं आए.

महाकाल के आंगन में होली उत्सव
होली की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार से हो गई है. यहां परंपरा अनुसार भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया. पंडित-पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल और फूलों के साथ होली खेली.

यूं तो देश के कोने-कोने से कई भक्त यहां मनाई जाने वाली होली को देखने के लिए आते है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. इस वर्ष भस्म आरती बगैर श्रद्धालु के ही संपन्न हुई.

बिना श्रद्धालुओं के बाबा महाकाल के आंगन में मनाई गई होली

महाकाल मंदिर में होली मनाने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. यहां सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में होली उत्सव की शुरुआत होती है. उसके बाद देश भर में होली मनाई जाती है.

महाकाल मंदिर में होली का उत्सव
खास है भस्म आरती बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही भस्म आरती की परम्परा है. भस्म आरती रोजाना सुबह 4 बजे होती है. दिवाली, गुड़ी पड़वा, नया वर्ष, मकर संक्रांति, होली त्योहारों की शुरुआत भगवान महाकाल के साथ भस्म आरती में ही की जाती है. इसके चलते सभी त्योहार यहां धूम-धाम से मनाए जाते है.

उज्जैन। दुनिया भर में मनाए जाने वाले होली के त्योहार की शुरुआत धार्मिक नगरी उज्जैन से हो गई है. यहां सबसे पहले होली की शुरुआत विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से हुई. बाबा महाकाल के दरबार में होली का उत्सव मनाया गया, जहां सुबह 4 बजे भस्मारती में पंडित-पुजारियों ने महाकाल के साथ होली खेली. बाबा का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया. हालांकि, कोरोना काल की वजह से बाबा महाकाल की भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. यही वजह है कि एक भी श्रद्धालु नजर नहीं आए.

महाकाल के आंगन में होली उत्सव
होली की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार से हो गई है. यहां परंपरा अनुसार भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया. पंडित-पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल और फूलों के साथ होली खेली.

यूं तो देश के कोने-कोने से कई भक्त यहां मनाई जाने वाली होली को देखने के लिए आते है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. इस वर्ष भस्म आरती बगैर श्रद्धालु के ही संपन्न हुई.

बिना श्रद्धालुओं के बाबा महाकाल के आंगन में मनाई गई होली

महाकाल मंदिर में होली मनाने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. यहां सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में होली उत्सव की शुरुआत होती है. उसके बाद देश भर में होली मनाई जाती है.

महाकाल मंदिर में होली का उत्सव
खास है भस्म आरती बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही भस्म आरती की परम्परा है. भस्म आरती रोजाना सुबह 4 बजे होती है. दिवाली, गुड़ी पड़वा, नया वर्ष, मकर संक्रांति, होली त्योहारों की शुरुआत भगवान महाकाल के साथ भस्म आरती में ही की जाती है. इसके चलते सभी त्योहार यहां धूम-धाम से मनाए जाते है.
Last Updated : Mar 29, 2021, 2:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.